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90 दिन में पूरी की जाए जेपी इंफ्रा की दिवाला समाधान प्रक्रिया: शीर्ष अदालत

अदाणी ग्रुप जिसने कथित तौर पर जेपी इन्फ्रा की लटकी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 1,700 करोड़ की पेशकश की थी को भी जेपी इन्फ्रा के लिए बोली लगाने की दौड़ से बाहर कर दिया है।

Harsh Pandey
Published on: 6 Nov 2019 7:14 PM IST
90 दिन में पूरी की जाए जेपी इंफ्रा की दिवाला समाधान प्रक्रिया: शीर्ष अदालत
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नोएडा: शीर्ष अदालत ने जेपी इंफ्रा की मूल कंपनी जेपी एसोसिएट को बिड प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। निर्देश देते हुए कहा है कि जेपी इंफ्रा की दिवाला समाधान प्रक्रिया 90 दिन में पूरी हो जाए। इस फैसले ने घर खरीददारों को राहत दी है। न्यायालय ने सिर्फ सरकारी निर्माण कंपनी एनबीसीसी और सुरक्षा रियल्टी को लेनदारों की समिति (सीओसी) के सामने अपने संशोधित प्रस्ताव पेश करने की इजाजत दी है।

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इसके साथ ही अदाणी ग्रुप जिसने कथित तौर पर जेपी इन्फ्रा की लटकी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 1,700 करोड़ की पेशकश की थी को भी जेपी इन्फ्रा के लिए बोली लगाने की दौड़ से बाहर कर दिया है।

न्यायालय ने कापोर्रेट दिवाला समाधान प्रक्रिया आज से 90 दिन के भीतर पूरा करने का निर्देश दिए हैं। इसमें से पहले 45 दिन में दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत सिर्फ सुरक्षा रियलटी और एनबीसीसी से ही संशोधित समाधान योजना मंगाई जा सकेगी।

इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि ये दोनों जेपी इंफ्राटेक के लिए अंतिम बोली लगाने वालों में थे। दोनों ने पहले भी समाधान योजना पेश की थी।

वे बातचीत के बाद कर्जदाताओं की समिति के समक्ष अपनी संशोधित योजना, यदि ऐसा आवश्यक हुआ, पेश करें और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण को सौंपे।

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दूसरे चरण 21 दिसम्बर...

दूसरे चरण की 45 दिन की अवधि 21 दिसंबर, 2019 से शुरू होगी। इसमें किसी भी तरह की कठिनाई को दूर करने और निर्णय करने वाले प्राधिकार को उचित आदेश पारित करने के लिए समय दिया गया है।

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गौरतलब है कि यह मामला सबसे पहले अगस्त 2017 में आईडीबीआई बैंक द्वारा ऋणदाताओं की ओर से दिवालिया कार्यवाही के लिए एक अर्जी दाखिल करने के बाद राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) के सामने आया था।

जेपी एसोसिएट्स को मिला बड़ा झटका...

जेपी एसोसिएट्स कंपनी के शेयर होल्डर व प्रमोटर्स को अपने पक्ष में कर बिड हासिल करने का प्रयास कर रहा था। इसके लिए उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। इस याचिका को अदालत ने खारिज करते हुए उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया।

एसोसिएट्स की प्लानिंग थी कि प्रमोटर्स से मिलने वाले 400 करोड़, करीब 3300 करोड़ रुपए होम बायर्स के और यमुना टोल की अगस्त 2012 से कंपाउंडिंग ग्रोथ 24 प्रतिशत जिसमे अनुरक्षण के बाद करीब 6 प्रतिशत की बचत मिलाकर 36 महीने में 17 हजार 756 फ्लैटों का निर्माण कर होम बायर्स को कब्जा देने की थी।

वह बात उसने अपनी एनुअल जर्नल मीटिंग (एजीएम) में भी की थी। लेकिन शीर्ष अदालत ने उसकी इस योजना को नकार दिया।

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Harsh Pandey

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