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नई शिक्षा नीति से बड़ा बदलावः विशेषज्ञों ने रखी अपनी राय, कही ये बात

मुख्य अतिथि भारत सरकार के शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर ठीक करना वर्तमान परिवेश की आवश्यकता है।

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Published on: 28 Aug 2020 3:08 PM GMT
नई शिक्षा नीति से बड़ा बदलावः विशेषज्ञों ने रखी अपनी राय, कही ये बात
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नई शिक्षा नीतिः सम्भावनाएं और चुनौतियां विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का समापन हुआ।

अयोध्या: डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय एवं स्टूडेंटस फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट इन ह्यूमैनिटी के संयुक्त संयोजन में आज 28 अगस्त को नई शिक्षा नीतिः सम्भावनाएं और चुनौतियां विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का समापन हुआ। समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि भारत सरकार के शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर ठीक करना वर्तमान परिवेश की आवश्यकता है। शिक्षा का मूल्य उद्देश्य अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर जाना होता है।

इस नई शिक्षा नीति से होगी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की शुरूआत

मुख्य अतिथि संजय धोत्रे ने कहा कि शिक्षा एक ऐसा विषय है जिससे भारत प्रत्येक परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि देश के प्रधानमंत्री एवं मानव संसाधन मंत्री के नेतृत्व में आज भारत को नई शिक्षा नीति मिली है। भारतीय शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की शुरूआत इस नीति से हुई है। जो भारत को नई ऊचाई पर ले जायेगी। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य है राष्ट्र निर्माण। उन्होंने कहा कि शिक्षा की सार्थकता तभी होगी जब छात्रों का सर्वांगीण विकास हो और जिस क्षेत्र में वे कार्य करना चाहते है उसका ज्ञान और स्किल उनके पास हो।

Webinar On New Education Policy नई शिक्षा नीति पर आयोजित वेबिनार (फाइल फोटो)

विश्वस्तरीय शिक्षा की गुणवत्ता के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। समापन की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रविशंकर सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति राष्ट्रीय महत्व का एक महत्वपूर्ण विषय है। नई शिक्षा नीति को लेकर केन्द्र सरकार और शिक्षाविदों ने काफी मंथन के बाद यह नीति तैयार की है। भारतीय सामाजिक मान्यताओं एवं मूल्यों के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत की तरफ देश का प्रत्येक नागरिक आगे बढ़े यही नई शिक्षा नीति का उद्देश्य है।

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इस नीति को लेकर जनमानस जिज्ञासु एवं संवेदनशील है। कुलपति ने कहा कि इस नई शिक्षा नीति के अनुरूप अपनी शैक्षिक क्रियाकलापों और शोध कार्यों को आगे बढ़ाते हुए आज के भारत को आत्मनिर्भर बनाते हुए अपना सार्थक योगदान देंगे। प्रो0 सिंह ने कहा कि भारत की शिक्षा नीति विश्वस्तर की प्रतियोगिता में खरी उतरे इसके लिए हम सभी की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।

नई शिक्षा नीति अत्यंत लचीली

Webinar On New Education Policy नई शिक्षा नीति पर आयोजित वेबिनार (फाइल फोटो)

समापन सत्र के पूर्व तकनीकी सत्र का आयोजल किया गया। तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य अनुराग बेहर ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अन्तर्निहित भावना को समझना होगा। इसमें एकीकरण को सर्वाधिक महत्ता दी गई है। जो शिक्षा के उद्देश्यों को पूरा करता है। मानवीय गुणों पर बल दिया गया है। उन्होंने बताया कि किसी संस्थान की संस्कृति, वहां पर शिक्षा का वातावरण देश में शिक्षा की संस्कृति को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। यह नीति निःसंदेह अद्वितीय है।प्रो बलराज चैहान, कुलपति धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जबलपुर ने कहा कि नई शिक्षा नीति निश्चित रूप से भारत के भविष्य के निर्माण में प्रत्यक्ष रूप से सहायक होगी।

