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हाथरस कांड: सवालों के घेरे में सरकार, परिवार ने हाईकोर्ट को बताई पूरी कहानी
हाथरस कांड में पीडि़ता के अंतिम संस्कार का हाईकोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के बाद सोमवार को पीडि़ता के परिवार के सदस्य और प्रदेश सरकार के अधिकारी हाईकोर्ट में हाजिर हुए।
लखनऊ। हाथरस कांड में पीडि़ता का अंतिम संस्कार जबरन कराए जाने के मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने सुनवाई जारी रखते हुए दो नवंबर की अगली तारीख तय की है। कोर्ट ने हाथरस के जिलाधिकारी से भी मामले में पूछताछ की है।
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रात में अंतिम संस्कार कराना क्यों जरूरी
हाथरस कांड में पीडि़ता के अंतिम संस्कार का हाईकोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के बाद सोमवार को पीडि़ता के परिवार के सदस्य और प्रदेश सरकार के अधिकारी हाईकोर्ट में हाजिर हुए।
हाईकोर्ट ने परिवारजनों से पीडि़ता के अंतिम संस्कार जबरन कराए जाने की बाबत पूछा और शासन में बैठे अधिकारियों से भी पूछा कि रात में अंतिम संस्कार कराना क्यों जरूरी था।
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(courtesy- social media)
हाईकोर्ट यह जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या पीडि़ता के अंतिम संस्कार में मौलिक अधिकारों का हनन किया गया है। अदालत ने प्रदेश सरकार के अधिकारियों से भी पूछा कि अंतिम संस्कार में परिवार के सदस्यों की अनुमति क्यों नहीं ली गई।
पीडि़त परिवार के पांच सदस्य पहुंचे
पीडि़त परिवार की सुरक्षा की बाबत भी अधिकारियों से जानकारी मांगी गई। हाईकोर्ट में सोमवार को पीडि़त परिवार के पांच सदस्य पहुंचे थे। उन्होंने अदालत में अपना बयान दर्ज कराया है जिसके बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई जारी रखने का फैसला किया है।
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हाथरस कांड में क्या -क्या हुआ
14 सितंबर 2020 को हाथरस के बूलगढ़ी गांव में अनुसूचित जाति की 19 वर्षीय युवती के साथ बलात्कार व मारपीट की शिकायत थाने पहुंची। पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। वीडियो भी तैयार किया।
19 सितंबर को आरोपित संदीप को जेल भेजा गया।
फोटो(सोशल मीडिया)
23 सितंबर को दूसरे आरोपित लवकुश और 25 व 26 सितंबर को अन्य आरोपितों को जेल भेजा गया।
22 सितंबर को पीडि़ता ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया और गांव के संदीप समेत चार लोगों पर बलात्कार का आरोप लगाया। उसकी जीभ काटने और रीढ़ की हड्डी तोडऩे की बात सोशल मीडिया पर वायरल हुई।
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27 सितंबर को भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने अलीगढ़ पहुंचकर पीडि़ता से मुलाकात की। पीडि़ता का इलाज एम्स में कराने की मांग उठाई।
28 सितंबर को पीडि़ता को दिल्ली के सफदरगंज हॉस्पिटल ले जाया गया।
29 सितंबर को की सुबह मृत्यु, शव के लिए परिवारजनों को हॉस्पिटल गेट पर हंगामा। आधी रात के बाद शव लेकर एंबुलेंस हाथरस के बूलगढ़ी पहुंची। रात ढाई बजे प्रशासन ने कराया अंतिम संस्कार।
30 सितंबर को परिवार वालों ने जबरन अंतिम संस्कार का आरोप लगाते हुए विरोध किया। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री से फोन पर बात की। यूपी सरकार ने एसआईटी बनाई।
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परिवार के सदस्य को नौकरी, शहर में आवास देने का ऐलान
30 सितंबर की शाम को मुख्यमंत्री ने पीडि़ता के परिवारजनों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात की। 25 लाख नकद, परिवार के सदस्य को नौकरी, शहर में आवास देने का ऐलान।
1 अक्टूबर को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हाथरस जाने के लिए निकले, नोएडा में रोका गया, प्रदर्शन के बाद हिरासत में लिए गए।
1 अक्टूबर को ही हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया। शासन से मांगी रिपोर्ट।
2 अक्टूबर - एसआईटी की रिपोर्ट एसपी, सीओ हाथरस समेत अन्य अधिकारियोश्ं पर निलंबन की कार्रवाई।
3 अक्टूबर - अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी के साथ डीजीपी एचसी अवस्थी पहुंचे हाथरस। पीडि़त परिवार के सदस्यों से घर में मिले। दोनों अधिकारियों की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच का किया ऐलान।
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रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी