×

आनंदी माता मंदिर: पाठा की देवी के अतिप्राचीन मन्दिर का कब होगा कायाकल्प...

जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर मानिकपुर (पाठा) के अंर्तगत आने वाला मरवरिया पहाड़ पर स्थित आनंदी माता का मंदिर । इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि डकैतो के खौफ और आतंक का इतना बड़ा सम्राज्य रहा लेकिन आज तक इस मंदिर के मान्यता और श्रद्धा में कोई कमी नही आई । यहां तक कहा जाता है कि चार दशक तक चित्रकूट के बीहड़ो में राज करने वाला दस्यु सम्राट ददुआ भी आनंदी माता का बड़ा भक्त था।

SK Gautam
Published on: 21 Nov 2019 1:30 PM GMT
आनंदी माता मंदिर: पाठा की देवी के अतिप्राचीन मन्दिर का कब होगा कायाकल्प...
X

चित्रकूट: धर्मनगरी चित्रकूट में ऐसे कई ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं से जुड़े स्थल हैं जो आज भी बदहाल अवस्था मे हैं । अगर इन स्थानों का सरकार कायाकल्प कर पर्यटन की मुख्यधारा से जोड़े तो यकीन मानिए चित्रकूट सहित समूचे पाठा की स्थिति सुधर जाएगी ।

ये भी देखें : मचा कोहराम! ‘खूनी हाइवे’ पर हुआ दिल दहला देने वाला एक्सीडेंट, हुई दर्दनाक मौत

आज तक इस मंदिर के मान्यता और श्रद्धा में कोई कमी नही आई

ऐसा ही एक स्थान है जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर मानिकपुर (पाठा) के अंर्तगत आने वाला मरवरिया पहाड़ पर स्थित आनंदी माता का मंदिर । इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि डकैतो के खौफ और आतंक का इतना बड़ा सम्राज्य रहा लेकिन आज तक इस मंदिर के मान्यता और श्रद्धा में कोई कमी नही आई । यहां तक कहा जाता है कि चार दशक तक चित्रकूट के बीहड़ो में राज करने वाला दस्यु सम्राट ददुआ भी आनंदी माता का बड़ा भक्त था।

स्थानीय श्रद्धालु लवलीन तोमर ताते हैं कि माता का मंदिर पहले पहाड़ के ऊपर बसा था। मान्यता है कि क्षेत्र की गर्भवती महिलाएं पहाड़ नहीं चढ़ पाती थीं तो उन्होंने माता से कहा कि थोड़ा नीचे दरबार होता तो मां की सेवा कर पाते। महिलाओं की फरियाद पर मां ने कहा कि कल नीचे आ जाएंगे। वापस जाओ और पीछे मुड़कर मत देखना। माता पहाड़ से नीचे उतर रही थीं, तभी महिला ने पीछे देख लिया और मां आनंदी ने सिर नीचे कर लिया और उल्टी होकर बिराजमान हो गईं।

ये भी देखें : हिंदुओं के लिए हुई ऐतिहासिक गलती, अब आरएसएस करने जा रही ये काम

कुंआ कीचड़ से पटा है और हैंडपंप से पानी ही नहीं आता

मंदिर के पांच किलोमीटर दायरे में सिर्फ जंगल है। कंकरीला और पथरीला पगडंडी का रास्ता है। जंगल घना होनेे के कारण धूप रहते ही अंधेरा होने लगता है। तीन किलोमीटर दायरे में सिर्फ मंदिर की सीढ़ियों के पास एक कुंआ, एक हैंडपंप है। कुंआ कीचड़ से पटा है और हैंडपंप से पानी ही नहीं आता है। ऐसे में मंदिर जाने वाले प्यासे ही तड़प जाएं।

भक्त कहते हैं कि मंदिर के प्रति हमारी गहरी आस्था है। वहां अभी तक कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, लेकिन अभी तक डकैतो का साम्राज्य था इस कारण डर था । लेकिन अब डकैतो के खात्मे के बाद इस मंदिर के कायाकल्प की सम्भावनायें बढ़ी हैं । पहाड़ के बीच बना यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है। मरवरिया पहाड़ पर होने के कारण मंदिर मरवरिया बाई के नाम से भी प्रसिद्ध है।

