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अभी हाल ही में मुम्बई के ब्रांदा में एक विनय दूबे पर भी, लोगों को उकसाने और भीड इक्ट्ठा करने का आरोप लगा और उसे पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया लेकिन उसके समुदाय के लोग ही उसे भरा बुरा कहे और सरकार से विनय दूबे को कडी से कडी सजा देने की बात कही। क्योकि लोगों को विनय दूबे जैसा व्यक्ति नही चाहिए बल्कि भारत देश चाहिए।

SK Gautam
Published on: 16 April 2020 1:05 PM GMT
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भदोही: विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस के चलते उत्तर प्रदेश में लॉक डाउन में जिले के पुलिस कप्तान रामबरन सिंह व सीओ औराई लेखराज सिंह के कुशल नेतृत्व में औराई थाना कोतवाल रामजी यादव की कड़ी मेहनत रंग ला रही है। औराई कोतवाल रामजी यादव ने चौकी इंचार्ज व समस्त दरोगा समेत पुलिस स्टाफ के ईमानदारी, कठिन परिश्रम के सामने कोरोना के खिलाफ लडाई में लगे हुए है जिससे लग रहा है कि कोविड-19 की होगी हार निश्चित है।

कोरोना योद्धा रामजी यादव के कार्यों की जिले और विभाग में चर्चा...

सम्पूर्ण विश्व कोविड-19 कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है। जिस कोरोना युद्ध मे भदोही पुलिस कप्तान रामबदन सिंह का कुशल नेतृत्व, कड़ी मेहनत, के साथ अथक प्रयास किया जा रहा है। अपना घर परिवार छोड़ कर पुलिस 24 घंटे ड्यूटी कर रही हैं पुलिस वाले कोतवाल औराई के अथक प्रयासों का फल क्षेत्रवासियों को मिल रहा है।

उत्तर प्रदेश के अनेक जिले कोरोना वायरस की चपेट में आ गए है। परंतु जनपद भदोही की औराई में पुलिस विभाग अपनी मेहनत में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे है। दुनिया भर में फैली भयानक महामारी कोरोना "कोविड-19" से लड़ने के लिए हमारे जनपद में पुलिस कड़ी मेहनत कर रही हैं प्रशासन, औराई प्रशासन सीवो लेखराज सिंह व औराई कोतवाल रामजी यादव की पूर्णतया मुस्तैदी से कार्य कर रहे हैं।

औराई पुलिस ने लाकडाउन में रात दिन एक कर पूरी तरह से कोरोना नामक दानव को समाप्त करने की उद्देश्य बना लिया है। औराई पुलिस स्टाफ अपनी जान हतेली पर रख कड़ी मेहनत के साथ जनता की सुरक्षा व्यवस्था बनाये हुए हैं कि किसी भी तरह से लॉकडाउन में व्यवधान उत्पन्न न हो। किसी भी तरह की परेशानी जनता को न हो।

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जनता की सुरक्षा कवच बन आज औराई पुलिस अपना कर्तव्य निभा रही हैं। तो दूसरी तरफ जनता भी अपना कर्तव्य का पालन पूरी निष्ठा के साथ कर रही हैं। परंतु जो लोग बिना किसी आवश्यक कार्य के सड़को पर घूम रहे हैं वो लोग देश के दुश्मन हैं पुलिस उनको भी समझा रही हैं। जब कोई व्यक्ति नही समझता है, तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने में औराई पुलिस नही चूक रही है। और अपना काम सख्ती के साथ कर रही हैं।

क्षेत्राधिकारी औराई लेखराज सिंह कोतवाल औराई रामजी यादव ने समस्त सम्मानित जनता से बार बार अनुरोध कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री द्वारा 21 दिन के बाद फिर 19 दिन का लॉक डाउन देश हित, समाज हित, हमारे और आपके हित तथा हमारे ,आपके परिवार के हित में जो किया गया है, उससे चिंतित अथवा भयभीत होने की आवश्यकता बिल्कुल नहीं है, मुह पर मास्क अनिवार्य कर दिया गया है। बिना मास्क लगाए कोई भी व्यक्ति घर से बाहर न निकले अन्यथा कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

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कोतवाल औराई रामजी यादव ने कहा है कि औराई थाना क्षेत्र की सभी जनता शोशल डिस्टेंस का ध्यान रखें। अपने हाथों को बार-बार धूम यह भी साबुन से ओर चेहरे पर हांथ न लगाएं। खाने-पीने की वस्तुएं, फल, सब्जी आदि को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। परन्तु जनता से अपील हैं कि बिना किसी आवश्यक कार्य के सड़क पर न घूमे, मुह पर मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है कृपया घर से बाहर निकलने पर पूर्ण रूप से सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

