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ये क्या हो रहा: मुख्यमंत्री के आदेश का कोई असर नहीं, ऐसे आ रहे मजदूर
मुख्यमंत्री के आदेश का रियलिटी चेक करने हम आधी रात को निकले तो प्रशासन का कोई भी अधिकारी सड़कों पर दिखाई नही दिया जो गुजर रहे मजदूरों की खोज खबर लेता।
बाराबंकी: कोरोना की वैश्विक महामारी के कारण प्रवासी मजदूरों का हुजूम इस समय प्रदेश की सड़कों पर देखा जा सकता है। ट्रक, ऑटो, मोटरसाइकिल या साइकिल से यात्रा करता दिखाई दे रहा है। और कई मजदूर ऐसे भी दिखाई देंगे जो जत्थों में पैदल ही यात्रा करने को विवश हैं। इन्हें खाने पीने के लिए रास्ते की दिक्कत तो होती ही है साथ ही साथ दुर्घटनाएं भी हो रही हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी मजदूरों की इन्ही परेशानियों को ध्यान में रख कर यह आदेश दिया कि कोई भी प्रवासी मजदूर अपने निजी खर्च पर या पैदल यात्रा करता सड़कों पर दिखाई न दे और यदि दिखाई दे तो जिला प्रशासन उन्हें कोई वाहन उपलब्ध करा कर गन्तव्य तक भेजने का काम करे। लेकिन सड़कों पर मुख्यमंत्री का ये आदेश बेअसर नजर आ रहा है।
सड़कों पर नहीं दिखा मुख्यमंत्री के आदेश का असर
जिस सड़क पर आज हम निकले है यह राष्ट्रीय राजमार्ग 28 है। और यह मार्ग पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार और पश्चिम बंगाल राज्य को तो जोड़ता ही है साथ ही साथ नेपाल राष्ट्र को भी जोड़ता है। इन राज्यों से उन मजदूरों की संख्या अधिक है जो दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में जाकर काम करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं । यही कारण है कि इस सड़क पर मजदूरों का हुजूम घर वापसी करते किसी भी समय देखा जा सकता है। दो दिन पूर्व ही इसी सड़क पर आधी रात को हुए एक सड़क हादसे में तीन मजदूरों की दर्दनाक मौत भी हो चुकी है
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प्रदेश की सड़कों पर मजदूरों के साथ हो रहे सड़क हादसों से परेशान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक आदेश दिया कि अब प्रदेश की सड़कों पर प्रवासी मजदूर पैदल या निजी खर्च पर यात्रा करते न दिखाई पड़ें। और जिस जिले में यह दिखाई दे तो प्रशासन उन्हें अपने खर्च पर साधन की व्यवस्था करके गन्तव्य तक पहुंचाने का काम करे। मुख्यमंत्री के आदेश का रियलिटी चेक करने हम आधी रात को निकले तो प्रशासन का कोई भी अधिकारी सड़कों पर दिखाई नही दिया जो गुजर रहे मजदूरों की खोज खबर लेता। हां अगर कुछ दिखाई दिया तो वह थी मजदूरों की खेप जो अपने घर पहुंचने को व्याकुल थी और कुछ समाजसेवी जो रात में भी नर सेवा , नारायण सेवा के मंत्र का पालन कर रहे हैं ।
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यहां एक मजदूरों का जत्था ऐसा मिला जो अपने निजी खर्च से माहाराष्ट्र से टैम्पो से निकल लिए और वह पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में अपने घर जा रहे थे । कई मजदूर ऐसे भी मिले जो पश्चिम बंगाल जा रहे थे। इन सबमें एक ही चीज की समानता थी कि यह सब अपने घर अपनो के बीच पहुँचने को व्याकुल थे। एक छोटे से वाहन में दर्जनों मजदूर ऐसे भरे हुए थे जैसे कि यह साधन उनका अन्तिम विकल्प हो और अगर वह इसमें सवार न हुए तो वह छूट जायेंगे । इन लोगों ने बताया कि इन साधनों का खर्च वह लोग स्वयं वहन कर रहे है इसमें सरकार या प्रशासन का रत्तीभर भी अंश नही है।
चेन्नई से पैदल आ रहे मजदूर
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इससे भी बुरा हाल हमें उन मजदूरों का दिखाई दिया जो चेन्नई से पैदल ही अपने घर की ओर जत्था बनाकर निकल लिए थे। इनके पास साधन तो दूर पैरों में चप्पल भी नही थी और इन्हें उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद जाना था। यह लोग बताते है कि सीमा पर इन्हें सरकारी बस तो खड़ी मिली मगर पैसा न होने के कारण वह उसमें बैठे नही। यह बताते हैं कि वह लोग चेन्नई से पैदल ही निकले थे और उन्हें बहुत कष्ट हुआ। साधन के नाम पर किसी ट्रक या अन्य वाहन से मदद मांग लेते थे जिससे कुछ दूर का रास्ता कट जाया करता था। यहां भी वह एक ट्रक से मदद माँग कर आये है और ट्रक वाला उन्हें यहीं उतार कर चला गया है।
समाजसेवी बन रहे मजदूरों का सहारा
अगर वह लोग पैदल चले तो यहीं से घर पहुँचने में कई दिन लग जाएंगे। आधी रात को मजदूरों को चाय पिलाते दिखे व्यापारी राजीव गुप्ता ने बताया कि जब से लॉक डाउन शुरू हुआ है तबसे वह लोगों में भोजन वितरण का काम कर रहे हैं। और इधर मजदूरों के साथ हो रहे सड़क हादसों ने उन्हें हिलाकर रख दिया है। उनका मानना है कि रात में वाहन चालक को नींद आ जाने के कारण ही यह सब हादसे हो रहे है और इसी कारण वह आधी रात को सड़क पर निकल रहे मजदूरों को चाय पिलाने निकले है। प्रशासन अगर मुख्यमंत्री के आदेश का अक्षरशः पालन करे तो काफी दिक्कतें दूर हो सकती हैं।
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सड़क पर मजदूरों को चाय पिला रहे समाजसेवी अधिवक्ता रितेश मिश्रा ने बताया कि सड़क हादसों में नींद का बड़ा योगदान होता है और यही नींद न आने पाए इसका सबसे अच्छा तरीका है कि चाय पिलाई जाए जिससे लोग चेतना में रहें और यही काम वह लोग कर रहे है। रितेश मिश्र ने बताया कि सरकार उन्हें घर भेजने की व्यबस्था करने को कह रही है तो मजदूरों को भी विस्वास करना चाहिए और इस घर जाने की इस तरह से आपाधापी नही करनी चाहिए। जिस तरह से लोग अपने घर पहुंचने को व्याकुल हो रहे है वह व्याकुलता ठीक नही है इससे लोग असुरक्षित हो रहे हैं। प्रशासन को भी चाहिए कि मुख्यमंत्री की चिन्ता को अपनी चिन्ता समझते हुए मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का प्रबन्ध करे ।
सरफराज वारसी