TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

हाईकोर्ट ने पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत चयन देने का दिया निर्देश

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने सिपाही भर्ती 2015 के ओबीसी अभ्यर्थी सतीश कुमार यादव की याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची ने आवेदन के समय भर्ती बोर्ड द्वारा निर्धारित प्रारूप पर जाति प्रमाणपत्र संलग्न किया था, लेकिन प्रपत्रों की जांच के समय उसने केन्द्र

Harsh Pandey
Published on: 22 Aug 2023 7:13 PM IST
हाईकोर्ट ने पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत चयन देने का दिया निर्देश
X

यह भी पढ़ें. बेस्ट फ्रेंड बनेगी गर्लफ्रेंड! आज ही आजमाइये ये टिप्स

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक याची की सुनवाई के दौरान कहा है कि राज्य सरकार की सेवाओं के लिए यदि जाति प्रमाण पत्र निर्धारित प्रारूप पर नहीं दिया गया है।

यह भी पढ़ें. अरे ऐसा भी क्या! बाथरूम में लड़कियां सोचती हैं ये सब

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जाति को लेकर कोई विवाद नहीं है तो इस आधार पर अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि वह राज्य सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप पर नहीं है।

यह भी पढ़ें. असल मर्द हो या नहीं! ये 10 तरीके देंगे आपके सारे सवालों के सही जवाब

कोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड के 15 जुलाई के आदेश को रद्द करते हुए याची को पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत चयन देने का निर्देश दिया है।

यह भी पढ़ें. झुमका गिरा रे…. सुलझेगी कड़ी या बन जायेगी पहेली?

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने सिपाही भर्ती 2015 के ओबीसी अभ्यर्थी सतीश कुमार यादव की याचिका पर दिया है।

याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची ने आवेदन के समय भर्ती बोर्ड द्वारा निर्धारित प्रारूप पर जाति प्रमाणपत्र संलग्न किया था, लेकिन प्रपत्रों की जांच के समय उसने केन्द्र सरकार की नौकरियों के लिए निर्धारित प्रारूप का प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर दिया।

यह भी पढ़ें. लड़की का प्यार! सुधरना है तो लड़के फालो करें ये फार्मूला

इसके साथ ही याची ने बताया कि इसके कारण याची को सामान्य वर्ग की सूची में डालकर अचयनित घोषित कर दिया गया, जबकि उसके कट ऑफ अंक ओबीसी की कट ऑफ मेरिट से अधिक थे।

यह भी पढ़ें. होंठों का ये राज! मर्द हो तो जरूर जान लो, किताबों में भी नहीं ये ज्ञान

इससे पूर्व हाईकोर्ट ने भर्ती बोर्ड को याची के दावे पर विचार करने का आदेश दिया था। लेकिन बोर्ड ने उसके दावे को 15 जुलाई 2019 को अस्वीकार कर दिया।

यह भी पढ़ें. लड़की का प्यार! सुधरना है तो लड़के फालो करें ये फार्मूला

कोर्ट ने कहा...

कोर्ट ने कहा कि याची के ओबीसी का होने को लेकर कोई विवाद नहीं है। उसके जाति प्रमाणपत्र की सत्यता को लेकर भी कोई विवाद नहीं है। इसलिए सिर्फ प्रारूप को लेकर प्रमाणपत्र स्वीकार न करने की दलील स्वीकार नहीं की जा सकती है।



\
Harsh Pandey

Harsh Pandey

Next Story