कहा कि जो लोग ज्यादा गरीब है ,सामान खरीद नहीं सकते हैं ,उन के लिए शासन व समाजसेवी के सहयोग से मुफ्त में राशन आदि वितरण करने की व्यवस्था की गई है। औराई कोतवाल रामजी यादव ने वादा किया" हैं कि थाना कोतवाली औराई क्षेत्र में एक भी व्यक्ति "भूखा नहीं सोएगा" पुलिस प्रशासन हमेशा हर परिस्थिति में जनता के साथ खड़ी है जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी नही आने दी जाएगी। यह मेरा आपसे वादा है। सभी कोरोना वायरस से लड़ने में सहयोग कीजिए! कोरोना को हराना हैं, भारत कोरोना मुक्त बनाना है! सोशल डिस्टेंस बनाए रखिए। मुँह को रुमाल या मास्क से ढक कर रखें।अपने घरों पर रहिए। अनावश्यक रूप से सड़क पर न घूमे। अपने हाथों को साबुन या डिटोल से धोएं। पुलिस प्रशासन हमेशा कठिन परिस्थितियों में आपके साथ हैं।

औराई के तिउरी में गरीबों को बांटा गया राशन सामग्री

भदोही। महराजगंज के तिउरी के एक निजी स्कूल, कोतवाल औराई रामजी यादव और समाज सेवी मंटु सिंह की देख रेख मे दो सौ गरीब लोगों मे पांच किलो आटा,तीन किलो चावल,दाल,दो किलो आलू, एक लीटर तेल, डेढ़ लीटर दुध और जरुरत का सामान वितरित किया गया। जिसमें कोतवाल औराई रामजी यादव ने लोगों को सोशल डिस्टेंस का पालन कराते हुए सोशल डिस्टेंस के बारे में लोगों को जानकारी दी और कहा कि जागरूकता ही बचाव है। कहा कि आप लोग क्लॉक डाउन और सोशल का पालन करें हमारी पूरी टीम आप की सुरक्षा के लिए रात दिन एक किए हुए हैं। इस दौरान भोजन सामग्री पाने के बाद गरीबों के चेहरे पर खुशी देखी गई।

सेमराध में विधवा को नही मिला शौचालय, ओडीएफ की खुली पोल

भदोही। सरकार स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत घर घर में शौचालय बनाने की मुहिम चलाई है। और इसको लेकर काफी अभियान भी चल रहा है। इसी बीच देश के कई प्रदेश और जिले खुले में शौच से मुक्त होने का प्रमाणपत्र भी पा चुके है। लेकिन यह केवल सरकार को और जनता को मूर्ख बनाने के अलावा कुछ नही है।

क्योकि आज भी कही कही शौचालय नही है, कही है तो उपयोग करने के काबिल नही है। कही है तो लोग जान बूझकर उपयोग नही कर रहे है। इस अभियान में पहले गंगा के किनारे के गांवों पर सरकार की निगाह थी जो अधिकारियों ने केवल कागज पर जिले और गांवों को ओडीएफ घोषित कराकर झूठी आंकडेबाजी से केवल धोखा किया है। क्योकि आज भी लोग बाहर खेतो में शौच के लिए जाते है। इसमें कुछ लोग तो गलत करते है लेकिन कुछ लोग अधिकारियों और सिस्टम की लापरवाही से आज भी बाहर शौच के लिए जाते है।

भदोही जिले के डीघ ब्लाक के सेमराध में एक मामल् प्रकाश में आया है जहां सेमराध कई वर्ष पहले ही खुले से शौच मुक्त हो गया लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग है। जिनको शौचालय नशीब न हुआ। और ग्राम, ब्लाक, जिलास्तर के जिम्मेदार केवल सरकार को झूठी रिपोर्ट बनाकर भेजते रहे और जनता के साथ साथ सरकार को भी गुमराह करते रहे। इन सबके पीछे केवल लापरवाही व भ्रष्टाचार है। जिले में इसकी चर्चा भी हर गांवों में सुनी गई। कुछ मामले तो ऐसे भी देखे गये कि अधिकारी अपने नाम और नौकरी के लिए ग्राम प्रधानों को बलि का बकरा बनाकर उनके गांवों को ओडीएफ घोषित करा दिया।

