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वो आधुनिक होने के बाद भी रूढिवादीः हदयनारायण दीक्षित
अपने भाषण में शिक्षा स्वास्थ्य और आवास को लेकर भारत के किए जा रहे सार्थक प्रयासों को अर्न्तराष्ट्रीय मंच पर रखा। हमने 64वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में तेजी से हो रहे शहरीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों के निरंतर पलायन से निपटने के मुद्दे पर बताया कि जब भी बैठक हो, इस मामले को जरूर उठाया जाए।
श्रीधर अग्निहोत्री
देश की सबसे बड़ी यूपी विधानसभा की पहचान अपने स्थापना काल से ही दूसरे राज्यों की विधानसभाओं से अलग रही है। पर इधर ढाई वर्षो से इसकी अनूठी पहचान गौरवपूर्ण अतीत के साथ विधानसभा अध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित की कार्यशैली, उनके संसदीय ज्ञान, और उनकी लिखी कई पुस्तकों के कारण एक राज्य और एक देश तक सीमित न रहकर सीमाओं के बाहर भी बनती जा रही है।
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हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित सीपीसी कामन वेल्थ पालिर्यामेंट्री कांफ्रेन्स में हिस्सा लेने के लिए विदेश दौरे पर गए जहां उन्होंने 24 से 29 सितम्बर तक युगांडा की राजधानी कंपाला में आयोजित छह दिवसीय 64वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन (सीपीसी) में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया जिसमें विश्वभर के 52 राष्ट्र शामिल हुए।
उननके स्वदेश लौटते ही ‘अपना भारत’ के मुख्य संवाददाता श्रीधर अग्निहोत्री ने उनसे लम्बी बातचीत की। पेश है बातचीत के कुछ प्रमुख अंशः
अपना भारत: हाल ही में आप राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौटे हैं, इसके बारे में थोडा बताइए ?
विस अध्यक्षः यह सम्मेलन हर वर्ष होता है। पिछले वर्ष बांग्लादेश में और इस बार लंदन में आयोजित हुआ। सम्मेलन में विधानसभाओं के प्रमुख सचिवों के अलावा विधानसभाध्यक्षों को भी आमंत्रित किया जाता है। इसका आयोजन लंदन मुख्यालय के राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीसी) द्वारा किया गया, जिसमें 52 राष्ट्र शामिल है। जहां ‘हाउस आफ कामन्स’ और ‘हाउस आफ लार्डस’ भी गया।
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यह दुनिया का ‘मातृ सदन’ कहलाता है। खास बात यहां की संसद ने अपने इतिहास को बेहद कायदे से संजोया है। एक हजार वर्ष होने के बाद आज भी हाउस आफ कामन्स का स्वरूप् नहीं बदला गया क्योंकि इसको वह अपनी धरोहर मानते हैं। कहने को भारतीय रूढिवादी है पर हम धरोहरों को सहेजते नही जबकि वह आधुनिक कहलाते हैं फिर भी रूढिवादी है।
सम्मेलन के पहले और बाद में सभी राष्ट्रों के सदस्यों को तीन राष्ट्रों में संसदीय पद्वति के अध्ययन भ्रमण के लिए जाने का अवसर मिलता है। उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल प्री कांफ्रेंस स्टडी टूर के लिए लंदन एवं नीदरलैंड गया था।
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हमने लंदन के उच्चायोग में भारतीय प्रवासियों से मुलाकात करने के साथ ही ‘हाउस ऑफ कामन्स’ के सांसदांे के साथ ही भारतीय मूल के संासदों से भी भेंट की और ‘हाउस ऑफ कामन्स’ की कार्य प्रणाली का अध्ययन किया। वहां पर एक भारतीय मूल के सांसद ने रामकथा का आयोजन किया जहां पर भगवान राम पर मेरा उद्बोधन भी हुआ।
अपना भारतः नीदरलैड में आप स्टडी टूर करने गए वहां का क्या अनुभव रहा ?
विसअध्यक्षः नीदरलैण्ड के हेग शहर में अर्न्तराष्ट्रीय न्यायालय है, यहां के जज भी भारत के हैं। इस न्यायालय की खास बात यह है कि इसकी स्थापना एन्ड्रयू कारनेगी ने की थी, जो अमेरिका का बडा स्टील का व्यापारी था। उसकी कल्पना ही थी कि यदि अर्न्तराष्ट्रीय विवाद हो तो उसे कौन देखेगा। इसलिए उसने अपनी सारी सम्पत्ति इस भवन के निर्माण में लगा दी।
अपना भारतः अपने अध्ययन के दौरान नीदरलैण्ड की क्या खास बात रही ?
विसअध्यक्षः नीदरलैण्ड की खास बात यह है कि वहां के लोगों ने जलप्रबन्धन पर बहुत अच्छा काम किया है। वहां पर इस तरह की व्यवस्था है कि कभी कोई घर डूब नहीं सकता। वह इसलिए कि जब समुद्र उफनाए तो उसका जल नहरों के माध्यम से चलता रहे। घरों को नुकसान न होने पाए। मुझे अध्ययन के दौरान इस बात पर बडा आश्चर्य हुआ कि वहां पुलिस कहीं नहीं दिखाई पडी जो इस देश की विशेषता है। यह भी पाया कि दुनिया का सबसे बडा पनीर उत्पादक है।
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यहां हेग में आयोजित गांधी सेंटर में हिन्दी में लिखित पुस्तक के इंग्लिश संस्करण (द वे इंडिया थिंक्स) का लोकार्पण किया गया। यह पुस्तक मूल रूप से हिन्दी में सोचने की भारतीय दृष्टि नाम से भी लिखी गयी है। इस पुस्तक का प्रकाशन नीदरलैण्ड के एक्यूमैन पब्लिशर द्वारा किया गया है।
यहां हमने ऋग्वेद, उपनिषद एवं अन्य वैदिक ग्रन्थों के बारे में बताया कि भारतीय चिंतन की समग्र दृष्टि है। इस पुस्तक के माध्यम से भारतीय सोच के बारे में देश और दुनिया को बताने का एक सार्थक प्रयास किया गया है। हमें यहां इस बात को लेकर बेहद आश्यर्च हुआ कि पुस्तक के विमोचन के समय इतने लोग इक्टठे होकर भारतीय संस्कृति सभ्यता व ऋग्वैदिक कालीन विषयों को जानने व समझने के लिए रूचि का प्रदर्शन किया।
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अपने टूर के दोरान डच हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव के सांसद और डच हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष से भी भेंट की।
अपना भारत: स्टडी टूर के लिए जब प्रतिनिधिमंडल नीदरलैण्ड पहुंचा तो वहां आपका अनुभव कैसा रहा ?
विस अध्यक्ष: साउथ हालैंड के संसद में जाय किंग्स कमिश्नर से नीदरलैंड के हेग में भेंट करने के बाद उनको उत्तर प्रदेश आने का न्योता दिया। किंग्स कमिश्नर ने नीदरलैंड के कृषि एवं डेयरी आधारित अर्थव्यवस्था की चर्चा की। हमने किंग्स कमिश्नर से भारतीय दर्शन पर भी चर्चा की एवं अपनी पुस्तक गीता के अंग्रेजी संस्करण की एक प्रति भेंट की।
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इसके अलावा डच सांसद, श्रीमती पी डिज्कास्ट्रा से भेंट की और उन्हें भारतीय संसद एवं उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया एवं संचालन के बारे में बताया। इसके अलावा उन्हें भारत के संविधान के अंतर्गत राज्य एवं केंद्र के संबंधों के विषय में भी बताया। इस दौरान डच एवं भारतीय संसदीय समितियों की कार्यवाही पर चर्चा हुई।
अपना भारतः युगाण्डा में भी आप स्टडी टूर के लिए गए थें। क्या खास बात वहां पायी गयी ?
विस अध्यक्ष: पार्लियामेंटी सिस्टम बेहतर करने पर चर्चा हुई। यहां पर ग्रुपों में कई देशों को बांटा गया और चर्चा हुई कि गांवो के लोगों का शहरों की तरफ पलायन बढ रहा है। इसमें प्रमुख वक्ता के तौर पर हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बारे में किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की।
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अपने भाषण में शिक्षा स्वास्थ्य और आवास को लेकर भारत के किए जा रहे सार्थक प्रयासों को अर्न्तराष्ट्रीय मंच पर रखा। हमने 64वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में तेजी से हो रहे शहरीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों के निरंतर पलायन से निपटने के मुद्दे पर बताया कि जब भी बैठक हो, इस मामले को जरूर उठाया जाए।