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‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ की शुरुआत, राज्यपाल बोलीं- मां का दूध सबसे बड़ी दवा

आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से प्रदेश से ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ के शुभारम्भ के अवसर पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व स्तनपान दिवस के संबंध में पूरा विश्व जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है

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Published on: 1 Aug 2020 9:34 PM IST
‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ की शुरुआत, राज्यपाल बोलीं- मां का दूध सबसे बड़ी दवा
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊः उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से प्रदेश से ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ के शुभारम्भ के अवसर पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व स्तनपान दिवस के संबंध में पूरा विश्व जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। स्तनपान क्यों करवाना चाहिए तथा इससे बच्चे एवं माँ को क्या फायदा तथा स्तनपान न कराने से क्या-क्या नुकसान हो सकता है, इस बात की जानकारी पिता को भी होनी चाहिए।

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बच्चे को दूध पिलाने में किसी तरह का भ्रम नहीं पालना चाहिए

एक स्त्री के गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म तक महिला को किस तरह का पोषण, आचार-विचार व अनुकूल वातावरण मिले, न केवल माता-पिता को बल्कि हमारी किशोरियों को भी इस बात का ज्ञान होना चाहिए। एक स्त्री को गर्भधारण के दौरान जिस तरह का वातावरण एवं भोजन मिलेगा, गर्भ के अन्दर पल रहे बच्चे पर भी उसका प्रभाव पड़ेगा। इसका दृष्टांत महाभारत में अभिमन्यु के जन्म से लिया जा सकता है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि सभी माता-पिता इस पर सकारात्मक सोच के साथ बच्चे के भविष्य के मद्देनजर सभी आवश्यक कदम उठाये ताकि माँ व बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। बच्चे को दूध पिलाने में किसी तरह का भ्रम नहीं पालना चाहिए।

50 प्रतिशत बेटियां एनीमिक

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं का ब्लड टेस्ट कराने पर यह पता चला कि हमारी 50 प्रतिशत बेटियां एनीमिक हैं। यहां तक कि उनमें होमोग्लोबिन का स्तर 4-5 प्वाइंट तक मिला है, यह सोचनीय स्थिति है। यह पिता को सोचना होगा कि ऐसी बेटी अगर गर्भधारण करेगी तो क्या उसका बच्चा स्वस्थ पैदा होगा तथा क्या वह ऐसी स्थिति में होगी कि वह अपने बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध पिला सके। ऐसी बेटी कुपोषित बच्चे को ही जन्म देगी।

बेटी के प्रति सोच में पिता को बदलाव लाना होगा क्योंकि माँ का दूध सबसे बड़ी दवाई एवं बच्चे का पहला टीका होता है। इसका बच्चे के मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है। माँ के दूध में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। यह शिशु को मजबूत बनाने के साथ बीमारियों से बचाव भी करता है। नवजात शिशुओं की माताओं को स्तनपान व्यवहार हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए तथा परिवार के सभी सदस्य माँ को नवजात बच्चे को स्तनपान कराने में सक्रिय सहयोग प्रदान करें।

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पहला घंटा बच्चे के स्तनपान के लिये अत्यन्त आवश्यक

राज्यपाल ने माताओं को आह्वान किया कि वे जन्म के एक घंटे के अन्दर माँ अपना दूध निश्चित रूप से बच्चे को पिलाये तथा अपने फिगर पर ध्यान न दें। उन्होंने कहा कि प्रसव उपरान्त पहला घंटा बच्चे के स्तनपान के लिये अत्यन्त आवश्यक है। पहले छः माह तक माँ केवल अपना ही दूध पिलाये और इसके बाद ही घर का बना अनुपूरक आहार दें। इससे समय बच्चा तेजी से बढ़ता है। उन्होंने कहा कि माँ को चाहिए कि वह दो वर्ष तक निरन्तर बच्चे को अपना दूध पिलाती रहे।

नई शिक्षा नीति पर राज्यपाल ने कही ये बात

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि केन्द्र सरकार की घोषित नई शिक्षा नीति में भी ऐसे विषयों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि स्तनपान की जागरूकता हेतु यह आवश्यक है कि सभी विभाग एक मंच पर आकर संयुक्त रूप से प्रयास करें तथा इसमें ग्रामीण व शहरी क्षेत्र की महिलाओं, बच्चों, स्वयं सहायता समूह आदि को भी जोड़ें। उन्होंने प्रधानमंत्री के फिट इण्डिया कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें केवल योग एवं खेल ही नहीं, बल्कि पौष्टिक आहार व व्यवहार भी शामिल है।

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इससे पहले एसजीपीजीआई की डाॅ. पियाली भट्टाचार्या ने स्तनपान की महत्ता पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाती सिंह, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अतुल गर्ग, अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता, अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव, महिला एवं बाल विकास राधा एस चैहान, सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अपर्णा उपाध्याय, महानिदेशक परिवार कल्याण डाॅ मिथलेश चतुर्वेदी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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