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आखिर फंस ही गए आजम खां, पढ़िये पूरी रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की सियासत में अपनी विवादास्पद तकरीरों के लिए मशहूर समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यक चेहरा मोहम्मद आजम खां इन दिनों नई मुश्किलों से दो-चार हो रहे हैं।
नीलमणि लाल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में अपनी विवादास्पद तकरीरों के लिए मशहूर समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यक चेहरा मोहम्मद आजम खां इन दिनों नई मुश्किलों से दो-चार हो रहे हैं।यह मुश्किल एक ओर जहां उनके ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर विश्वविद्यालय को लेकर है, वहीं संसद में तीन तलाक पर चर्चा के दौरान स्पीकर पर की गई टिप्पणी ने भी उनके सामने मुश्किल खड़ी की। हालांकि इसे सदन की कार्यवाही से बाहर कर दिया है।
इससे पहले जल निगम का चेयरमैन रहते हुए लिये गये फैसलों के चलते भी आजम खां दिक्कतों का समाना कर चुके हैं। जल निगम में सहायक अभियंताओं की भर्ती के मामलों में अनियमितताओं के आरोप भी उन पर लगे थे। कभी रामपुर में जेल की जमीन को लेकर भी आजम खां का नाम सुर्खियों में आया था। परिवारवाद का विरोध करने वाले आजम खां की पत्नी राज्यसभा सांसद हैं। उनका बेटा अब्दुल्ला विधानसभा सदस्य है। सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह का जन्मदिन रामपुर में मना कर भी आजम खां ने एक विवाद को जन्म दिया था, जिसमें समूचा समाजवाद बग्घी पर सवार था।
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मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय में मंत्री रहते हुए अपने रसूख के इस्तेमाल करने की तमाम कहानियां सूबे भर में सुनीं जा सकती हैं। जौहर विश्वविद्यालय के लिए फर्जीवाड़ा करके जमीन कब्जा करने के मामले में उन पर अभी तक 28 प्राथमिक दर्ज हो चुकी है। २७ प्राथमिकी अलियागंज गांव के किसानों की उस शिकायत पर दर्ज है जिसमें कहा गया है कि यूनिवर्सिटी में मंडिकल कॉलेज बनाने के लिए इनकी जमीनों पर कब्जा किया गया। 28वीं प्राथमिकी नदी के किनारे 5 हेक्टेयर जमीन के कब्जे को लेकर हुई है।
आजम खां अपने पद का दुरुपयोग करके जौहर विश्वविद्यालय के लिए धन और जमीन हासिल करने के उनके तौर तरीकों का संज्ञान गृह मंत्रालय ने भी ले लिया है। क्योंकि पूर्व मंत्री रहे नावेद मियां ने गृह मंत्रालय को पत्र भेजकर शिकायत की थी कि पूर्व मंत्री आजम खां ने शत्रु संपत्ति को अपनी जौहर यूनिवर्सिटी में शामिल करके उस पर अवैध कब्जा जमा लिया है। साथ ही उस पर अपनी यूनिवर्सिटी भी चला रहे हैं।
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी सक्रिय हो गया है। उनके खिलाफ मनी लॉड्रिंग का केस ईडी दर्ज कर सकती है। गुरुवार को आजम को एक बड़ा झटका तब लगा जब पीडब्ल्यूडी द्वारा दाखिल एक वाद पर उप जिलाधिकारी रामपुर में जैहर यूनिवर्सिटी के अंदर जा रहे सार्वजनिक मार्ग से अनाधिकृत कब्जा हटाने का आदेश देते हुए 3 करोड़ 27 लाख 60 हजार जुर्माना और कब्जा मुक्त होने तक 9 लाख दस हजार रुपये प्रतिमाह पीडब्ल्यूडी विभाग जमा कराने का आदेश दिया।
गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी का मुख्य द्वार जहां बना है वह 11.500 किमी. रोड पीडब्ल्यूडी की है। सूत्रों के मानें तो अपने तुनक मिजाज के लिए जाने जाने वाले आजम खां ही कभी जया प्रदा को रामपुर से चनाव लड़ाने के लिए लेकर गये थे। बाद में उन्हें हरवाने की भरपूर कोशिश की। इस बार वह खुद जया प्रदा के सामने थे। उनके व्यवहार से नाराज होकर सचिवालय कर्मियों ने दो-तीन दिन की हड़ताल भी की थी। अपने विश्वविद्यालय को अल्प संख्यक दर्जा दिलाने के लिए उन्होंने राज्यपालों पर तंज कसने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।
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सरकार में उनकी एहमियत का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि मुस्लिम मसायल का कोई भी मामला समाजवादी पार्टी आजम की राय के बिना हल नहीं कर सकती है। उन्होंने अपने विभाग के सचिव को न केवल कई बार सेवा विस्तार दिलवाया बल्कि उन्हें जौनपुर के किसी भी सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ाये जाने की सिफारिश भी की। जौहर विश्वविद्यालय पर सरकारी खजाने से 3 हजार करोड़ रुपये खर्च किये गये। समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्यों को बाकायदा इस विश्वविद्यालय के लिए अपनी निधि से धनराशि देने के निर्देश अखिलेश यादव के कार्यकाल में दिये गये। बुक्कल नवाब इकलौते ऐसे विधान परिषद सदस्य थे जिन्होंने जौहर विश्वविद्यालय को निधि देने से मना कर दिया था। हालांकि बुक्कल नवाब को भाजपा सरकार आते ही सपा की सदस्यता छोडऩी पड़ी। इस समय वह भाजपा में हैं।
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2006 में हुई थी जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना
1- 2006 में मुलायम सिंह यादव की सरकार के दौरान आजम खान के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की स्थापना हुई। मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय एक निजी विश्वविद्यालय है और इसे अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त है।
2- 2007 में मायावती सरकार बनी तो विश्वविद्यालय की चारदीवारी पर बुलडोजर चला दिए गए थे। आरोप था कि आजम खां ने चकरोड पर कब्जा कर लिया है।
3- 2012 में सपा सरकार आई तो टूटी हुई चारदीवारी फिर बना ली गई। 18 सितंबर 2012 को इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन हुआ।
5- 2014 में तत्कालीन कार्यकारी राज्यपाल अजीज कुरैशी ने विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने पर मुहर लगा दी। इसके पहले अल्पसंख्यक का दर्जा दिलवाने को लेकर पूर्व राज्यपाल टी.वी.राजेश्वर और बी.एल.जोशी से आजम खां की काफी तकरार हुई थी।
6-आजम खां इस विश्वविद्यालय के ताउम्र चांसलर हैं।
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जमीनों पर कब्जे में खूब हुआ खेल
2017 के चुनाव में सरकार बदलने के बाद योगी सरकार ने जौहर विश्वविद्यालय से जुड़ी शिकायतों की फाइल खोलनी शुरू की तो मामला खुलकर सामने आ गया कि किस तरह जमीनों को हथियाया गया था।
1- जांच रिपोर्ट के अनुसार जौहर विश्वविद्यालय की 39 हेक्टेयर जमीन सरकारी है। किसानों से खरीदी गई बाकी 38 हेक्टेयर जमीन भी सरकार के कब्जे में होने के योग्य है। जमीन कब्जाने के खेल में गलत ढंग से सर्किल रेट तक बदल दिए गए। सींगनखेड़ा में खरीदी गई जमीन के सर्किल रेट तीन बार बदले गए। इसमें कुछ जमीन को नदी का बहाव क्षेत्र या बाढ़ क्षेत्र बताकर सर्किल रेट घटा दिया गया। रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि नदी के बहाव क्षेत्र में पक्का निर्माण नहीं हो सकता। ऐसे में यह जमीन स्थायी निर्माण के लिए कैसे दी गई? सर्किल रेट घटाने से किसानों को काफी नुकसान हुआ।
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2- नदी की 5 हेक्टेयर की जमीन पर चहारदीवारी बनाकर अवैध कब्जा किया गया, जबकि तालाब, पोखर, नदी की जमीन को वास्तविक रूप में बनाए रखने का हाईकोर्ट का आदेश है। सात हेक्टेयर जमीन तत्कालीन एडीएम रामपुर ने नियम विरुद्ध ढंग से नवीन परती दिखाकर विवि को दे दी। यह चकरोड, रेत और नदी की जमीन थी, जिसे नवीन परती में नहीं बदला जा सकता।
3- नगरपालिका परिषद भी शत्रु संपत्ति को वक्फ संपत्ति बनाने के फर्जीवाड़े में शामिल थी। रामपुर में यह जमीन वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज ही नहीं है। एक मामले में जिला प्रशासन ने नोटिस विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को दिया, लेकिन जवाब वक्फ बोर्ड की ओर से दिया गया। इसी तरह दलितों की जमीन खरीदने के लिए भी नियम ताक पर रख दिए गए।
4-सार्वजनिक उपयोग की सात हेक्टेयर रेत की जमीन को विश्वविद्यालय के नाम दर्ज कर दिया गया। इस जमीन का गैर वानिकी उपयोग वर्जित था, लेकिन यहां लगे हजारों पेड़ काट डाले गए।
5-41 हेक्टेयर से अधिक जमीन किसानों से ली गई। इसमें तत्कालीन एडीएम पर फर्जीवाड़े के आरोप हैं।
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54 मुकदमे दर्ज हैं आजम के खिलाफ
रामपुर शहर से नौ बार विधायक रहे आजम के खिलाफ इस समय थानों और अदालतों में 54 मुकदमे विचाराधीन हैं, जबकि 14 मुकदमे राजस्व परिषद में दायर हुए हैं। 26 मुकदमे तो 12 से 20 जुलाई के बीच अजीमनगर थाने में दर्ज किए गए हैं। पहला मुकदमा 12 जुलाई को जिला प्रशासन की ओर से 26 किसानों की जमीन कब्जा करके जौहर विश्वविद्यालय में मिलाने के आरोप में दर्ज कराया गया। इसके बाद 25 किसानों ने अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराए। इससे पहले एक जून को भी जिला प्रशासन की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें कोसी नदी क्षेत्र की पांच हेक्टयर जमीन कब्जाकर जौहर यूनिवर्सिटी में मिलाने का आरोप है। इस तरह जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन को लेकर 27 मुकदमे अजीमनगर थाने में दर्ज कराए गए हैं। प्रशासन ने आजम को भू-माफिया भी घोषित कर दिया है। उनके खिलाफ अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन बिना अनुमति खरीदने और ग्राम समाज की जमीन के बदले अनुपयोगी जमीन देने के 14 मुकदमे राजस्व परिषद में भी दायर हो चुके हैं।
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1- आजम के खिलाफ लोकसभा चुनाव के दौरान आचारसंहिता उल्लंघन और आपत्तिजनक भाषण देने के आरोप में 15 मुकदमे दर्ज कराए गए।
2- आजम के खिलाफ 10 मुकदमे लोकसभा चुनाव से पहले के हैं। कई मुकदमे रामपुर से बाहर के भी हैं। उनके बेटे विधायक अब्दुल्ला आजम की उम्र से संबंधित मुकदमे में तो चार्जशीट हो चुकी है।
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पूरे इंस्टीट्यूट की जमीन पर किया कब्जा
एक मामला ऐसा भी हुआ है जिसमें आजम खां ने एक सरकारी ट्रेनिंग व रिसर्च इंस्टीट्यूट की समूची जमीन व बिल्डिंग जौहर विश्वविद्यालय के नाम ले ली। इस जमीन के अधिग्रहण के लिए अल्पसंख्यक मामलों के विभाग ने जो एग्रीमेंट किया उसके अनुसार पूरी जमीन व बिल्डिंग ‘जीरो’ दाम पर आजम खां के ट्रस्ट को दे दी गई।23,139 वर्ग मीटर की जमीन के लिए यह एग्रीमेंट 2015 में हुआ था। पूरी संपत्ति के लिए मात्र 100 रुपए सालाना किराया फिक्स किया गया।
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जांच के लिए नौ सदस्यीय एसआईटी गठित
आजम खां ने कहां और कितनी जमीन हथियायी, इसकी जांच के लिए नौ सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है। डीएम ने बताया कि टीम मदरसा-ए-अलिया ओरिएंटल कॉलेज की इमारत के मामले की जांच करेगी। यह इमारत आजम खां के जौहर ट्रस्ट को 2014 में 90 साल की लीज पर दी गई थी। आजम ने यहां यूनानी दवाखाने की जमीन पर कब्जा करके रामपुर पब्लिक स्कूल बना दिया। इसके अलावा रामपुर के मुर्तजा इंटर कॉलेज का मामला है। जौहर ट्रस्ट को यह स्कूल संचालन के लिए 30 साल की लीज पर दिया गया। इस स्कूल में एक ओर समाजवादी पार्टी का दफ्तर बनायागयाहै जबकिदूसरीओर स्कूल चल रहा है।