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इस नीति को शिक्षा के क्षेत्र में एक निर्णायक कदम मान सकते है। उन्होंने बताया कि यह नीति विद्यार्थियों के स्पष्ट रूप से सोचने की क्षमता पर अपना ध्यान केन्द्रित करती है। इस नीति में शिक्षण संस्थाओं को अधिक शक्तियां प्रदान की गई है। अंत में उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा के इतिहास में यह अबतक की सबसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नीति साबित होगी। प्रो लक्ष्मन सिंह राठौर, पूर्व निदेशक भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि नीतियां तो बनती रहती है। लेकिन उनका क्रियान्वयन किस प्रकार हो यह आवश्यक है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के कई पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुरातन शैक्षिक व्यवस्था को पुर्नस्थापित करना इस नीति का उद्देश्य है।

Webinar On New Education Policy नई शिक्षा नीति पर वेबिनार आयोजित (फाइल फोटो)

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नई शिक्षा नीति में गुणवत्ता पर विशेष जोर दिया गया है। शिक्षा व्यवस्था सम्पूर्ण होने के साथ-साथ लचीली भी होनी चाहिए। इसमें ज्ञान के विकास पर जोर दिया गया है। मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 एसएन सिंह ने कहा कि पिछली लगभग सभी शिक्षा नीतियों में परीक्षा प्रणाली थोड़ी भ्रामक रही है। जो विद्यार्थियों में चिन्ता का एक बड़ा कारण है। लेकिन इस नई शिक्षा नीति में जिस प्रकार शिक्षा का सामान्यीकरण किया गया है उससे निःसंदेह भ्रांतियां देर होगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस नई शिक्षा नीति को लागू करना अवश्य ही एक बड़ी चुनौती है। इस नीति से उद्यमिता के क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा जिससे आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।

शिक्षा नीति-2020 ने भारत को विश्वगुरू बनाने का बजाया बिगुल

Webinar On New Education Policy नई शिक्षा नीति पर आयोजित वेबिनार (फाइल फोटो)

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के डॉ अंशु जोशी ने कहा कि पिछले 34 वर्षों से जो भारतीय शिक्षा प्रणाली चली आ रही थी। उसमें आमूलचूल परिवर्तन करते हुए नई शिक्षा नीति हमारे सामने है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब भारत की शिक्षा प्रणाली नैतिक मूल्यों के मजबूत स्तम्भ पर खड़ी थी। अंको के बजाय ज्ञान पर आधारित थी। नई शिक्षा नीति-2020 में एक बार फिर भारत को विश्वगुरू बनाने के प्रयास का बिगुल बजा दिया है। यह अत्यन्त लचीली एवं बहुआयामी है। शिक्षा के सर्वांगीण विकास और भारतीय संस्कृति के साथ आने वाले भविष्य की रूपरेखा पर यह नीति निर्धारित है।

Webinar On New Education Policy नई शिक्षा नीति पर आयोजित वेबिनार फाइल फोटो)

लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रो आर के मिश्र ने कहा कि इस शिक्षा नीति में किये गये परिवर्तन अत्यन्त उत्साहजनक है। परन्तु यह नीति केवल दिवास्वप्न बनकर न रह जाये इसके लिए आवश्यक है कि इन नीतियों का उचित क्रियान्वयन हो। इसमें राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। राजनैतिक विचारधाराओं को अलग रखकर राष्ट्र के हित में निर्णय लिया जाये। अंत में कहा कि इसमें नवीनतम बात यह कि कुछ श्रेष्ठ भारतीय विश्वविद्यालयों के कैम्पस विदेशों में और कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पस भारत में स्थापित किये जायेंगे।

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एमएचआरडी के सलाहकार डॉ रामानन्दन पाण्डेय ने कहा कि कोई नीति कितनी जन हित में हो उसका निर्धारण इस बात से किया जा सकता है कि समाज स्वयं को उस नीति से जोड़ने में कितना सक्षम है। इसमें मातृ भाषा को बढ़ावा दिया गया है। उन्होंने कहा कि हम सदैव ब्रिटिश एवं अन्य यूरोपीय देशों की शिक्षा नीतियां का उदाहरण देते और अनुसरण करते आये है। परन्तु हमने इस बात का ध्यान नही दिया कि ब्रिटेन में अंग्रेजी पढ़ाई जाती हैं वो ब्रिटेन की मातृभाषा ही है।

रिपोर्ट- नाथ बख्श सिंह

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