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यूपी में पुलिस कमिश्नर सिस्टम: जनसंख्या बढ़ती गई, घटता गया मेरठ का रुतबा
उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर मेरठ जोन को फिर झटका लगा है। वजह नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के कारण मेरठ रेंज और जोन दोंनो का ही एक बार फिर से रुतबा कम हुआ है।
मेरठ: उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर मेरठ जोन को फिर झटका लगा है। वजह नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के कारण मेरठ रेंज और जोन दोंनो का ही एक बार फिर से रुतबा कम हुआ है।
दरअसल, इस नई व्यवस्था से मेरठ रेंज और जोन में फिर से बड़ा बदलाव सामने आएगा, क्योंकि कई दशक पहले मेरठ आईजी का कार्यक्षेत्र दूरदराज तक रहता था। मेरठ जोन के आईजी का राज दिल्ली बॉर्डर से लेकर चीन की सीमा तक चलता था। अब का उत्तराखंड उस समय उत्तर प्रदेश में ही था और गढ़वाल मंडल व सहारनपुर मंडल मेरठ का ही हिस्सा हुआ करते थे। सबसे पहले 1976 में गाजियाबाद जिला बना। तब हापुड़ और नोएडा गाजियाबाद की तहसील थी। बाद में बागपत, नोएडा और हापुड़ जिला बन गए। आईजी मेरठ का क्षेत्र उत्तराखंड तक हुआ करता था। वहां का हरिद्वार जिला मेरठ रेंज में था, लेकिन 9 नवंबर 2000 में उत्तराखंड के अलग प्रदेश बनने के बाद आईजी का क्षेत्र घट गया। हरिद्वार जिला आईजी रेंज से अलग हो गया।
2009 में मायावती ने सहारनपुर जिले को मंडल बना दिया। डीआईजी की तैनाती कर दी। उसमें मुजफ्फरनगर और शामली जिला रखा। शामली को नया जिला बनाया था। तब मुजफ्फरनगर मेरठ रेंज से हट गया। 2020 में नोएडा का पुलिस कमिश्नर बन गया। मेरठ रेंज से नोएडा अलग हो गया। मेरठ जोन के तहत अब तक मौजूदा मेरठ रेंज के मेरठ, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर और सहारनपुर रेंज में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली यानी नौ जिले आते थे। जबकि आईजी रेंज के अंतर्गत छहजिले मेरठ, नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, बुलन्दशहर, बागपत आते हैं।
प्रशांत कुमार, एडीजी, मेरठ जोन
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24 फरवरी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2011 पुलिसिंग में बदलाव करते हुए मेरठ में एडीजी एनसीआर की तैनाती की गई। उसके बाद 15 नवंबर 2012 में एनसीआर जोन की बजाय मेरठ जोन बनाया गया। फिर रेंज आईजी और महानगर में एसएसपी/ डीआईजी बैठने लगे। सपा सरकार में आईजी जोन का पद रहा। रेंज में डीआईजी और जिले में एसएसपी का पद रहा। दो साल तक यही प्रक्रिया चली और फिर एडीजी जोन व्यवस्था बहाल कर दी गई।
दिल्ली से सटे नोएडा के कमिश्नर प्रणाली से जुड़ने के बाद अब आने वाले समय में गाजियाबाद में भी कमिश्नर प्रणाली लागू होने की आंशका जताई जा रही है। जाहिर है कि अगर ऐसा होता है तो मेरठ में बैठे एडीजी जोन व आई रेंज के अधिकार क्षेत्र में और कमी आएगी। मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने से पुलिसिंग के और बेहतर होना का दावा करते हैं। उनका कहना है कि इससे आम जनता को काफी बड़ा फायदा मिलेगा।
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यहां बता दें कि पुलिस सुधार के लिए कमिश्नरी सिस्टम की सिफारिश बिजनौर के रहने वाले पूर्व राज्यपाल धर्मवीर ने चार दशक पूर्व ही की थी। बिजनौर के धर्मनगरी में राजघराने से ताल्लुक रखने वाले धर्मवीर राजा ज्वाला प्रसाद के पुत्र थे। राजा ज्वाला प्रसाद प्रथम भारतीय चीफ इंजीनियर रहे हैं। 1977 में गठित राष्ट्रीय पुलिस आयोग के वह अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में आयोग ने आठ सिफारिशें भेजी थीं, लेकिन राजनीतिक और नौकरशाही ने इन्हें लागू नहीं होने दिया था।
पूर्व राज्यपाल धर्मवीर
अब उत्तर प्रदेश के लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में पहली बार पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किया गया है। पूर्व राज्यपाल धर्मवीर का 94 साल की आयु में 16 सितंबर 2000 में निधन हो गया था। धर्मवीर के छोटे भाई कुंवर सत्यवीर भी कई बड़े पदों पर रहे। वे 1946 में जिला पंचायत के सदस्य बने। फिर जनता पार्टी के शासनकाल में प्रदेश सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री बनाए गए। वह तीन बार विधायक बने।
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पढ़िए नोएडा के पहले पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह से खास बातचीत
यूपी में पहले पुलिस कमिश्नर बनने का गौरव हासिल करने वाले आलोक सिंह मौजूदा मेरठ आईजी रहे हैं। प्रमोशन पाकर वह हाल ही में एडीजी बनें हैं। अब वह पुलिस कमिश्नर नोएडा हो गए हैं। पुलिस आयुक्त की नई भूमिका को लेकर आलोक सिंह बेहद उत्साहित दिखते हैं। पेश है आलोक सिंह से अपना भारत और NEWSTRACK संवाददाता की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
सवाल- नोएडा पुलिस आयुक्त की नई जिम्मेदारी को किस रुप में लेंगे?
जवाब- मैं जहां भी गया हूं। उसको मैंने एक चुनौती के रुप में लिया है। मेरी कोशिश हमेशा अपराध नियन्त्रण की रही है और आगे भी रहेगी। क्योंकि जनता की हमसे यही उम्मीद होती है। इसके लिए गुंडो को जेल में डाला जाएगा और पुलिस की कोर्ट से इन्हें जमानत नहीं मिलेगी।
सवाल-नए बदलाव में एक ही जगह सारे अधिकार आने से कारोबारियों को अपने शोषण बढ़ने का डर सता रहा है?
जवाब- यह सब बेकार की बाते हैं। देशभर के 51 शहरों में यह प्रयोग सफल रहा है। मुंबई, दिल्ली, कोलकत्ता आदि में तो बड़े कारोबारी है और वहां भी यह सफल है।
आलोक सिंह
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सवाल-आर्थिक राजधानी के रुप में बढ़ रहे नोएडा को लेकर आपकी क्या रणनीति है?
जवाब- यहां कारोबारी बेखौफ होकर अपना कारोबार करें। ऐसा वातावरण बनाने की कोशिश रहेगी। सेफ्टी, सिक्योरिटी में यहां पर खासे बदलाव किए जाएंगे। इसका पूरा विस्तृत प्लान बनेगा।
सवाल- गौतमबुद्धनगर में अतिक्रमण व ट्रैफिक जाम से कैसे निपटेंगे?
जवाब- ट्रैफिक में बाधा बनने वाला अतिक्रमण कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। सड़क के अवैध कब्जों के कारण ही आमतौर पर जाम लगता है। हम पहले प्यार से अवैध कब्जाधारियों को समझा कर सड़क के अवैध कब्जे हटाने की कोशिश करेंगे। नहीं मानने पर सख्ती करेंगे। पुलिस के आदेश पर अवैध कब्जे तो हटाने ही पड़ेंगे।
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सवाल-जनता में पुलिस को लेकर विश्वास कैसे पैदा करेंगे?
जवाब- हम जनता से सीधा संवाद कायम करेंगे। हम कोशिश करेंगे कि पुलिस की कार्यप्रणाली व व्यवहार से किसी भी शरीफ लोंगो को किसी भी किस्म की परेशानी ना हो।
सवाल-एसएसपी वैभव कृष्ण की गोपनीय रिपोर्ट, जिसमें पांच आईपीएस अफसरों पर आरोप लगे थे, मामले में क्या कार्रवाई चल रही है?
जवाब-इस मामले में शासन स्तर पर जांच चल रही है। इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।