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कमलेश मर्डर केस: हत्यारों के लिए एक काॅल बनी काल, ATS ने ऐसे पकड़ा
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बहुचर्चित कमलेश तिवारी हत्याकांड के दोनों मुख्य आरोपियों को गुजरात एटीएस ने गिरफ्तार कर लिया है। एटीएस ने दोनों मुख्य आरोपियों को राजस्थान सीमा से गिरफ्तार किया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बहुचर्चित कमलेश तिवारी हत्याकांड के दोनों मुख्य आरोपियों को गुजरात एटीएस ने गिरफ्तार कर लिया है। एटीएस ने दोनों मुख्य आरोपियों को राजस्थान सीमा से गिरफ्तार किया है। आरोपियों के नाम अशफाक और मोइनुद्दीन हैं और दोनों को लखनऊ लाया जाएगा।
इसके लिए लखनऊ पुलिस की 4 सदस्यीय टीम अहमदाबाद जाएगी। टीम में इंस्पेक्टर नाका सुजीत दुबे, सीओ (क्राइम) दीपक सिंह भी शामिल हैं। दोनों आरोपियों ने कमलेश तिवारी की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली है। दोनों आरोपी सूरत के रहने वाले हैं।
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कमलेश तिवारी के हत्यारों को पकड़ना यूपी पुलिस के लिए चुनौती बन गई थी। हत्या के 4 दिन बीत जाने के बाद भी साजिशकर्ताओं को नहीं पकड़ने पर पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे थे।
हत्याकांड के बाद यूपी पुलिस ने कई राज्यों की पुलिस से सम्पर्क साधा और कई जगह दबिश दी। इसके बाद मुख्य आरोपी अशफाक और मोनुद्दीन को राजस्थान गुजरात सीमा से गिरफ्तार किया गया। गुजरात एटीएस ने दोनों को राजस्थान सीमा पर श्यामलाजी के पास से गिरफ्तार किया।
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दरअसल आरोपियों के पास पैसे खत्म होने लगे थे। उन्हें पैसों की जरूरत पड़ रही थी, तो उन्होंने अपने परिचितों और परिवार वालों से सम्पर्क साधना शुरू किया। इसकी वजह से गुजरात एटीएस ने आरोपियों को धर दबोचा।
गुजरात एटीएस ने बताया कि आरोपी अशफाक और मोइनुद्दीन के पास पैसे धीरे-धीरे खत्म हो चुके थे। यूपी पुलिस से इनपुट्स मिलने के बाद गुजरात एटीएस के आदेश पर टेक्निकल सर्विलांस टीम और कुछ पुलिसकर्मी भी इन दोनों आरोपियों के करीबियों और परिवारवालों पर खुफिया नजर बनाए हुए थे। सटीक जानकारी मिलते ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
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नेपाल की सीमा से लौटते वक्त हत्यारों ने सूरत स्थित अपने घर पर एक कॉल किया था। बस इसी एक कॉल ने पुलिस को आरोपियों को पकड़ने का रास्ता दे दिया। हत्यारोपियों ने कॉल कर घरवालों से रुपयों का इंतजाम करने की बात कही थी। इसके बाद से इन पर नजर रखी जाने लगी
एटीएस ने बताया कि पिछले तकरीबन डेढ़ साल से सभी आरोपी मोबाइल फोन रखे बिना नए-नए सिम से बात करते थे। यह रास्ते में चल रहे लोगों के मोबाइल से भी बात करते थे।
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जांच के दौरान यह भी बात सामने आई है कि नागपुर से गिरफ्तार सैयद असीम अली पिछले डेढ़ साल से सूरत से गिरफ्तार आरोपियों रशीद, मोहसिन और फैजान के संपर्क में था।
सबसे बड़ी यह की इस डेढ़ साल के दौरान इन आरोपियों ने एक-दूसरे से बात करने के लिए कभी भी अपने फोन का इस्तेमाल नहीं किया था।
आरोपी हमेशा किसी दूसरे का फोन मांगकर उसमें नया सिम डालकर बात करते थे। कभी-कभी तो सड़क चलते किसी का फोन मांगकर उसमें नया सिम डालकर एक-दूसरे से बातचीत कर लेते थे। बातचीत के बाद सिम को तोड़कर फेंक देते थे। आरोपियों के बीच हमेशा दो नए सिम से बातचीत होती थी।
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पुलिस को आशंका है कि आरोपियों ने सैकड़ों सिम कार्ड का इस्तेमाल बातचीत के लिए किया और फिर उन्हें नष्ट कर दिया।
लखनऊ में कमलेश तिवारी से मिलने के लिए दोनों आरोपियों ने अपना नाम बदला था। अशफाक जहां रोहित तो वहीं मोइनुद्दीन संजय बनकर कमलेश तिवारी से मुलाकात करने के लिए पहुंचा था।
आरोपियों ने बताया कि कमलेश तिवारी ने पैगंबर मोहम्मद को लेकर बयान दिया था, जिसके वजह से उन्होंने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। बता दें कि इस मामले की जांच कर रही यूपी पुलिस की एसआइटी ने दोनों पर 2.5-2.5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। इनके स्केच भी जारी किए थे।