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तानाशाह का बुरा हाल: देश में आई तंगी, अब ऐसे बचाएंगे किम

कोरोना वायरस से उत्तर कोरिया की भी हालत बेहद खराब चल रही है। बिजनेस ठप होने की वजह से काफी नुकसान हो रहा है। लेकिन अब इस नुकसान की वजह से तानाशाह किम जोंग ने एक अनोखा ही तरीका खोज निकाला है।

Shreya
Published on: 3 Jun 2020 9:00 AM GMT
तानाशाह का बुरा हाल: देश में आई तंगी, अब ऐसे बचाएंगे किम
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर के तमाम देशों में लॉकडाउन लागू किया गया है। लॉकडाउन की वजह से सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। बॉर्डर सील होने की वजह से व्यापार ठप पड़े हुए हैं। जिस वजह से कई देश कोरोना संक्रमण की दम कम हो चुके देशों के लिए अपनी सीमाएं खोलने पर विचार कर रहे हैं।

अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अपनाया पुराना तरीका

इधर उत्तर कोरिया की भी हालत बेहद खराब चल रही है। उत्तर कोरिया व्यापार और व्यवसाय के लिए पूरी तरह से चीन पर निर्भर है। कोरोना वायरस के चलते और बॉर्डर सील होने की वजह से इस वक्त बिजनेस तो ठप पड़े हुए हैं। जिस वजह से काफी नुकसान हो रहा है। लेकिन अब इस नुकसान की वजह से तानाशाह किम जोंग ने एक अनोखा ही तरीका खोज निकाला है। इंटरनेशनल मीडिया के अनुसार, वे देश के रईसों को बांड खरीदने पर मजबूर कर रहे हैं।

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अप्रैल में ही बांड छापने का लिया गया फैसला

उत्तर कोरिया के मुद्दों को उठाने वाली दक्षिण कोरिया की वेबसाइट डेली एनके में इस बारे में खबर आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अप्रैल महीने में ही किम जोंग की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी Politburo ने जल्द से जल्द बांड छापने के बारे में तय कर लिया था। बांड छपने के बाद उत्तर कोरिया के सेंट्रल बैंक में पहुंच गए और इसके बाद से बांड की बिक्री चालू है।

बांड से खरीदी जा सकती है कोई भी चीज

जिन कंपनियों को किसी चीज की खरीद के लिए पैसों की जरूरत है, उन्हें भी बैंक से पैसों की बजाए बांड लेने के लिए कहा जा रहा है। इस बांड से उन्हें जहां से भी किसी चीज को खरीदना हो, वो खरीद सकते हैं। जैसे अगर किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी को सीमेंट की जरूरत है तो वो सीमेंट फैक्ट्री को बांड देकर उससे सीमेंट ले सकती है।

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40 फीसदी बांड रईसों को बेच रहा उत्तर कोरिया

ऐसा कहा जा रहा है कि पब्लिक बांड का 60 फीसदी कंपनियों और संस्थाओं को दिए जा रहे हैं तो वहीं 40 फीसदी देश के रईसों को बेचा जा रहा है। वहीं किम जोंग के इस फैसले से Donju क्लास काफी नाखुश है और उनका मानना है कि कोरोना के चलते सुस्त पड़ी इकोनॉमी को उनके पैसों से सही करने की कोशिश की जा रही है। बता दें कि गरीब देश उत्तर कोरिया में भी कई अमीर हैं, जो बिजनेस से संबंध रखते हैं, इन्हें ही Donju कहा जाता है।

1997 के बाद आई मंदी से भी बड़ी है ये मंदी

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना संकट आने के बाद से उत्तर कोरिया में संकट और भी गहरा गया है। उत्तर कोरिया इस वक्त दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि उत्तर कोरिया में इस साल आई मंदी साल 1997 के बाद आई मंदी से भी ज्यादा बड़ी है। इस मंदी को ठीक करने के लिए किम जोंग की सरकार कई तरह की तरीके अपना रही है। जिनमें से एक प्रमुख तरीका है रेयर बांड की बिक्री।

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2003 में हुई पैसों के लिए बांड की बिक्री की शुरुआत

नॉर्थ कोरिया में साल 2003 में पैसों के लिए बांड की बिक्री की शुरुआत हुई थी। तब इसे सरकार ने पीपुल्स लाइफ बॉन्ड का नाम दिया था। सरकार का कहना था कि सरकार से बांड खरीदना राष्ट्रभक्ति है। उत्तरी कोरिया ने सत्तर के दशक में भी अपने बांड को इंटरनेशनल लेवल पर बेचा था, लेकिन साल 1984 में इसे डिफॉल्टर करार देते हुए कई देशों ने बांड को खरीदने से मना कर दिया। हालांकि कई देश ऐसे भी थे जो इस उम्मीद में बांड खरीदते रहे कि एक दिन इस देश की अर्थव्यवस्था भी सुधार आएगा।

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क्या कोरोना से जूझ रहा कोरिया?

अब एक बार फिर से बांड की बिक्री शुरू करने से ऐसा माना जा रहा है कि उत्तरी कोरिया भी कोरोना वायरस से जूझ रहा है। बता दें कि उत्तरी कोरिया हमेशा इस बात को कहता आया है कि उसके देश में कोरोना के एक भी मामले नहीं है। हालांकि चीन से लगी सीमा को बंद करने और बांड की बिक्री शुरू करने से इस बात की ओर इशारा मिल रहा है कि ये देश भी कोरोना से अछुता नहीं है।

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