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यहां जमीन उगलती है खजाना, ब्रिटिश काल में व्यापार का केंद्र था यूपी का ये शहर
यह काल्पनिक नही, हकीकत है। विंध्य पर्वत पर ऐसी अदभुत घटनाये होती रहती है। बीते दिन 8 मई को सोनउर गांव में हुई इस घटना को गांव वालों ने छिपाए रखा।
मिर्जापुर। प्राचीन काल के दौर में राजा महाराजाओं के समय चुनार नगर व्यापार का एक प्रमुख केंद्र था। यहाँ पर केवल और केवल घनघोर जंगल था। बताते चले प्राचीन काल मे चुनार नगर था। जहाँ पर कलकत्ता महानगर में व्यापारियों का व्यापार होता था। कलकत्ता के व्यापारी गंगा नदी के रास्ते बड़े बड़े पानी के जहाज पर जरूरत का सामान लेकर आते थे। यहां के व्यापारियों के लिए कपड़ा बर्तन आदि जरूरत का सामान लेकर आते थे। चुनार में अपना बाजार लगाते थे। इसलिए यहां के किसान व्यापारी व्यापर करने के लिए हफ़्तों पैदल सफर करके पहुचते थे।
राजा महाराजाओं के दौर में व्यापार का प्रमुख केंद्र था चुनार
चुनार नगर में व्यापार के लिए लोग भारी संख्या में हफ़्तों का पैदल रास्ता चलकर आते थे। किसान भी भारी संख्या में अपना फसल बेचने के लिए के ऊंट,खच्चर, बैलगाड़ी से सामान लादकर लाते थे। जिससे क्रय विक्रय करके अपने साधनों पर सामान लड़कर चले जाते थे। चुनार में व्यापार के लिए झारखंड, मध्यप्रदेश के उत्तर प्रदेश तथा बिहार तक से लोग पैदल सफर करके व्यापार करने आते थे।
पठारी और खतरनाक रास्ते से गुजरते थे व्यापारी
यह पूरा क्षेत्र पठारी इलाका जंगल और झाड़ियो के खतरनाक रास्ते डरावनी और खौफ पैदा करने वाली होती थी। लेकिन यही पठारी मार्ग व्यापारियों के लिए सुगम मार्ग भी था। लेकिन यह मार्ग पठारी होने के कारण व्यापारियों के लिए बेहद खौफनाक था। जहां पर केवल और केवल खौफ़ रहता था। जिस कारण व्यापारी इन्ही जंगल के पत्थरों की चट्टानों पर रात गुजरते थे। व्यापारी अपना भोजन बनाते और इन्ही पत्थरो पर विश्राम भी करते थे।
चुनार क्षेत्र के गाँवो में छिपे है खजाने
चुनार क्षेत्र के सोनउर गांव में खेत के समतलीकरण के दौरान चांदी के सिक्के मिलने की खबर के बाद प्रशासन और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर अपने सामने खोदाई कराई। इस दौरान ब्रिटिशकाल के विभिन्न वर्षों में निर्मित सात चांदी के विक्टोरिया सिक्के मिले। मौके पर मौजूद एसडीएम जंग बहादुर यादव ने बताया कि मामले के संबंध में जिलाधिकारी को अवगत करा दिया गया है। विभिन्न पहलुओं पर जांच कराई जा रही है। मौके पर सैकड़ों की भीड़ तमाशबीन बनी रही और ग्रामीण खजाना दबे होने की अटकलें लगा रहे थे।
फिलहाल मौके पर पुलिस ने किसी भी गतिविधि पर रोक लगा दी है। यह गांव ही नही चुनार दुर्ग में भी छिपा है खजाना जिसकी रक्षा करते है जहरीले सांप ।
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पुलिस ने जब्त किया खजाने में प्राप्त सिक्के
यह कोई काल्पनिक नही है यह हकीकत है विंध्य पर्वत पर ऐसी अदभुत घटनाये होती रहती है। बीते दिन 8 मई को सोनउर गांव में हुई इस घटना को गांव वालों ने छिपाए रखा। इसके बाद किसी ने पुलिस को फोन कर सूचना दी कि गांव के मोती पाल के खेत में दोपहर को खोदाई के दौरान चांदी के सिक्कों से भरी मटकी मिली है।