ये भी देखें : मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड में हो रही है गुटबाजी: वसीम रिजवी

मंदिर के पुजारी चंद्रमादासजी महराज बताते हैं कि वह 18 साल से मंदिर की सेवा कर रहे है। मंदिर ऊंचे पहाड़ों से घिरा है और चारों तरफ घना जंगल है। जंगल में पांच किलोमीटर पैदल चलने के बाद 300 सीढ़ियां चढ़कर माता का दरबार है। मान्यता और अटूट आस्था के बाद भी श्रद्धालु मंदिर लगातार आते रहते हैं।

मेले और भंडारे के समय प्रशासन से सुरक्षा की मांग की जाती है

पुजारी के अनुसार मंदिर से लगे 30 गांव के लोग माता के दरबार में दर्शन करने आते हैं, लेकिन आने वाले लोगों में सिर्फ किसान और लकड़ी काटने वाले ही होते हैं। जंगली और डकैतों का क्षेत्र होने के कारण संपन्न लोग पांच किलोमीटर दायरे में भी नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि मेले और भंडारे के समय प्रशासन से सुरक्षा की मांग की जाती है, लेकिन वह भी नहीं मिलती । कहा जाता है कि आनंदी माता मैहर स्थित शारदा माता की छोटी बहन भी हैं जिनके प्रति स्थानीय लोगो की श्रद्धा बहुत है।

ये भी देखें : इमरान को कड़ी चेतावनी! अपने ही देश में लगाई गई फटकार, भड़के जस्टिस

मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए संघर्षरत युवा व्यापारी विनीत गुप्ता कहते हैं कि अगर आनंदी माता का कायाकल्प हो जाये तो पाठा का समुचित विकास होगा । इस मंदिर को पर्यटन की मुख्य धारा से जोड़ना चाहिए ,क्योंकि मन्दिर अतिप्राचीन है । उन्होंने बताया कि वह मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए लगातार यह उठा रहे हैं और इस दिशा में उन्होंने 151 दान पेटियां समूचे मानिकपुर में लगवाई हैं जिसमे हर नागरिक अपनी स्वेछानुसार दान कर रहा है।

इस मंदिर की बदहाली का आलम ये है कि आज तक न किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान दिया और न ही सरकार व्यवस्था ने ,इसीलिए इतना ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर आम लोगो से दूर है । सबसे बडी अड़चन रानीपुर वन्य जीव अभ्यारण्य है जिसके कारण इस मन्दिर का विकास नहीं हो पा रहा ,हर नए विकास में ये अड़चन है ।

ये भी देखें : जरूर देखें ये! कैसे 12वीं फेल बना IAS ऑफिसर, चौंका दिया सभी को

अब क्षेत्रवासियों को नवनिर्वाचित विधायक आनंद शुक्ला से आस जगी है कि वह इस मंदिर का कायाकल्प करते हुए इसे पर्यटन की मुख्य धारा से जोड़ेंगे । अब देखना होगा कि कब तक इस मंदिर का निर्माण होगा ।

उपजिलाधिकारी, संगमलाल गुप्ता ने कहा-

मन्दिर सैकड़ो वर्ष पुराना है और आपकी खबर के माध्यम से हमे जानकारी हुई है । ये मंदिर रानीपुर वन्य जीव अभ्यारण्य में आता है और हम विभाग से बात करेंगे और जल्द ही इसके कायाकल्प हेतु कोशिश तेज करेंगे - संगमलाल गुप्ता,उपजिलाधिकारी

विधायक , मानिकपुर-आनंद शुक्ला ने कहा-

पर्यटन का विकास हमारी सरकार का मुख्य एजेंडा है । सीएम योगी आदित्यनाथ धर्मनगरी चित्रकूट के विकास हेतु प्रतिबद्ध हैं ऐसे में मेरा भी व्यक्तिगत प्रयास रहेगा कि इस प्राचीन स्थान का विकास हो - आनंद शुक्ला , विधायक , मानिकपुर

SK Gautam

SK Gautam

Next Story