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कोरोना के खिलाफ जंग में यह हफ्ता महत्वपूर्ण, केस देखकर तय होगी आगे की रणनीति

देश के लिए मौजूदा हफ्ता काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। इस हफ्ते ही यह तय होगा कि कोरोना वायरस के संक्रमण में फैलाव हो रहा है या नहीं। इसी आधार पर आगे की रणनीति तय होगी

Shivani Awasthi
Published on: 6 April 2020 8:51 PM IST
कोरोना के खिलाफ जंग में यह हफ्ता महत्वपूर्ण, केस देखकर तय होगी आगे की रणनीति
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नई दिल्ली। तबलीगी जमात की लापरवाही के चलते देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। देश में इस वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या 4000 के पार पहुंच गई है और मृतकों का आंकड़ा भी 100 के पार पहुंच गया है। केंद्र और राज्य सरकारों की तमाम सख्ती के बावजूद नए मामलों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। ऐसे में देश के लिए मौजूदा हफ्ता काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। इस हफ्ते ही यह तय होगा कि कोरोना वायरस के संक्रमण में फैलाव हो रहा है या नहीं। इसी आधार पर आगे की रणनीति तय होगी।

जमात की लापरवाही से बढ़े मामले

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल का कहना है कि अगर तबलीगी जमात के जलसे वाली घटना नहीं हुई होती तो देश कोरोना वायरस के संक्रमण को काफी हद तक रोकने में कामयाब हो गया होता। उनका कहना है कि ऐसे में मौजूदा 4.1 दिन के बजाय 7.4 दिन में संक्रमण के मामले दोगुने होते।

अग्रवाल का कहना है कि तबलीगी जमात की लापरवाही के चलते कोरोना संक्रमण के नए मामलों में बढ़ोतरी हुई और यह संक्रमण विभिन्न राज्यों तक फैल गया। ऐसी स्थिति में सामाजिक दूरी और लॅाकडाउन ही कोरोना की सबसे बड़ी वैक्सीन है और इसी के जरिए नए मामलों को रोका जा सकता है।

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प्रयोगशाला ने लगाया यह अनुमान

केंद्र सरकार की एक शीर्ष सरकारी डेटा विश्लेषण प्रयोगशाला ने अनुमान लगाया है कि देश में कोरोना वायरस का अंतिम चरण 9 मई से शुरू होना चाहिए। प्रयोगशाला ने यह अनुमान देश भर में जरूरी चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने वाले सरकारी पैनल के साथ साझा भी किया है।

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माना जा रहा है कि देश के लिए मौजूदा हफ्ता काफी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इसी दौरान इस बात का पता चलेगा कि यह वायरस देश के लोगों को किस हद तक प्रभावित कर रहा है। कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या के आधार पर इस बात का मूल्यांकन किया जा सकता है।

इस आधार पर लगाया गया अनुमान

प्रयोगशाला ने यह अनुमान वायरस से संक्रमित हुए मरीजों के अध्ययन के बाद निकाला है। प्रयोगशाला में अति संवेदनशील, संक्रमित और ठीक हुए मरीजों के मॉडल के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है। वैसे अभी तक इस बात का पता नहीं लगाया जा सका है कि तबलीगी जमात के जरिए फैले कोरोना वायरस के संक्रमण की सीमा कहां तक है। इस अनुमान में घरेलू डाटा के साथ ही कोरोना से सबसे ज्यादा संक्रमित देशों के अध्ययन को भी आधार बनाया गया है।

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अभी हालात बेकाबू नहीं

सरकारी अधिकारियों का मानना है कि अभी तक कोरोना देश में बेकाबू नहीं हुआ है। यदि तबलीगी जमात के जलसे से फैले संक्रमण के पहले की स्थिति को देखा जाए तो भारत काफी हद तक इस वायरस को काबू में करने में सफल होता दिख रहा था मगर जमात के जलसे ने संक्रमण के मामलों में वृद्धि कर दी।

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डेटा विश्लेषण से ही लॉकडाउन पर फैसला

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का मानना है कि डेटा विश्लेषण से निकले अनुमान के आधार पर ही हम लॉकडाउन को लेकर कोई फैसला लेने की स्थिति में आ सकते हैं। इस विश्लेषण से ही हमें लॉकडाउन की स्थिति को आसान करने की योजना बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि जानकारों का यह भी कहना है किस खतरनाक वायरस से मजबूती से लड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का कड़ाई से पालन करना बहुत जरूरी है। तभी हम इस वायरस से लड़ने में कामयाब हो पाएंगे।

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ऐसे राज्यों के लिए अलग विश्लेषण

कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित होने वाले राज्यों के लिए भी कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर एक विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है। इस विश्लेषण के अनुसार पहले यह उम्मीद की जा रही थी कि दिल्ली में कोरोना वायरस का संक्रमण 8 अप्रैल से घटेगा मगर तबलीगी जमात के जलसे के बाद फैले संक्रमण के कारण अब अनुमानों में संशोधन किया जा रहा है।

मिल सकते हैं उत्साहजनक नतीजे

विश्लेषण में यह बात भी कही गई है कि अगर प्रभावित राज्यों में सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखा गया और लोगों ने सतर्कता बरती तो आने वाले दिनों में अच्छे नतीजे मिल सकते हैं। यह अनुमान महाराष्ट्र को लेकर लगाया गया है जो कोरोना से सबसे ज्यादा संक्रमित होने वाला राज्य है। इसके साथ ही तमिलनाडु, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों के लिए अनुमान लगाया गया है कि इस महीने के अंत तक वहां संक्रमण की दर स्थिर हो सकती है।

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