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आजादी की जंग: अहम हिस्सों का ऐसा किस्सा, जिसने रच दिया अवध का इतिहास
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के झंडे वाला पार्क की। झंडे वाला ये पार्क लखनऊ नगर के अमीनाबाद में स्थित है। आखिर ऐसा क्या हुआ जो इस पार्क का नाम झंडे वाला पार्क रखा गया। आइये जानते है क्या हैं वे ऐतिहासिक घटनाएं
लखनऊ : देश के लिए कुर्बान हुए शहीदों को याद करने का कोई खास दिन नहीं होता हैं। जिन शहीदो की वजह से आज हम स्वतंत्र है, खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं, अपनी मर्जी से जी रहे हैं उन्ही क्रान्तिकारियों की वजह से 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था। अगस्त का इस महीने में आजादी के समय ऐसी कई घटनाएं हुईं हैं। जैसे काकोरी कांड के नायकों को सजा मिली, भारत को देश विभाजन का दंश भी अगस्त के महीने में ही मिला।
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इसी सिलसिले में बात करते हैं, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के झंडे वाला पार्क की। झंडे वाला ये पार्क लखनऊ नगर के अमीनाबाद में स्थित है। आखिर ऐसा क्या हुआ जो इस पार्क का नाम झंडे वाला पार्क रखा गया। आइये जानते है क्या हैं वे ऐतिहासिक घटनाएं
ऐतिहासिक घटनाएं: लखनऊ का झंडेवाला पार्क
4 जनवरी 1931 को झंडेवाले पार्क में सबसे पहले बारदौली दिवस मनाया गया था।
स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से जुड़े चंद्रभानुगुप्त, परमेश्वरी दयाल और कैलाशपति वर्मा को 12 जनवरी 1931 को इसी पार्क में अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया था।
लखनऊ के इसी पार्क में तमाम पाबंदियों के बावजूद 26 जनवरी 1931 को स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। झंडेवाला पार्क में ही जनवरी 1934 में महात्मा गांधी ने जनसभा को संबोधित किया था।
1935 में इसी जगह पर कांग्रेस की स्वर्ण जयंती मनाई गई और तिरंगा झंडा फराया गया।
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झंडेवाले इस पार्क से 1936 में बाबा खिजर के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया और सन 57 जिंदाबाद, तात्याटोपे जिंदाबाद, मौलबी अहमद उल्लाह जिंदाबाद के नारे लगाए गए। जबकि 1938 में इसी पार्क में नेता जी सुभाषचंद्र बोस ने स्वदेशी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था।
इसी पार्क में सन् 1940 में स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया गया। इसी पार्क में 1941 में जवाहर दिवस पर शिवराजवंती नेहरू ने महिला विद्यालय में हड़ताल करा कर महिलाओं के साथ पार्क झंडारोहण किया किया था।
ये हुए थे नजरबंद
सन् 12 सितंबर 1942 को बाबू मोहन लाल सक्सेना यहीं पर नजरबंद हुए। 21 सितंबर 1942 में धारा 129 तोड़ने पर क्रांतिकारी आशालता की गिरफ्तारी हुई थी।
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झंडेवाला पार्क में 9 अगस्त 1943 में अंग्रेजों भारत छोड़ो का विशाल आयोजन किया गया। 1945 में पं शिव नारायण द्विवेदी कई वर्ष के गुप्त स्वतंत्रता अभियान के बाद इसी पार्क में सबके सामने आए।
स्वतन्त्रता दिवस 15 अगस्त 1947 को भारत राष्ट्र ध्वज फहरा कर अवध के लोगों ने जश्न-ए-आजादी मनाई थी।
लखनऊ का झंडेवाला पार्क 1931 से 1947 तक सह पार्क भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का गवाह रहा हो। लेकिन, आज यहां यह सब बस दास्तां ही बन कर रह गयी है। इतना जरूर है कि इस पार्क में राष्ट्र ध्वज तिरंगा पकड़े विशालकाय मूर्ति लोगों को इतिहास की याद दिलाता है।
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