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एक योग टीचर के कई रूप, ऐसे करती है समाज सेवा, UN भी कर चुका आमंत्रित

नूपुर के प्रयासों को देख कर संयुक्त राष्ट्र ने श्रीलंका, अफ्रीका में आई प्राकृतिक आपदा के समय योग और उपचार अभियान आयोजित करने के लिए नूपुर को आमंत्रित किया।

Aradhya Tripathi
Published on: 14 May 2020 7:58 PM IST
एक योग टीचर के कई रूप, ऐसे करती है समाज सेवा, UN भी कर चुका आमंत्रित
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वो सही ही कहा जाता है कि अगर किसी काम को सच्चे दिल से करने की ठान लो तो आपको उसमे सफलता जरूर ही मिलती है। फिर वो चाहे कितना भी मुश्किल क्यों न हो। इसके लिए जरुरत होती है तो सिर्फ दृढ निश्चय की। दृढ़ता की। जो आपको सफल बनाता है। ऐसा ही कर के दिखाया है साधारण सी पृष्ठभूमि की एक असाधारण लड़की ने जिसका नाम है नूपुर तिवारी। जिसको बचपन से ही योग के प्रति रूचि और झुकाव था।

लेकिन एक परम्परावादी परिवार से होने के चलते वो अपनि इन इक्षाओं को दबाये हुए थी। लेकिन जब वो बड़े होकर अपनी पढाई के लिए 2003 में जापान के शहर शिकोकू गई तब उसने वहाँ लोगों को देखा। और उसे लगा कि वो यहां अपने मन की इक्षाओं को पूरा कर सकती है। जिसके बाद उसने लोगों को योग की शिक्षा देना और योगा सिखाना प्रारम्भ किया और आज पूरी दुनिया के साथ संयुक्त राष्ट संघ भी उसके कार्यों की सराहना कर रहा है।

जापान में लोगों में तनाव देख कर शुरू की योग शिक्षा

जापान में अपनी पढाई के बाद नूपुर ने एक कंपनी में काम शुरू किया। उस कंपनी में काम करने के दौरान उन्होंने देखा कि लोगों की जीवनशैली रोबोट की तरह है और वो हमेशातनाव में रहते हैं। तब उनके दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न योग के माध्यम से लोगों के तनाव को कुछ कम किया जाए।

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नुपूर ने भारतीय संस्कृति का सहारा लेकर विभिन्न संस्थाओं में योग शिविर आयोजित किए। हालांकि कुछ स्कूलों में वो अंतराष्ट्रीय संबंधों की कक्षाएं भी लेती थीं, तो उन्होंने इन स्कूलों में भी योग शिक्षा देना प्रारंभ किया। नुपूर के इस प्रयास को सफलता मिली और लोग नुपूर से जुड़ने लगे और उनकी पहचान जापान में अनऑफिशियल ब्रांड एम्बेसडर ऑफ इंडिया के तौर पर होने लेगी। अब यहां नुपुर के साथ कई लोग जुड़ गए थे।

2015 की एक घटना ने बदल दी पूरी जिंदगी

लेकिन नूपुर की जिंदगी में बदलाव जापान में 2015 में हुई एक घटना के बाद आया। 2015 में कुमामोटो भूकंप ने उनके जीवन को समाज सेवा से सीधे जोड़ दिया। इस भूकंप ने क्यूशू में एक बड़े क्षेत्र को तबाह कर दिया। प्राकृतिक आपदा को देखकर वो हैरान रह गई। वहां बचे लोग लाचार और तनाव में थे। नुपूर ने सोचा कि सिर्फ पैसे के अलावा वो किस तरह से उनकी सहायता कर सकती हैं। उन्होंने लोगों के लिए वहां भी कुमामोटो में चैरिटी योग शिविर शुरू किए।

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जिससे भूकंप में अपना सब कुछ खो चुके लोगों की मनोदशा में बदलाव लाया जा सके। इसका लाभ भी हुआ और लोग हादसे से उबरने लगे। वहां उन्होंने कुछ स्वैच्छिक दान कार्यक्रम भी चलाए, जिससे होने वाली आय से बर्बाद हो चुके लोगों के घरों के पुनर्निर्माण को वित्तपोषित किया गया। नूपुर के इन कार्यक्रमों ने कुमामोटो के क्यूशू क्षेत्र को संभलने में काफी मदद की।

संयुक्त राष्ट्र ने दिया न्योता

धीरे धीरे नूपूर के काम को सराहना मिलने लगी। नूपुर को सराहा जाने लगा। जापान में नुपूर तिवारी के प्रयासों को काफी सराहा गया। जिसके बाद धीरे धीरे अब नूपुर की ये कामयाबी आगे बढ़ने लगी। लेकिन फिर वो हुआ जो शायद नूपुर ने भी नहीं सोचा होगा। जापान में भूकंप के समय नूपुर के प्रयासों को देख कर संयुक्त राष्ट्र ने श्रीलंका, अफ्रीका में आई प्राकृतिक आपदा के समय योग और उपचार अभियान आयोजित करने के लिए नूपुर को आमंत्रित किया।

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इस प्रकार योग से हुई एक शुरुआत ने देश और दुनिया को दुरुस्त और तंदुरुस्त रखने के लिए नूपुर के समक्ष कई और आयाम खोल दिए। वह आज एक शिक्षक, योग प्रशिक्षक बनकर समाजसेवा कर रही हैं और नुपूर को मोटिवेशनल स्पीचेस के लिए भी उन्हें आमंत्रित किया जाने लगा। अब उन्हें विश्व पटल पर एक टीचर, मोटिवेशनल स्पीकर, मेंटल हेल्थ कौंसिलर एवं समाजसेवी के रूप जाना जाने लगा।

भारत की ओर किया रुख

हील टोक्यो के लिए काम करे हुए नुपूर ने भारत में भी काम शुरू किया। 2017 में की शुरुआत में उन्होंने कई राज्यों के स्कूलों में कॉपी, किताब, स्टेशनरी मुहैया कराई। मुंबई और ओडिशा में प्राकृतिक आपदा के समय उन्होंने प्रधानमंत्री राहतकोश में मदद भी की। मुंबई में 2017 में उन्होंने बाढ़ राहत हेतु कार्य किया। बंगाल के कई स्कूलों को भी बहुत सी सुविधायें मुहैय्या करवाईं। गुरुग्राम में निराश्रितों को कम्बल बांटे और अन्य कुछ सुविधायें भी मुहैया कराईं।

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उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक महिला द्वारा झुग्गी के गरीब बच्चों को पढ़ाने की जानकारी होने पर उसे हील टोकयो ने गोद लिया। उस एक कमरे के स्कूल का पुर्ननिर्माण करावा और स्कूल में आधुनिक डिजिटल कक्षाएं स्थापित कीं। हील टोक्यो के माध्यम से ही छात्रों के लिए सभी किताबें, स्टेशनरी, वर्दी और उचित भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। कोलकता के साल्ट लेक क्षेत्र में भी हील टोकयो वंचितों के लिए एक स्कूल लेकर आ रहा है। बंगाल की ग्रामीण महिलाओं के लिए एक सशक्तिकरण कार्यक्रम की योजना पर भी काम चल रहा है।



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Aradhya Tripathi

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