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इसकी वजह यह थी कि भ्रष्ट अधिकारी जब शासन के मंशानुरूप कार्य न करा सके तो ग्राम प्रधानों पर दबाव बनाकर केवल खानापुर्ति में जुटे रहे। और जिले में बने शौचालयों की गुणवत्ता और उपयोगिता सबके सामने है। मालूम हो कि सेमराध निवासी महेश गौड की विधवा ऊषा गौड को जब स्थानीय जिम्मेदार लोगों ने शौचालय नही दिया। और सेमराध को ओडीएफ घोषित कर दिया। कई वर्षो के इंतजार के बाद विधवा ऊषा का सब्र का बांध टूटा और अपनी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर कर दी। शिकायत की सूचना मिलते ही अधिकारियों के कान खडे हो गये कि सेमराध तो ओडीएफ घोषित हो गया है।

फिर अभी यह कहां से बच गई है? और बेचारे लाॅक डाऊन में भी अपने खुलती पोल को ढकने का प्रयास करने लगे। लेकिन जिलास्तर पर जुडे इस मिशन के लोग खुब जानते है कि कितनी ईमानदारी से कार्य किया गया है? हालांकि आनन फानन डीघ ब्लाक के बीडीओ ने ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी को सूचित करके ऊषा देवी से मिलकर शौचालय की सूची में नाम डालने का आश्वासन दिया। मामले को शांत करने की जुगत में दिखे।

लेकिन यहां सवाल बनता है कि जब पुरा गांव औडीएफ तो ऊषा केसे बच गई? क्या ऊषा को शौचालय की जरूरत नही थी? या ऊषा गांव में नही रह रही थी? किस आधार पर घोषित किया गया गांव को ओडीएफ? क्या जिलास्तर के जिम्मेदार लोगों का ऐसा ही है ओडीएफ? इसी तरह के न जाने कितने सवाल लोगों के दिमाग में घुम रहे है। लेकिन जिम्मेदार लोगों को कई फर्क नही पडता है। उनको सरकार के आदेशों की धज्जियां उडाने और जनता को मुर्ख बनाने में थोडा सा भी समय नही लगता है।

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रमजान माह को लेकर लाॅकडाऊन में किसी भी प्रकार की विशेष छूट नही- जिलाधिकारी

भदोही: रमजान को लेकर डीएम और एसपी ने वृहस्पतिवार को शहर के उलेमाओं और सभासदों के साथ बातचीत की। इस दौरान जिलाधिकारी राजेन्द्र प्रसाद व पुलिस अधीक्षक रामबदन सिंह कहा की लॉकडाउन के दौरान 25 अप्रैल से शुरू होने वाले पवित्र माह रमजान में रोजा रखने और इबादत करने में कोई असुविधा न हो इसके लिए सभी सहयोग करने के लिए प्रशासन तैयार है। रमजान माह को लेकर लाॅकडाऊन में किसी भी प्रकार की विशेष छूट नही है।

इस पर उलेमाओं ने रमजान में संभावित समस्याओं से अवगत कराया। बताया कि सेहरी और इफ्तार के वक्त प्रशासन इतनी ढील दे कि रोजे के दिनों में जरूरी चीजें लोगों को आसानी से मिल सके। रमजान में लोगों को खजूर और बर्फ की ज्यादा जरूरत पड़ती है। बिजली अफ्तार और सेहरी के टाईम सुचारू रूप से रहे।

इस पर डीएम और एसपी ने भरोसा दिलाया कि खजूर और बर्फ की दुकानें मोहल्लों में खुलवा दी जाएगी। बिजली व्यवस्था ठीक रहेगी। रमजान माह में होने वाली विशेष नमाज के विषय मे स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि तराबी की। नमाज पढ़े लेकिन मस्जिद में 4 लोगों से ज्यादा न रहे। मस्जिद में इमाम और मोअज्जिन ही रहें।

एसपी ने कहा कि भदोही कंट्रोल नंबर जारी किया गया हैं कोई भी परेशानी हो इन पर काल कर सकते हैं।

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देश में कोरोना योद्धाओं के हमले पर आखिर विपक्ष मौन क्यों?