हरकत में आई पुलिस, चांदी के विक्टोरिया सिक्के बरामद
इसके बाद पुलिस हरकत में आ गई और नायब तहसीलदार नटवर सिंह, सीओ सुशील कुमार यादव, प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार मिश्रा सदल बल मौके पर पहुंच गए और ग्रामीणों से वस्तु स्थिति की जानकारी ली। इसके बाद फिर से जेसीबी बुलाकर पुन: उसी खेत की खोदाई शुरू कराई गई। जिसमें मौके से सात चांदी के विक्टोरिया सिक्के बरामद हुए।
जमीन से निकली सिक्कों से भरी मटकी
थोड़ी देर बाद एसडीएम जंगबहादुर यादव भी मौके पर पहुंच गए। इस दौरान खेत स्वामी, जेसीबी चालक समेत अन्य गांव वालों से भी पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान गांव वालों ने बताया कि गुरुवार की दोपहर में सिक्कों से भरे मटकी निकली थी। जिसका हल्ला होने पर आसपास की बस्ती वाले पहुंच गए और कईयों ने कई सिक्के मौके से गायब भी कर दिया।
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वहीं लोगों का ये भी कहना है कि खेत स्वामी भी बड़ी मात्रा में सिक्के अपने साथ ले गया। हालांकि मोती पाल लगातार इस बात से इन्कार करता रहा। उसका कहना था कि वह एक भी सिक्का नहीं ले गया। पुलिस का कहना है कि विभिन्न बिदुओं पर जांच की जा रही है और सिक्कों की रिकवरी का प्रयास कर रही है।
चाँदी के राजाओ के चित्र बने हैं सातों सिक्कों पर
खुदाई से मिले सफेद धातु के ब्रिटिशकालीन सिक्कों पर सन 1862, 1877, 1878, 1900, 1901, 1904 व 1905 का सन अंकित है और ब्रिटिश हुकूमत के तत्कालीन राजाओं के चित्र बने हुए हैं। एसडीएम जंगबहादुर यादव ने बताया कि मामले के संबंध में राजस्व व पुलिस विभाग द्वारा संयुक्त रिपोर्ट बनाकर जिलाधिकारी को सौंप दी जाएगी और बरामद किए गए सातों सिक्के राजकीय कोषागार में जमा करा दिए जाएंगे।
भीषण बाढ़ में तबाह हो गयी थी पूरी बस्ती
चुनार गंगा के किनारे बसा एक प्राचीन नगर है। जहां पर खजाना मिला है। वहां सन 1936 में वहां गाँव हुआ करता था। जिस खेत की खोदाई के दौरान खजाने के मिलने की बात सामने आई है। उस जगह पुराने जमाने मे वहां बस्ती हुआ करती थी। जिसका सबूत पास में स्थित सैकड़ो साल पुराना बंजारा कुआं भी कर रहा था।
1936 में आई भीषण बाढ़ के दौरान पूरी बस्ती तबाह
इस बारे में ग्रामीणों ने बताया कि यहां पहले बस्ती हुआ करती थी और लोगों के कच्चे मकान थे। सन 1936 में आई भीषण बाढ़ के दौरान पूरी बस्ती तबाह हो गई और बस्ती के लोगों ने दक्षिण ओर करीब चार सौ मीटर दूर अपने आशियाने बना लिए और बाद में यहां खेती होने लगी। जिनके खेत मे खजाना मिला है ।
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उन्होंने बताया भगवान दास पाल, जगन्नाथ पाल और बैजनाथ पाल तीन भाईयों की तीसरी पीढ़ी खेती बारी कर रही है। भगवान दास पाल के पौत्र मोती पाल का कहना था कि उसका खेत थोड़ी ऊंचाई पर है जहां पानी चढ़ाने में समस्या आ रही थी उसी के समतलीकरण के लिए जेसीबी से लेबलिग कराई जा रही थी। वह कुएं के पास ही कुछ लोगों के साथ बैठा था उसी समय सिक्के निकलने के बाद जेसीबी चालक चंदन ने काम रोक दिया था।
रिपोर्ट: बृजेंद्र दुबे
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