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बढ़ी मुसीबतः पड़ोसी मुल्क में चीन समर्थक नेता की हो गई शानदार जीत

चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए परिणामों के मुताबिक, महिंदा राजपक्षे एक बार फिर महारथी साबित हुए हैं, उनकी पार्टी ने 225 सदस्यीय संसद में अकेले 145 सीटें जीती हैं।

Shreya
Published on: 7 Aug 2020 8:18 AM GMT
बढ़ी मुसीबतः पड़ोसी मुल्क में चीन समर्थक नेता की हो गई शानदार जीत
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Mahinda Rajapaksa Won Elections

कोलंबो: श्रीलंका में हुए संसदीय चुनावों के नतीजे सामने आ गए हैं। श्रीलंका में राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पीपुल्स फ़्रंट (एसएलपीपी) ने दो-तिहाई बहुमत से शानदार जीत हासिल की है। चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए परिणामों के मुताबिक, महिंदा राजपक्षे एक बार फिर महारथी साबित हुए हैं, उनकी पार्टी ने 225 सदस्यीय संसद में अकेले 145 सीटें जीती हैं और सहयोगी दलों के साथ एसएलपीपी ने 150 सीटों पर कब्‍जा कर लिया है।

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PM मोदी ने दी जीत की बधाई

इस शानदार जीत को महिंदा राजपक्षे की देश की राजनीति में वापसी के तौर पर भी देखा जा रहा है। वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिंदा राजपक्षे को उनकी शानदार जीत के लिए बधाई दी है। पीएम मोदी ऐसे पहले विदेशी नेता रहे, जिन्होंने राजपक्षे को उनकी जीत के लिए बधाई दी। राजपक्षे ने ट्वीट करते हुए इस बात की जानकारी शेयर की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फोन पर बधाई देने के लिए आपका धन्यवाद। श्री लंका के लोगों के मजबूत समर्थन के साथ, दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग को और बढ़ाने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने के लिए उत्साहित हूं। श्रीलंका और भारत अच्छे मित्र और सहयोगी हैं।



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विशेष संबंधों को नई ऊंचाईयों तक ले जाने का काम

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके इस ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा कि धन्यवाद, आपसे बात करके खुशी हुई। एक बार फिर, बहुत-बहुत बधाई। हम सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने और अपने विशेष संबंधों को हमेशा नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए मिलकर काम करेंगे।

श्रीलंका का चीन की ओर झुकाव!

बता दें कि महिंदा राजपक्षे के ही भाई गोतबया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं, ऐसे में इस वक्त दोनों भाइयों की देश की राजनीति में तूती बोल रही है। वहीं आपको बता दें कि दोनों भाइयों के हाल ही में ऐसे कई फैसले लिए हैं, जिनसे श्रीलंका का झुकाव चीन की ओर मालूम पड़ता है, ऐसे में जानते हैं कि महिंदा राजपक्षे की जीत का भारत पर क्या असर पड़ सकता है और महिंदा राजपक्षे के वापसी से क्या भारत की टेंशन बढ़ सकती है?

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pm modi

श्रीलंका अपने हित के लिए भारत और चीन का उठाता है फायदा

मामले के जानकारों का कहना है कि श्रीलंका अपने हित के लिए भारत और चीन दोनों का फायदा उठाता रहा है। वह अपने कुछ प्रोजेक्ट्स भारत को देते है तो कुछ चीन को। महिंदा राजपक्षे चीन के साथ अच्छे संबंधे रखते हुए भारत के साथ बेहतर संबंध रखना चाहेंगे। क्योंकि भारत एक बड़ा पड़ोसी देश है और आने वाले वक्त में श्रीलंका के लिए भारत से दुश्मनी महंगी पड़ सकती है। इसके अलावा श्रीलंका के सिंहला और तमिल समुदाय के लोग भी भारत के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं। वहीं, भारत राजपक्षे से ये उम्मीद करेगा कि वह चीन को श्रीलंका में सैन्य गतिविधियां चलाने की इजाजत ना दें।

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पिछले कार्यकाल के दौरान चीन समर्थक रहे राजपक्षे

वहीं अन्य विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि राजपक्षे अपने पिछले कार्यकाल के दौरान चीन समर्थक रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान श्रीलंका चीन के उपनिवेश के तौर पर बदल गया था। वहीं जानकारों का कहना है कि राजपक्षे के विचार और नीति दोनों अब भी वहीं हैं। उनमें कोई बदलाव नहीं आया है। ऐसे में वो आगे भी इसे जारी रखना चाहेंगे।

भारत के खिलाफ ये साजिश करने में जुटा चीन

वहीं चीन लगातार भारत पर हमले कर रहा है। एक तरफ वो लद्दाख में जमीन हथियाना चाहता है तो वहीं दूसरी ओर भारत के पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश को अपनी तरफ मिलाने का भी काम कर रहा है। नेपाल अब भारत को आंख दिखाने लगा है और पाकिस्तान शुरू से उसकी तरफ है, बांग्लादेश और चीन की दोस्ती भी बढ़ने लगी है।

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india-srilanka

श्रीलंका में चीन फिर से हुआ मजबूत

विशेषज्ञों के मुताबिक, राजपक्षे की जीत के बाद अब चीन एक बार फिर अपनी रणनीति में कामयाब हो गया है। भारत को घेरने की चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स की नीति में एक बार फिर मजबूती आई है। श्रीलंका में चीन दस साल में एक बार फिर से मजबूत हो गया है। अब वह मलक्का से जिबूती के बीच न्यू मेरिटाइम रूट नीति को मजबूत करने पर काम करेगा।

भारत को करना होगा अब ये काम

चीन के लिए मानो भारत के खिलाफ दोहरी दीवार बन गई है। जानकारों का कहना है कि भारत को अब अपनी नीतियोम में बदलाव करते हुए आक्रामक होकर काम करने की आवश्यकता होगी। भारत को चीन का डटकर जवाब देना होगा। साथ ही आक्रामक होकर कदम उठाने होंगे।

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