भारत समेत पुरी दुनिया कोविड-19 वायरस की चपेट में है। और इसके संक्रमण व प्रभाव को कम करने के लिए सरकारें विभिन्न तरह की उपाय कर रही है। सरकार के इस कार्य में चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिससे देश में वायरस का प्रभाव व प्रकोप कम हो। और इसके निवारण के लिए सरकार ने दो चरणों में लाॅकडाऊन की घोषणा की। जिससे इसके संक्रमण पर पुरी तरह रोक लग सके। हालांकि इस वायरस के लिए बचाव ही सबसे बडा ईलाज है लेकिन कुछ लोग सरकार के दिशा निर्देश को मानना अपनी बेइज्जत समझते है। और मनमानी पूर्ण कार्य करने से बाज नही आते है।

भारत वैसे इस समय कोरोना सहित तीन प्रकार के दुश्मनों से लड रहा है। जिसमें दो दुश्मनों से भारत लडकर जीतने का जज्बा रखता है लेकिन तीसरे दुश्मन का पता लगाना ही भारत के लिए काफी मुश्किल भरा पडा है। इन दुश्मनों में वे लोग शामिल है जो भारत का खाने के बावजूद भी भारत और भारत की सरकार को मजबूर, विवश और लाचार देखना चाहते है। और इसी के चक्कर में परोक्ष रूप से भारत में रहकर ही भारत को हराने का मन बनाये है। लेकिन इस तरह के गद्दारों का ख्वाब कभी भी पूरा नही होगा।

विदित हो कि देश के नियम कानून के विरूद्ध कार्य करना, सरकार की बात न मानना यह सिद्ध करता है कि विरोधियों के ईरादा नेक नही है। और इसमें जो लोग सामने है वे तो केवल एक कठपुतली है बाकी इन लोगों को अपने टुकडों पर पर पालने वाला कोई और होगा जो सरकार और भारत से जलन रखता होगा।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां लाॅकडाऊन को सही से पालन करने लिए पुरे देश से अपील कर रहे है वही कुछ देश के गद्दार लाॅकडाऊन को तोडने से बाज नही आ रहे है। इसका उदाहरण देश के विभिन्न जगहों पर देखने को मिल रहा है। चाहे वह जगह दिल्ली हो या मुरादाबाद, इंदौर हो या खुर्शिदाबाद? देश में जिस तरह तब्लीकी जमात के लोगों ने भारत में वायरस के संक्रमण को फैलाकर कोरोना को और मजबूत बना दिया। वह निदंनीय है।

सरकार जब इनके ईलाज व सुरक्षा के लिए हास्पिटल में रखती है तो वहां नर्सों के साथ बदतमीजी करते है। सरकार जब इनके यहां चिकित्सक भेजकर ईलाज व जागरूक का सराहनीय कार्य कर रही है। वही ये देश के गद्दार लोग चिकित्सा टीम के ऊपर हमला करके अपने शान्ति मय हैवानियत का परिचय दे दिये। हालांकि इस मामले में गद्दारों के ऊपर रासुका का केस दर्ज हो गया। सरकार को चाहिए कि इस संकट की घडी में जो भी शासन और प्रशासन की बात न माने उसके ऊपर त्वरित कार्यवाही नितांत जरूरी है। इस तरह के मामले तो मीडिया में आ जाने से लोग जानने लगे बल्कि देश में बहुत ऐसे जगह है जहां की बात सार्वजनिक नही होती। देश के गद्दार सरकार की बात का विरोध करने पर इतना तुले है कि जहां नही वही मनमानी कर रहे है।

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इस संकट के समय विपक्ष के लोग भी अपनी चुनावी गणित विगड न जाये इस बात को ध्यान में रखकर मौन साधे हुए है। एक भी विपक्ष का बडा नेता खुलकर इन जमातियों और इसके आयोजक के खिलाफ नही बोल रहा है कि देश इस समय संकट के दौर से गुजर रहा है। और यही विपक्षियों का मौन समर्थन ही देश के गद्दारों के मनोबल को बढाने में सहायक हो रहा है।

जिसका ताज् उदाहरण मुरादाबाद में देखा गया जहां एक विशेष समुदाय के लोग चिकित्सकों के ऊपर पथराव करती है। और कई चिकित्सक घायल हो जाते है। विपक्षी मौन होकर तमाशा देख रहे है। उनको देश से अधिक कुर्सी व सत्ता प्यारी है। कुछ गद्दारों का समर्थन करने वाले सरकार पर आरोप लगाते है कि एक विशेष समुदाय को ही टारगेट किया जा रहा है। जबकि ऐसा कुछ नही है।

जाति- धर्म की राजनीति करने वाले ध्यान से कान खोलकर सु लें कि भारत में गद्दारों की जगह नही है और नही रहेगी। यदि कोई गद्दार देश से गद्दारी करने की मंशा पालकर देश में दोगला पन कर रहा है तो देश का कानून उसे आज नही तो कल जरूर सबक सिखायेगा। रही बात एक विशेष समुदाय की तो यदि किसी भी समुदाय का व्यक्ति गलत करेगा तो सजा तो मिलेगी ही। इसका मतलब यह थोडी है कि विशेष समुदाय का खाल ओढ़कर देश में गद्दारी का खेल खेलें और देश की सरकार माफ कर दे।

क्यों कर दें बताओं, गद्दारो के समर्थक? जो लोग कह रहे है कि विशेष समुदाय को टारगेट किया जा रहा है वे अपने मन से यह भ्रम निकाल दे कि भारत में कानून सभी के लिए बराबर है। यदि किसी समुदाय के लोग काफी चर्चा में है तो बेशक वे लोग देश के खिलाफ की गतिविधियों में है तभी कानून उनको सजा दे रही है। देश में और भी तो लोग है विशेष समुदाय के लोग जो देश में अमन, शान्ति, भाईचारा के लिए हमेशा प्रयास रत है उनको कोई क्यो नही टारगेट कर रहा है?

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क्योकि वे लोग भारत में रहकर भारत के कानून का सम्मान करते है और भारत की उन्नति में ही अपनी उन्नति समझते है। लेकिन सनकी लोग अपने को पता नही क्या समझते है और सरकार के नियम कानून को न मानना ही अपना धर्म समझते है तो ऐसे लोगो के खिलाफ सरकार को सख्ती से पेश तो आना चाहिए।

अभी हाल ही में मुम्बई के ब्रांदा में एक विनय दूबे पर भी लोगों को उकसाने और भीड इक्ट्ठा करने का आरोप लगा और उसे पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया लेकिन उसके समुदाय के लोग ही उसे भरा बुरा कहे और सरकार से विनय दूबे को कडी से कडी सजा देने की बात कही। क्योकि लोगों को विनय दूबे जैसा व्यक्ति नही चाहिए बल्कि भारत देश चाहिए।

लेकिन विशेष समुदाय के लोगों ने जमातियों के खिलाफ क्यों मौन साधे हुए है? आखिर दिल्ली से निकलने के बाद इन जमातियों को शरण देने वाले क्यों मौन है? देश के गद्दारों को शरण देना, उनका समर्थन करना कैसी देश भक्ति है? विपक्ष के नेता तो बेचारे इसलिए नही बोल रहे है कि सरकार तो भाजपा की है हमसे क्या पडी है। देश में चाहे जो हो मौन रहो किसी किसी मुद्दे पर बोलकर अपने जिंदा रहने का प्रमाण देश को देते रहे।

आखिर केवल विपक्ष सत्ता की लडाई के लिए ही जनता की प्रेमी है। इस संकट की घडी में भी विपक्षी दलों को भी अपनी राजनीति एक कोने छोडकर देश में जो लोग सरकार के द्वारा जारी किये गये निर्देश को नही मान रहे है। उनके खिलाफ आवाज उठाकर सरकार का साथ तो देना चाहिए। नही तो बेचारे केवल राजनीति कर रहे है। सरकार सभी को पांच पांच किलों चावल नि:शुल्क देने की बात कह रही है तो एक नेता अपने बिल में से निकलकर दस दस किलो की इच्छा जताकर मौन हो गये।

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आखिर क्या मायने है इस नेतागिरी के? जब संकट के समय पुरा देश परेशान है तो बेचारे नेता अपने अपने एसी केबिन में बैठकर छुट्टी का आनन्द ले रहे है। कम से कम सभी नेता सरकार के तरफ से कोरोना वायरस के बचाव के लिए जारी दिशा निर्देश का पालन करने का अपील तो कर सकते है। जिससे उनके समर्थक सच में समझ जाये कि कोरोना वायरस से नुकसान हो सकता है।

क्योकि अभी कुछ लोग इसे भी सरकार की चाल समझ करे है। तो कम से कम विपक्ष के नेता अपने समर्थको को यह एहसास करा दे कि कोरोना एक जानलेवा वायरस है। इससे बचने के लिए सरकार के तरफ से जारी निर्देश का पालन करें। बल्कि यह भी घोषणा कर दें कि सरकार के तरफ से जारी सभी योजनाओं का लाभ लेने के बावजूद भी हमें वोट करना लेकिन इस समय सरकार के तरफ से जारी किये गये निर्देशों को मानना जरूरी है।

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