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उत्तराखंड भयानक आपदा: शुक्र है बंद थे चार धामों के कपाट, नहीं तो होती बड़ी तबाही
उत्तराखंड में ग्लेशियर के टूटने से तपोवन क्षेत्र स्थित ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट का बांध टूट गया है और बड़ी तबाही की आशंका जताई जा रही है। इस घटना में करीब 150 लोग लापता बताए जा रहे हैं और प्रशासन की टीमें लापता लोगों की जानकारी जुटाने में लगी हुई हैं।
देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में रविवार को एक बड़ा ग्लेशियर टूटने की प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर लोगों को केदारनाथ हादसे की याद दिला दी। ग्लेशियर के टूटने से तपोवन क्षेत्र स्थित ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट का बांध टूट गया है और बड़ी तबाही की आशंका जताई जा रही है। इस घटना में करीब 150 लोग लापता बताए जा रहे हैं और प्रशासन की टीमें लापता लोगों की जानकारी जुटाने में लगी हुई हैं। इस हादसे के बाद ऋषिकेश और हरिद्वार तक अलर्ट जारी कर दिया गया है।
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उत्तराखंड में देवों के कपाट बंद
वैसे जानकारों का कहना है कि शुक्र इस बात का है कि यह हादसा ऐसे समय में हुआ है जब उत्तराखंड में देवों के कपाट बंद हैं। देश के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में माने जाने वाले बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल की वजह से बंद हैं।
इन धामों के खुले रहने पर रोजाना काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। दोनों धामों के अलावा गंगोत्री और यमुनोत्री के भी कपाट बंद हैं। इसलिए माना जा रहा है कि श्रद्धालुओं के न होने के कारण बड़ा हादसा टल गया है।
फोटो-सोशल मीडिया
बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड में हर साल शीतकाल शुरू होने पर चारों धाम के कपाट बंद होने की तिथि और खुलने की तिथि तय की जाती है। कपाट खुलने का समय मार्च-अप्रैल में आता है जबकि अक्टूबर-नवंबर में चारों धामों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
बद्रीनाथ धाम के कपाट गत वर्ष 19 नवंबर को शाम 3:35 पर शीतकाल के लिए बंद किए गए थे, जबकि केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के दिन 16 नवंबर को सुबह साढ़े आठ बजे बंद कर दिए गए थे। बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम लोगों की अगाध श्रद्धा के केंद्र हैं और कपाट खुले होने पर काफी संख्या में श्रद्धालु रोजाना यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
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शीतकाल में गंगोत्री और यमुनोत्री के भी कपाट बंद
इन दोनों नामों के अलावा यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज के दिन ही 16 नवंबर को बंद किए गए थे जबकि गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट के अवसर पर 15 नवंबर को पूर्वाह्न में शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए थे। विजयदशमी के दिन की जाती है घोषणा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विजयदशमी के दिन भगवान श्री बद्रीनाथ के कपाट बंद करने की घोषणा पंचांग की गणना के अनुसार की जाती है।
फोटो-सोशल मीडिया
जानकारों का कहना है कि चारों धाम के कपाट बंद होने और इस समय उत्तराखंड में जबर्दस्त ठंड होने के कारण यहां पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या कम है। इस वजह से भयानक हादसा टल गया है, नहीं तो ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद काफी संख्या में श्रद्धालु इसका शिकार हो सकते थे।
हालात का जायजा लेने सीएम रवाना
रैणी के पास रविवार को हुए हादसे के बाद ऋषिकेश और हरिद्वार तक खतरा बढ़ गया है और यही कारण है कि प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी किया गया है। हालात का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जोशीमठ के लिए रवाना हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषि गंगा प्रोजेक्ट को भारी बारिश व अचानक पानी आने से जबरदस्त क्षति पहुंचने की आशंका है।
फोटो-सोशल मीडिया
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निचले हिस्सों में भी बाढ़ की आशंका
नदी में सैलाब आने से अलकनंदा के निचले हिस्सों में भी बाढ़ की संभावना पैदा हो गई है। उत्तराखंड सरकार की ओर से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अलर्ट किया गया है और नदी किनारे बसे लोगों को क्षेत्र से हटाया जा रहा है। प्रशासन की ओर से भागीरथी नदी का फ्लो भी रोक दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने लोगों से अफवाहों पर बिल्कुल भी ध्यान न देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि केवल सरकारी और प्रामाणिक सूचनाओं पर ही ध्यान दें। उत्तराखंड सरकार की ओर से हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया गया है।
बढ़ सकती है मरने वालों की संख्या
इस बीच राज्य के मुख्य सचिव ओमप्रकाश का कहना है कि ऋषि गंगा प्रोजेक्ट का डैम टूटने से आई तबाही में करीब 100 से 150 लोगों के मरने की आशंका है। उन्होंने कहा कि यह संख्या बढ़ भी सकती है। लोगों को बचाने के लिए श्रीनगर व ऋषिकेश डैम को खाली कराया गया है। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को मुस्तैदी के साथ राहत कार्य में जुटने का निर्देश दिया है।
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रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी