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हाथरस मामला: अब 02 नवम्बर को होगी उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई
हाथरस में बीती 14 सितंबर को 19 साल की एक दलित लड़की से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार तथा मारपीट की बात सामने आयी। मारपीट का मामला दर्ज किया गया और 19 सितम्बर को मुख्य आरोपी संदीप सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया।
लखनऊ। हाथरस में दलित लड़की के साथ हुए दुष्कर्म और मौत के मामलें में उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सोमवार को पीड़ित परिवार की पूरी बात सुनने के बाद 02 नवम्बर की तारीख दी है।अब 02 नवम्बर को अगली सुनवाई होगी। बताया जा रहा है कि परिवार ने न्यायालय के समक्ष स्थानीय पुलिस की कार्यशैली और बिना परिवार की अनुमति के युवती के दाह संस्कार किए पर आपत्ति जतायी है।
हाथरस मामले में शुरुआत से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ
हाथरस में बीती 14 सितंबर को 19 साल की एक दलित लड़की से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार तथा मारपीट की बात सामने आयी। मारपीट का मामला दर्ज किया गया और 19 सितम्बर को मुख्य आरोपी संदीप सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। 22 सितम्बर को स्थानीय थाने में गैंगरेप की एफआईआर दर्ज की गई और लड़की को अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, यही लड़की के गैंगरेप की जांच के लिए मेडिकल किया गया।
इसी बीच पुलिस ने 23 सितम्बर को एक अन्य आरोपी लवकुश को और 25 व 26 सितम्बर को दो अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया। इधर, अलीगढ़ में लड़की की तबीयत ज्यादा खराब होने पर उसे 28 सितम्बर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां इलाज के दौरान 29 सितंबर को उसकी मौत हो गयी। लड़की के शव का 29 व 30 सितंबर के बीच की रात को अंतिम संस्कार किया गया था। जिस पर लड़की के परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शव को जबरन पेट्रोल डालकर जलाया था, जबकि पुलिस का दावा है कि परिजन की रजामंदी से ही अंतिम संस्कार किया गया था।
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पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हाथरस मामलें में की थी बात
मामले के तूल पकड़ने के बाद विपक्ष के निशाने पर आई योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के लिए 30 सितम्बर को तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन कर सात दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपेने को कहा। एसआईटी टीम में गृह सचिव भगवान स्वरूप, डीआईजी चंद्र प्रकाश और सेनानायक पीएसी आगरा पूनम एसआईटी के सदस्य बनाये गये। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हाथरस मामलें में बात की और इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवार से वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से बात की। पहली अक्टूबर को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हाथरस पीड़िता के परिवार से मिलने के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में यूपी पुलिस ने एक्सप्रेस-वे पर ही रोक दिया, जहां दिन भर हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा।
इस संबंध में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित 153 नामजद व 50 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। हाथरस में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत 31 अक्टूबर तक के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी। जिले के सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं। गांव के चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनाती कर दी गई और मीडिया समेत किसी भी बाहरी व्यक्ति को गांव के अंदर जाने पर रोक लगा दी गई। पहली अक्टूबर को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने हाथरस कांड को गंभीरता से लेते हुए स्वतः संज्ञान लेते हुए 12 अक्टूबर को अपर मुख्य सचिव गृह, डीजीपी एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, डीएम हाथरस व एसपी हाथरस को कोर्ट के समक्ष पेश होने का आदेश दिया।
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इन पुलिस अधिकारीयों का हुआ निलंबन
एसआईटी की प्रारम्भिक जांच के आधार पर यूपी सरकार ने 02 अक्टूबर को एसपी विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी श्रीराम शब्द, प्रभारी निरीक्षक दिनेश कुमार वर्मा, वरिष्ठ उपनिरीक्षक जगवीर सिंह, हेड मोर्हिरर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया तथा शामली के एसपी विनीत जायसवाल को हाथरस का नया एसपी बनाया। 03 अक्टूबर को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत पांच कांग्रेसी नेता अनुमति मिलने के बाद पीड़ित परिवार से मिलने हाथरस पहुंचे।
दोनों नेताओं ने यहां पीड़िता के परिवार से बंद कमरे में करीब एक घंटे तक बातचीत की। इसी दिन यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने हाथरस में पीड़ित परिवार से मुलाकात की। डीजीपी व अपर मुख्य सचिव की मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी। इसी बीच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग ने प्रमाणित किया कि हाथरस मामले में पीड़िता के साथ रेप का कोई सबूत नहीं मिला है।
05 अक्टूबर को हाथरस पीड़िता के परिवार से मिलने गये आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह पर स्याही फेंकी गई, जिसमे एक शख्स दीपक शर्मा को गिरफ्तार किया गया। 05 अक्टूबर को ही हाथरस पुलिस ने दावा किया कि यूपी में जातिय हिंसा भड़काने के लिए जस्टिस फॉर हाथरस नाम की एक वेबसाइट बना कर हाथरस घटना से जुड़ी फर्जी सूचना प्रसारित की गई। सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए वेबसाइट के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
सामूहिक गैंगरेप की शिकार हुई पीड़िता का अंतिम संस्कार
06 अक्टूबर को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कथित रूप से हाथरस में सामूहिक गैंगरेप की शिकार हुई पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में इसलिए किया गया क्योंकि ऐसी खुफिया जानकारी मिली थीं कि युवती और आरोपी दोनों के समुदायों के लाखों लोग राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ उसके गांव में इकट्ठा होंगे जिससे कानून-व्यवस्था को लेकर बड़ी समस्या हो सकती थी। इसके साथ ही यूपी सरकार ने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के रेप न होने की पुष्टि वाले सर्टिफिकेट को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के साथ पेश किया।
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07 अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) की जांच की समय सीमा 10 दिन बढ़ा दी। एसआईटी जांच में सामने आया कि पीड़िता के भाई और मुख्य आरोपी संदीप की फोन पर कई बार बातचीत हुई थी। अक्टूबर 2019 से लेकर मार्च 2020 के बीच दोनों ने एक दूसरे को 100 ज्यादा बार कॉल की। इसी दिन मथुरा में 04 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन पर आरोप है कि ये लोग शांति भंग करने के लिए हाथरस जा रहे थे।
मुख्य आरोपी संदीप के खिलाफ मामला दर्ज किया
रविवार 11 अक्टूबर को सीबीआई ने गैंगरेप की धारा 376 डी, हत्या का प्रयास की धारा 307, हत्या की धारा 302 तथा एसी-एसटी एक्ट की धारा 3 के तहत केवल मुख्य आरोपी संदीप के खिलाफ मामला दर्ज किया। इस पूरे मामलें की जांच सीबीआई लखनऊ की गाजियाबाद टीम को सौंपी गई। सीबीआई की टीम रविवार शाम को ही हाथरस पहुंच गई और स्थानीय थाने से जरूरी दस्तावेज अपने कब्जे में लिए।
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रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव, लखनऊ