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सेना सड़क पर आएगी: सावधान रहें यहां प्रदर्शनकारी, आ रहा ये कानून

अमेरिका में कोरोना से हुई लाखों लोगों की मौत हो रही लेकिन ऐसे में मालूम पड़ता है कि यहां के तमाम शहरों में हो रहे प्रदर्शनकारियों को इससे कोई लेना-देना नहीं है।

Vidushi Mishra
Published on: 3 Jun 2020 11:01 AM GMT
सेना सड़क पर आएगी: सावधान रहें यहां प्रदर्शनकारी, आ रहा ये कानून
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नई दिल्ली: अमेरिका में कोरोना से हुई लाखों लोगों की मौत हो रही लेकिन ऐसे में मालूम पड़ता है कि यहां के तमाम शहरों में हो रहे प्रदर्शनकारियों को इससे कोई लेना-देना नहीं है। जब से अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में रहने पर मौत हो गई, उसके बाद से अमेरिका के 40 से ज्यादा शहरों में सड़कों पर प्रदर्शनकारी लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनों को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सेना उतारने की भी चेतावनी दी है। बात ये है कि अमेरिका में एक राजद्रोह कानून है जिसके तहत राष्ट्रपति सेना को उतार सकते हैं। चलिए बताते है कि क्या है ये राजद्रोह कानून।

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राजद्रोह कानून

सन् 1807 में अमेरिका में राजद्रोह का कानून लाया गया, जिसके जरिए किसी भी तरह के राजद्रोह या कानून के प्रतिरोध, चाहे वो संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के हो या फिर किसी भी अन्य देश या प्रांत का, अमेरिका के राष्ट्रपति स्थिति को काबू करने के लिए सेना को सड़कों पर उतार सकते हैं।

ऐसे में प्रदर्शनकारियों को देखते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कथन में यह साफ नहीं किया है कि कानून के जरिए वो राष्ट्रीय गार्ड का सहारा लेंगे या फिर अमेरिकी सेना का। वैसे बता दें कि राष्ट्रपति ट्रंप के पास इतनी पावर है कि वो दोनों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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राष्ट्रीय गार्ड और अमेरिकी सेना

अब बता दें, कि राष्ट्रीय गार्ड और अमेरिकी सेना में फर्क क्या है। राष्ट्रीय गार्ड में अधिकतर आम नागरिक होते हैं जिन्हें हर महीने के दो दिन या फिर वीकेंड पर या साल में दो हफ्ते के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।

लेकिन राष्ट्रीय गार्ड का कंट्रोल राज्यों के गवर्नर के पास होता है। ऐसा बताया जा रहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मिली हुई शक्तियों के जरिए इन्हें तैनात करने का फैसला सुना सकते हैं।

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साथ ही ये भी देखा गया है कि राष्ट्रीय गार्ड प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने में ज्यादा सफल नहीं हो पाते क्योंकि इनको प्रदर्शनकारियों को रोकने का प्रशिक्षण नहीं मिला होता है। वहीं इससे पहले विश्व युद्ध द्वितीय के बाद पहली बार राजद्रोह कानून का इस्तेमाल किया गया था।

उस समय पूर्व राष्ट्रपति डी आइजनहावर ने अर्कांसस नेशनल गार्ड के विरुद्ध सेना के 101वें एयरबोर्न डिवीजन को बुलाया था, जो स्कूल में अश्वेत छात्रों का घुसने से रोक रहे थे। इसके बाद इस कानून को 1992 में इस्तेमाल में लाया गया था। तभी दंगों को और ज्यादा भड़कने से रोका जा सके।

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Vidushi Mishra

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