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बड़ा खुलासा: वायरस शरीर में होने के बाद भी बीमार नहीं पड़ते चमगादड़, ये है वजह

शोधकर्ताओं का कहना है कि किसी भी वायरस को जानवर से इंसानों में फैलने और बडे स्तर पर प्रसार करने के लिए एक खास होस्ट की आवश्यकता होती है और चमगादड़ के शरीर में इस तरह की कई खूबियां होती हैं।

Shreya
Published on: 9 May 2020 11:46 AM GMT
बड़ा खुलासा: वायरस शरीर में होने के बाद भी बीमार नहीं पड़ते चमगादड़, ये है वजह
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नई दिल्ली: चीन के वुहान प्रांत से शुरु हुए कोरोना वायरस को लेकर शुरुआत से ही ये कहा जा रहा है कि ये महामारी चमगादड़ों से फैली है। वैज्ञानिकों का मानना है कि SARS-CoV-2 और कोरोना वायरस जैसे कई वायरस के लिए चमगादड़ का शरीर एक सुरक्षित पनाहगाह के रुप में काम करता है। केवल कोरोना वायरस ही नहीं बल्कि सार्स और मर्स जैसे वायरस भी चमगादड़ों से फैल चुके हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि किसी भी वायरस को जानवर से इंसानों में फैलने और बडे स्तर पर प्रसार करने के लिए एक खास होस्ट की आवश्यकता होती है और चमगादड़ के शरीर में इस तरह की कई खूबियां होती हैं। चमगादड़ के शरीर में कोरोना वायरस की ना केवल संख्या बढ़ती है बल्कि उसके शरीर में इनका म्यूटेशन भी होता रहता है।

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शरीर में वायरस होने के बाद भी बीमार क्यों नहीं पड़ते चमगादड़?

लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर चमगादड़ के शरीर में वायरस होने के बावजूद भी उसे कोई नुकसान क्यों नहीं होता? चमगादड़ के शरीर में भारी संख्या में कोरोना वायरस होते हैं फिर भी वो कभी बीमारी क्यों नहीं पड़ते?

चमगादड़ के सेल्स को वायरस नहीं पहुंचाता नुकसान

शोधकर्ताओं के मुताबिक, चमगादड़ के SARS-CoV-2 वायरस और शरीर में मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम यानि मर्स पाया जाता है। कोरोना वायरस शरीर के अंदर घूसते ही सबसे पहले व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर हमला करता है। शोध के मुताबिक, जब कोरोना वायरस चमगादड़ के शरीर में घूसता है तो उसके सेल्स को नुकसान पहुंचाने की बजाय यह उल्टा उसके बाद काम करना शुरु कर देता है।

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इम्यून सिस्टम को खराब करने के बजाय साथ करता है काम

कोरोना वायरस से पहले मर्स के मामले में भी यह देखा गया था कि यह वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश करने के बाद सेल्स को खत्म करने लगता है, लेकिन चमगादड़ की सेल्स को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है। यानि वायरस चमगादड़ के इम्यून सिस्टम को खराब नहीं करता, बल्कि उसके साथ मिलकर काम करता है।

अन्य जीवों में होती है सूजन लेकिन चमगादड़ में....

शोध के सहलेखक और यूसैक के साइंटिस्ट डेरिल फेलजारनो ने बताया कि मर्स वायरस तेजी से स्थान विशेष के मुताबिक खुद को ढाल सकते हैं। इस वजह से ये वायरस एक प्रजाती से दूसरी प्रजाती में आसानी से चले जाते हैं। साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, जब किसी जीव में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलता है तो उसके अंदर तेजी से सूजन बढ़ने लगती है। लेकिन चमगादड़ों में यह प्रक्रिया बहुत ही कमजोर होती है।

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चमगादड़ में तेजी से रेप्लिकेट नहीं होते वायरस

ऐसा चमगादड़ के इंफ्लेमेट्री रिस्पॉन्स में खामी होने की वजह से होता है। साथ ही चमगादड़ों में नेचुरल किलर सेल्स की एक्टिविटी काफी कम होती है। इस वजह से चमगादड़ के अंदर कोरोना वायरस के संक्रमण को कैरी करने वाली कोशिकाएं खत्म नहीं होती हैं। इसके अलावा चमगादड़ का मेटाबॉलिक रेट बहुत ज्‍यादा होने की वजह से उसमें रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज यानि ROS ज्यादा मात्रा में बनती हैं। जिससे कोरोना वायरस तेजी से रेप्लिकेट नहीं हो पाते। हालांकि, इससे वायरस का म्यूटेशन रेट काफी बढ़ जाता है।

फेफड़ों को नहीं होता कोई भी नुकसान

शोधकर्ताओं के मुताबिक, चमगादड़ के शरीर में कोरोना का म्यूटेशन बढ़ने से वायरस आसानी से किसी दूसरे होस्ट तक पहुंच जाता है। केवल इतना ही नहीं लगातार म्यूटेशन होने के चलते कोरोना वायरस और जानलेवा होता जाता है। चूंकि में चमगादड़ के अंदर स्ट्रॉन्ग इम्यून रिस्पॉन्स नहीं होता है, इसलिए उसके फेफड़ों को नुकसान होने की आशंका भी काफी कम होती है। स्ट्रॉन्ग इम्यून रिस्पॉन्स नहीं होने के चलते चमगादड़ के फेफड़ों और शरीर में ना तो ज्यादा सूजन आती है और ना ही उसे सांस लेने में तकलीफ होती है।

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इसलिए चमगादड़ वायरस के लिए होते हैं परफेक्ट होस्ट

जानवर की कुछ खासियतों को देखने के बाद ही कोई भी वायरस उसे अपना होस्ट चुनता है। इसके लिए होस्ट बनने वाले जानवर की आयु लंबी होनी आवश्यक है। इसलिए भी चमगादड़ ज्यादातर वायरस के लिए एक अच्छा होस्ट साबित होता है। बता दें कि एक चमगादड़ की सामान्य आयु 16 साल से 40 साल तक होती है।

वायरस को पसंद हैं ऐसे होस्ट

इसके अलावा कोई भी वायरस ऐसे जीव को होस्ट बनाना पसंद करते हैं जो बड़ी संख्या में एक साथ रहते हों। ताकि वायरस तेजी से एक जीव से ज्यादा से ज्यादा जीव में फैल सके। इस मामले में भी वायरस के लिए चमगादड़ एक बेहतर होस्ट होता है। क्‍योंकि ये गुफाओं में झुंड में रहते हैं। साथ ही चमगादड़ दूर तक उड़ भी सकता है, ऐसे में वायरस दूर-दूर तक फैला जाता है।

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