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Most Powerful Missile: अब नहीं बचेंगे पाकिस्तान-चीन, भारत ला रहा सबसे ताकतवर मिसाइल, रूस करेगा डिलीवरी

Most Powerful Missile S-400: S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को रूस का सबसे अडवांस वर्जन के तौर पर देखा जा रहा है। पूरी दुनियां इसकी ताकत के आगे नतमस्तक है। आपको बताते चलें कि S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को रूसी कंपनी अल्माज-एंटी ने डिजाइन किया है। इसका निर्माण फकेल मशीन-बिल्डिंग डिजाइन ब्यूरो करती है। एस-400 की प्रति सिस्टम लागत 300 मिलियन डॉलर है।

Jyotsna Singh
Published on: 31 Aug 2023 8:48 AM IST
Most Powerful Missile: अब नहीं बचेंगे पाकिस्तान-चीन, भारत ला रहा सबसे ताकतवर मिसाइल, रूस करेगा डिलीवरी
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Most Powerful Missile S-400 (Photo: Social Media)

SMost Powerful Missile S-400: S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को रूस का सबसे अडवांस वर्जन के तौर पर देखा जा रहा है। पूरी दुनियां इसकी ताकत के आगे नतमस्तक है। ये लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम पलक झपकते ही अपने दुश्मन सेना के क्रूज, फाइटर जेट के साथ ही साथ बेहद शक्तिशाली बैलिस्टिक मिसाइलों का भी बिना देर किए काम तमाम करने का दमखम रखता है। आपको बताते चलें कि S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को रूसी कंपनी अल्माज-एंटी ने डिजाइन किया है। इसका निर्माण फकेल मशीन-बिल्डिंग डिजाइन ब्यूरो करती है। एस-400 की प्रति सिस्टम लागत 300 मिलियन डॉलर है।

जाने Missile S-400 के बारे में

यह मिसाइल सिस्टम 28 अप्रैल, 2007 से ही रूसी सेना में प्रयोग में लाया जा चुका है। रूस और भारत के बीच इस मिसाइल सिस्टम को लेकर हुई डील के बीच मौजूदा वक्त में कई तरह की अटकलों का बाजार गर्म हो रहा है। अफवाहों की माने तो रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे लंबे समय से युद्ध के चलते अब रूस अपनी इस डील के अनुसार तय समय सीमा के अनुरूप डिलिवरी देने में पीछे हट रहा है। लेकिन रूस ने इन अफवाहों पर लगे विरामचिन्ह को हटाते हुए साफ तौर पर कहा है कि भारत को तय समय पर एस-400 एयर डिफेंस सिस्‍टम की डिलीवरी दी जाएगी।

इंटरफैक्स न्‍यूज एजेंसी ने एक सीनियर रूसी डिफेंस ऑफिसर के हवाले से यह बात कही है। सर्विस फॉर मिलिट्री-टेक्निकल कोऑपरेशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में इस बात का ऐलान किया गया है। भारत और रूस लंबे समय से आपस में मित्र देशों में शुमार हैं। यूक्रेन की जंग के दौरान भी इन दोनों देशों के बीच संबंधों में कोई बदलाव नहीं देखा गया। इसी मित्रता को आगे बढ़ाते हुए रूस भारत के साथ किया गया अपना एक वादा जल्द ही पूरा करेगा। जिसके अंतर्गत भारत को एस-400 एयर डिफेंस सिस्‍टम और इससे जुड़े उपकरणों की बची हुई डिलीवरी शेड्यूल टाइम पर ही होगी।

तय शेड्यूल पर ही चल रहा मिसाइल सिस्टम का प्रोडक्‍शन

इंटरफैक्स ने मिलिट्री टेक्निकल को-ऑपरेशन के मुखिया दिमित्री शुगाएव के हवाले से बताया है कि एस-400 ट्रायम्फ एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम का प्रोडक्‍शन तय शेड्यूल पर ही चल रहा है। सशस्त्र बलों के एक कार्यक्रम के दौरान टिप्पणियों में उन्होंने कहा, 'एस-400 ट्रायम्फ सिस्‍टम के उपकरणों की डिलीवरी सहमत समय सीमा के अंदर पूरी होने की उम्मीद है।'प्रोडक्‍शन ऑन टाइम चल रहा
आपको बताते चलें कि भारत वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी संख्या में हथियार आयातक है और अभी भी कई ट्रेडिशनल हथियारों के निर्माण में ज्यादा से ज्यादा रूसी तकनीक का ही इस्तेमाल कर रहा है।

बाकी किश्त की साल 2024 के अंत तक डिलिवरी संभव

आपको बताते चलें कि भारत ने साल 2018 में रूस के साथ 5.4 बिलियन डॉलर में कुल पांच S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्‍टम यूनिट्स की डील को साइन किया था। रूस अब तक भारत को तीन S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्‍टम की डिलीवरी तय समय पर दे चुका है। वहीं बाकी बची दो डिलिवरी जिनका का इंतजार किया जा रहा है। इंटरफैक्स की तरफ से बताया गया है कि रूस डील के अनुसार तय समय पर S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्‍टम की डिलीवरी भारत को साल 2024 की समाप्ति से पहले ही पूर्ण करेगा। जबकि भारतीय वायु सेना की तरफ से इस साल मार्च महीने में कहा गया था कि यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस से महत्वपूर्ण रक्षा आपूर्ति में देरी हो सकती है। लेकिन रूस द्वारा बयान जारी किए जाने पर अब इस S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्‍टम की शेष बची डिलिवरी के टलने की संभावना पर अब पूर्णविराम लग चुका है।

S-400 की डिलीवरी चीन-पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती

भारत अपनी सीमा रेखा पर लगातार चल रही आतंकी गतिविधियों के चलते चीन और पाकिस्तान के रूप में दो मोर्चों पर दो दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए S-400 की तैनाती कर सकता है। रूस द्वारा S-400 तय समय पर होने वाली डिलीवरी चीन-पाकिस्तान के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है।
इससे पहले भारत को रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तीसरी स्‍क्‍वाड्रन मिली थी। इस यूनिट को पंजाब और राजस्थान में पाकिस्तान से लगी सीमा पर तैनात किया गया था। अब नई स्‍क्‍वाड्रन को चीन से लगी वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात किया जा सकता है।

Jyotsna Singh

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