60 घंटे का लॉकडाउन: यहां आदिवासी सदियों से कर रहे पालन, इसलिए है ये बेहद खास

PM मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में प्रकृति की रक्षा के लिए बिहार के पश्चिमी चंपारण में थारु आदिवासी समाज द्वारा मनाए जाने वाले बरना त्योहार का भी जिक्र किया।

Shreya
Published on: 30 Aug 2020 11:52 AM GMT
60 घंटे का लॉकडाउन: यहां आदिवासी सदियों से कर रहे पालन, इसलिए है ये बेहद खास
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थारु आदिवासी करते हैं 60 घंटे लॉकडाउन का पालन

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिए 68वीं बार देश की जनता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पर्व और पर्यावरण के बीच के गहरे नाते की चर्चा भी की। PM मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में प्रकृति की रक्षा के लिए बिहार के पश्चिमी चंपारण में थारु आदिवासी समाज द्वारा मनाए जाने वाले बरना त्योहार का भी जिक्र किया। बिहार के पश्चिमी चंपारण में थारू आदिवासी समाज के लोग सदियों से 60 घंटे के लॉकडाउन का पालन करते हैं।

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प्रकृति के प्रेम को दर्शाता है बरना त्योहार

दरअसल, यहां पर थारू आदिवासी समाज के लोग 'बरना' नाम से एक त्योहार मनाते हैं, जो प्रकृति के प्रेम को दर्शाता है। ये त्योहार प्रकृति की रक्षा के लिए आयोजित किया जाता है। ये थारू समाज के लोगों का हिस्सा है। आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन या फिर यू कहें कि ‘60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं। इस दौरान ना तो कोई गांव में आता है और ना ही कोई अपने घरों से बाहर निकलता है।

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कैसे मनाते हैं बरना त्योहार?

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि थारू आदिवासी समाज के लोग ये मानते हैं कि अगर बरना त्योहार के दौरान वह बाहर निकले या फिर कोई बाहर से आया तो उनके आने-जाने से और उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों से नए पेड़-पौधों को नुकसान हो सकता है। जिससे प्रकृति की हानि हो सकती है। बरना की शुरूआत में थारू समाज के लोग भव्य तरीके से पूजा-पाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परंपरा के गीत, संगीत, नृत्य जमकर के होते हैं।

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अनुशासन, जो मन को छू लेने वाला

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि मौजूदा समय उत्सव का है जब जगह-जगह मेले लगते हैं और धार्मिक पूजा पाठ किए जाते हैं। कोरोना संकट काल में भी लोगों के मन में उमंग और उत्साह दिख रहा है और इसके साथ ही ऐसा अनुशासन भी जो मन को छू लेने वाला है। सही बात तो यह है कि देश के लोगों को अपने दायित्वों का बखूबी एहसास भी है। रोजमर्रा के काम में लोग अपना ही नहीं बल्कि दूसरों का भी पूरा ख्याल रख रहे हैं।

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