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अब उत्तर प्रदेश शासन ने आजम को आवंटित मदरसा आलिया और मुर्तजा कॉलेज की लीज़ रद्द करने का फैसला किया है। आजम के राजनीतिक मुख्यालय दारुल अवाम से उनकी राजनीतिक गतिविधियां संचालित होती रही हैं। डीएम की संस्तुति पर दारुल अवाम की लीज रद्द कर दी गई है। रामपुर पब्लिक स्कूल में जहां किड्स जोन स्कूल चलाया जाता था, उसकी लीज भी रद कर दी गई है। इस भवन में कभी मदरसा आलिया हुआ करता था, जो लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व अरबी फारसी की शिक्षा के लिए दुनिया भर में मशहूर था। भारत के गणतंत्र बनते समय रामपुर स्टेट के मर्जर एग्रीमेंट में भी मदरसा आलिया को अहमियत दी गई थी। इसमें अरबी यूनिवर्सिटी भी कायम किए जाने की संस्तुति की गई थी, लेकिन बाद में इसमें तालाबंदी कर दी गई। बाद में इसे आजम के ट्रस्ट को लीज पर दे दिया गया। मदरसा आलिया भवन में सरकारी यूनानी अस्पताल भी चलाया जाता था। इस भवन को अभी कुछ दिन पहले ही खाली करा लिया गया था। मदरसा आलिया भवन का आवंटन रद किए जाने के लिए भी डीएम ने संस्तुति की थी।
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किसानों का आरोप
किसानों का आरोप है कि आजम खां ने उनकी जमीन जबरन जौहर विश्वविद्यालय में मिला ली है। किसानों का कहना कि पुलिसिया ताकत का नाजायज इस्तेमाल कर तत्कालीन सीओ आले हसन ने उनको डराया, धमकाया, हवालात में बंद किया, ड्रग्स रखने के आरोप में जेल भेजने की धमकी दी। आजम और आले हसन का इतना दबदबा था कि किसान शिकायत करने की हिम्मतनहींजुटापातेथे।आलेहसनकोबादमेंआजमनेजौहर विश्वविद्यालयमेंमुख्यसुरक्षा अधिकारी बना दिया। किसानों का कहना है कि जमीन हथियाने के धंधे में आले हसन का बेटा और बीवी भी शामिल थे।
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सडक़ पर खड़ा किया गेट, भरना होगा जुर्माना
रामपुर स्थित जौहर विश्वविद्यालय के बीच से गुजरने वाली पीडब्लूडी की सडक़ पर विश्वविद्यालय का गेट खड़ा करने के विवाद पर अदालत ने आजम खां को पीडब्लूडी के नुकसान की भरपाई करने के लिए 3.27 करोड़ रुपए देने को कहा है। दरअसल, गेट बनने से लोगों को आने-जाने में बहुत दिक्कत होती है। पीडब्लूडी ने इसके खिलाफ नोटिस जारी किया तो विश्वविद्यालय हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट में बताया गया कि विभाग ने एसडीएम के कोर्ट में केस दायर किया है। केस किसी और कोर्ट में ट्रांसफर करने की अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह बताया गया था कि आजम के खिलाफ 3.27 करोड़ रुपए चुकाने का नोटिस जारी किया जा चुका है। साथ ही कहा गया है कि जब तक कब्जा हट नहीं जाता,विश्वविद्यालय को ९ लाख १० हजार रुपए प्रति माह की दर से 15 दिन के अंदर लोक निर्माण विभाग को देने होंगे।
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1- आजम के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे आकाश सक्सेना का कहना है कि विश्वविद्यालय की 560एकड़ जमीन में से 300एकड़ जमीन विवादित है। इसमें 250 बीघा शत्रु संपत्ति और 16 एकड़ चक रोड है।
2- आजम ने तो ये भी कह डाला कि हमको (मुस्लिम समुदाय) बापू और तमाम लोगों ने रोका था। आज हमसे कहा जा रहा है कि हमारा स्थान या तो कब्रिस्तान है, या पाकिस्तान है।
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वर्ष 2004-05 के सत्र में तत्कालीन मुलायम सरकार ने रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय विधेयक पेश किया जिसमें इस विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा देने और आजम खां को प्रो वाइस चांसलर नियुक्त करने का प्रस्ताव था। आजम खान की इस इच्छा पर तब पानी फिर गया, जब राज्यपाल ने अपनी असहमति जता दी और सरकार को यह विधेयक वापस लेना पड़ा था। उस समय टी.वी. राजेश्वर यूपी के राज्यपाल थे। उस समय टी.वी. राजेश्वर से नाराज आजम ने अमर्यादित सीमा तक बयान दिया था।