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राम भक्त भी अंजान: इन रास्तों से होकर गुजरे थे श्रीराम, अब बनेगा कॉरिडोर
अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए आज यानी 5 अगस्त को भूमिपूजन किया है। इस ऐतिहासिक पल का सभी भक्त सालों से इंतजार कर रहे थे, जो आज पूरा हो गया है।
अयोध्या- Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए आज यानी 5 अगस्त को भूमिपूजन किया है। इस ऐतिहासिक पल का सभी भक्त सालों से इंतजार कर रहे थे, जो आज पूरा हो गया है। भूमि पूजन होने के बाद राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से शुरू होगा। बताया जा रहा है कि मंदिर को बनकर तैयार होने में तीन से साढ़े तीन साल का समय लगेगा।
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वनवास के दौरान किन-किन रास्तों से होकर गुजरे श्रीराम
आज केवल अयोध्या ही नहीं बल्कि पूरे देश में उत्साह देखने को मिल रहा है। विदेशों में भी लोग राम की भक्ति में रंगे नजर आ रहे हैं। वहीं कईयों का कहना है कि आज राम भगवान का वनवास पूरा हो गया है। भगवान राम के वनवास की कहानी तो सभी ने सुनी होगी। हर कोई राम कथा से मोटे तौर पर वाकिफ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान राम अपने 14 साल के वनवास के दौरान किन-किन रास्तों से होकर गुजरे थे।
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इन 17 स्थानों से होकर गुजरे थे श्रीराम
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो चुका है। इस फैसले के बाद सरकारों ने राम वन गमन पथ पर भी ध्यान दिया है। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारों तक ने राम वन गमन पथ को विकसित करने की बात कही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसा कहा जा रहा है कि अपने वनवास के समय भगवान श्री राम जिन स्थानों से गुजरे थे, वहां पर कॉरिडोर बनेगा।
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तमसा नदी-
तमसा नदी अयोध्या से 20 किलोमीटर दूर है। यहां पर राम ने नाव से नदी पार की थी।
शृंगवेरपुर तीर्थ-
यह स्थल निषादराज का गृह राज्य था, जो कि प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर था। यहीं उन्होंने केवट से गंगा पार कराने को कहा था। शृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर नाम से जाना जाता है।
कुरई-
सिंगरौर (शृंगवेरपुर) में गंगा पार करने के बाद भगवान श्रीराम कुरई में ही रुके थे।
प्रयागराज-
कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने अनुज (छोटे भाई) लक्ष्मण और पत्नी सीता समेत प्रयागराज पहुंचे थे।
चित्रकूट-
प्रयागराज के बाद प्रभु श्रीराम चित्रकूट पहुंचे। यहीं पर भरत उनको वापस अयोध्या ले जाने के लिए आए थे।
सतना-
सतना में अत्रि ऋषि का आश्रम था।
दंडकारण्य-
चित्रकूट से निकलकर श्रीराम पत्नी और भाई समेत दंडकारण्य पहुंचे। तब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दंडकारण्य था।
पंचवटी नासिक-
दंडकारण्य में मुनियों के आश्रमों में ठहरने के बाद श्रीराम नासिक के पंचवटी क्षेत्र में अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। यहीं पर लक्ष्मण ने रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काटी थी।
सर्वतीर्थ-
नासिक क्षेत्र में ही रावण ने सीता का हरण किया और जटायु का भी वध किया था। इसी तीर्थ पर लक्ष्मण ने लक्ष्मण रेखा खींची थी।
पर्णशाला-
पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्मम जिले के भद्राचलम में स्थित है। पर्णशाला को पनसाला भी कहा जाता है।
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तुंगभद्रा-
तुंगभद्रा और कावेरी नदी क्षेत्रों के अनेक स्थलों पर भगवान श्रीराम और लक्ष्मण, माता सीता की खोज में गए थे।
शबरी का आश्रम-
माता सीता को खोजते समय रास्ते में वे पम्पा नदी के पास शबरी आश्रम भी गए, जो केरल में स्थित है।
ऋष्यमूक पर्वत-
मलय पर्वत और चंदन वनों को पार करते हुए राम ऋष्यमूक पर्वत की ओर चलकर गए। यहां उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की और यहीं पर बाली का वध भी किया।
कोडीकरई-
यहीं पर राम की सेना ने पड़ाव डाला और रामेश्वरम की ओर कूच किया।
रामेश्वरम-
लंका पर चढ़ाई करने से पहले श्रीराम ने रामेश्वरम में भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा ही स्थापित किया गया है।
धनुषकोडी-
श्रीराम रामेश्वरम के आगे धनुषकोडी पहुंचे। यहीं से उन्होंने रामसेतु बनाया।
नुवारा एलिया पर्वत-
श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है।
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