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Lucknow City History: नवाबों के शहर लखनऊ के नवाबी बोल, मोहल्ले के नाम, व बोलचाल का लुत्फ उठायें
Lucknow : उत्तर प्रदेश के मशहूर शहरों में से एक है जिसकी नवाबी संस्कृति, बोलचाल और तमाम आदाब कायम हैं। यह शहर नवाबों की राजधानी रहा है और उनकी आयातित महलों, बाग-बगीचों और आदाब-शान के लिए मशहूर है।
Lucknow City History:
बंदरियाबाग़,
सरकटा नाला,
मामूं भांजे की क़बर,
नादान महल,
अंधे की चौकी,
गड़बड़झाला,
चौपटियां,
तोप दरवाज़ा,
बाज़ार ख़ाला,
टेढ़ी पुलिया,
मछली मोहाल,
कटाई का पुल,
मुफ़्तीगंज,
बारुदख़ाना,
टक्साल वाली गली,
कच्चा पुल,
भूतनाथ,
गूंगे नवाब का पुल,
कैश एंड पे कालोनी,
ऐशबाग़,
घसियारी मंडी,
चरस मंडी
रथख़ाना
कंघी टोला
जंगली गंज,
धनिया मेहरी पुल,
कूचा मीर अनीस,
मार्टिन पुरवा,
कप्तान का कुंआ,
बावर्ची टोला,
मशालची टोला,
बेरूनी ख़न्दक़,
तस्वीर वाली गली,
नाका हिंडोला,
पानदरीबा,
लंगड़ा फाटक,
डंडय्या बाज़ार,
बांबे वाली गली,
चोर गली,
हाथीख़ाना,
टेढ़ी बाज़ार,
डिप्टी की बगिया,
कल्लन की लाट,
ज़नाना पार्क,
मक़्बरा, नरही, etc.
गूंगे नवाब पार्क, नया गांव, तालाब गंगनी शुकुल, कसाई बाड़ा, टेढ़ी बाज़ार, तकिया, इंटकी मोहल्ला, पाटानाला, टाट पट्टी, झवाईं टोला, गन्ने वाली गली, छाछी कुआं, दुगावां, पाटानाला, ब्लंट स्क्वायर, बड़ा छत्ता, छोटा छत्ता, ड्योढी आगामीर, टेढ़ी कोठी...
Some typically words spoken in Lucknow:
उनके हियां,
टम्मपो,
दो ठो,
मोमिया,
मोमजामा,
लिफ़ाफ़िया,
जैकेट को जॉकिट,
लईया, मुरमुरा,
बम्बा,
कड़वा तेल,
अमां, अमां यार,
नखलऊ,
कनकऊवा,
चिल्लर,
सुफ़ेद,
मेहरून,
चिम्मच,
गेट का दरवाज़ा,
रक्शा,
महल्ले,
पारिक,
फ़िराईड़े,
दुई ठो,
महजीद,
पिरिच,
जिगह,
तशतरी,
सिरमैंट,
फ़ून,
दरव्वजा,
मूमफ़ली,
अख़्ख़ाह,
गैय्या,
लबेसड़क,
दीहिस,
ज़ीना,
टिमाटर,
इन्ने,
फ़िराक,
कल्लो,
बिस्कुट,
चद्दर,
खंगाल,
पतलून,
ईमामदस्ता,
ऐज़ारबन्द,
बकैत,
बौड़म,
खुटिया,
दस्तपनाह,
लैट जला दे,
को आवा है,
कईन था, हैगा,
हेंगी,
गुम्मा,
दरवज्जा..
ये लखनऊ वाले पूरे देश में ख़ुशबू की तरह फैले हुए है. वैसे ख़ुशबू की जगह मैं रायता भी लिख सकता था लेकिन क्या करूं बचपन से लखनऊ का नमक और कबाब दोनो खाया है. एक सर्वे में पाया गया था कि लखनऊ भारत का दूसरा सबसे ख़ुश शहर है, हो भी क्यों ना हम बेवजह ख़ुश रहना जो जानते है। एक लखनऊ वाले को दिल्ली में कुतुब मिनार या मुम्बई में गेट वे ऑफ इंडिया देखकर उतनी खुशी नहीं होती जितनी वहां UP 32 की गाड़ी देख कर होती है ।
चलिए आपको बताते हैं कि सैकड़ों की भीड़ से लखनऊ वालों को कैसे पहचानें.
1) कबाब, चाट और खस्ते-कचौड़ी की वकालत!
कभी भी अपने शहर के खाने की ज़्यादा तारीफ़ करिए, लखनवी अपने कबाब, चाट और खस्ते कचौड़ी की तारीफ़ की दुकान वहीं खोल कर बैठ जाएंगे। ये लखनऊ वाले दूसरे शहर जाते ही हैं, अपने शहर के खाने की तारीफ़ करने।
2) मैं नहीं हम!
जहां 'मैं' की भीड़ में एक 'हम' सुनाई दे समझ जाओ अगले के तार लखनऊ से जुड़े हैं।
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3) मटर वाले पानी के बताशे।
गोलगप्पे की दुकान पर कोई आलू या छोले के बदले सफ़ेद मटर और पांच तरह के पानी की डिमांड या ज़िक्र करे तो समझ जाइए वो लखनवी है।
4) ख़ुशमिजाज़
ख़ुशमिजाज़ी तो लखनऊ वालों के खून में है।मुस्कुराइये जनाब आप लखनऊ में हैं ऐसे ही थोड़ी कहते हैं।ये बेवजह ख़ुश रहना जानते हैं।
5) लखनऊ छोटा शहर नहीं है!
किसी लखनऊ वाले को भड़काना हो तो बस इतना बोलिए कि 'लखनऊ तो छोटा शहर है'।भाई साहब इंच टेप लेकर लड़ने आ जाएगा।
6) नाश्ते में दही जलेबी।
कहीं किसी शहर के नुक्कड़ पर अगर कोई हलवाई से दही जलेबी ख़रीद कर खाता दिखे तो समझ जाओ वो लखनवी है।जी जनाब, लखनऊ वाले दही जलेबी खाते हैं, वो भी बड़े चाव से।
7) लखनवी Dictionary
कुछ शब्द आपको लखनऊ वालों के मुंह से ही सुनाई देंगे।लखनऊ में लोग मारते नहीं हौंकते या पेलते हैं।बच्चों की यहां कुटाई होती है और यहां लौंडों का भौकाल टाइट रहता है। यहां लड़ाई नहीं, मैटर होता है और जो इनसे कायदे में रहता है, वही फ़ायदे में रहता हैं
8) चिकन खाते ही नहीं, पहनते भी है।
लखनवी चिकन तो पूरी दुनिया में मशहूर है। इसी के साथ मशहूर है चिकन खाने और पहनने वाला । ये जोक, जो हर लखनवी कभी न कभी मार ही देगा।
9) लखनऊ में मज़ा है, नखलऊ में Feel है।
लखनऊ वालों के कान तो अपने शहर का नाम सुनते ही खड़े हो जाते हैं. 'अमां मियां हम नखलऊ से हैं।
( साभार सोँसल मीडिया से।)