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बड़ी लापरवाही: यहां हजारों शिक्षकों को नहीं मिला वेतन, फंसा 36 करोड़ रुपये

पूरे प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद से जुड़े सभी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षकों का वेतन जारी हो गया है, बावजूद इसके अभी तक गोंडा जिले के हजारों शिक्षक अपने वेतन का इंतजार कर रहे हैं।

Shreya
Published on: 16 July 2020 6:09 AM GMT
बड़ी लापरवाही: यहां हजारों शिक्षकों को नहीं मिला वेतन, फंसा 36 करोड़ रुपये
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गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों के हजारों शिक्षकों का वेतन फंस गया है। पूरे प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद से जुड़े सभी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षकों का वेतन जारी हो गया है, बावजूद इसके अभी तक गोंडा जिले के हजारों शिक्षक अपने वेतन का इंतजार कर रहे हैं। वेतन जारी हुए 15 दिन बीत चुके हैं, लेकिन जिले के वित्त एवं लेखा विभाग की बड़ी लापरवाही के चलते बेसिक शिक्षा परिषद से जुड़े हजारों शिक्षकों का वेतन उनके खाते में नहीं पहुंच पाया है।

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Pan Card वेरिफिकेशन के बाद भी नहीं आई सैलरी

दरअसल, पहले वित्त एवं लेखा विभाग (Finance and Accounts Department) ने जिले के 643 शिक्षकों के पैन कार्ड (Pan Card) में गड़बड़ी पाए जाने के नाम पर जांच के लिए यह सूची शासन को भेज दी और उनका वेतन रोक दिया। वहीं, इस सूची पर बीएसए इंद्रजीत प्रजापति ने ऐतराज जताते हुए शासन को इसके विपरीत पत्र भेजा और उन्होंने केवल 15 टीचर्स के Pan Card के वेरीफिकेशन की बात कही। इसके बाद भी पूरे सूबे में पैन कार्ड की जांच की जा चुकी है और सभी को उनके वेतन भी मिल चुके हैं, लेकिन प्रदेश के गोंडा जिले के सात हजार 686 शिक्षकों को उनका वेतन अब तक रुका हुआ है।

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शिक्षकों ने अधिकारी पर लगाए लापरवाही के आरोप

वहीं परिषदीय शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा मंगलेश कुमार की लापरवाही के चलते शिक्षकों का 36 करोड़ रुपये का वेतन रुका हुआ है। अधिकारी पर यह भी आरोप है कि वो खुद कार्यालय नहीं आते हैं और घर बैठे ही सारे आदेश निर्गत करते हैं। शिक्षकों का कहना है कि सैलरी ना मिलने की वजह से कोरोना काल में लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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तीन महीने से नहीं मिला मानदेय

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके अलावा जिले के तकरीबन तीन हजार शिक्षामित्रों और लगभग 900 अनुदेशकों को पिछले तीन महीने से मानदेय अब तक नहीं मिला है और लोग परेशान हैं। वहीं जब वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा मंगलेश कुमार से इस बारे में जानने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो पया। वो इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।

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