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तिलमिलाया चीनः ब्रिटेन से कहा- अमेरिका के इशारे पर चलना बंद करें
ब्रिटेन के चीनी राजदूत ने जवाब देते हुए कहा कि अगर ब्रिटेन द्वारा कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर उसके अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो चीन की तरफ से भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
लंदन: चीन को अपनी हरकतों की वजह से दुनियाभर में आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। चीन का कई देशों के साथ तनाव काफी बढ़ता जा रहा है, जिसमें से एक ब्रिटेन भी शामिल है। कल यानी रविवार को ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने संकेत दिए कि वह अपने पूर्व उपनिवेश हांगकांग के साथ मौजूदा प्रत्यर्पण संधि को रद्द कर सकता है।
ब्रिटेन ने हॉन्ग कॉन्ग में चीन के नए 'राष्ट्रीय सुरक्षा कानून' लाने का भी विरोध किया है। ब्रिटेन का मानना है कि चीन यह कानून लाकर हांगकांग के लोगों की स्वायत्तता छीनने की कोशिश करना चाहता है।
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उइगुर मुसलमानों के खिलाफ मानवाधिकारों का हनन करने की कोशिश
इसके अलावा विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने रविवार को चीन पर उइगुर मुसलमानों के खिलाफ मानवाधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही डॉमिनिक राब ने कहा कि इसके लिए जो भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ प्रतिबंधों से इनकार नहीं किया जा सकता है।
वहीं ब्रिटेन के चीनी राजदूत ने जवाब देते हुए कहा कि अगर ब्रिटेन द्वारा कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर उसके अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो चीन की तरफ से भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। साथ ही चीनी राजदूत ने यह भी कहा कि ब्रिटेन अमेरिका के इशारे पर चलना छोड़ दें।
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ब्रिटेन पर अमेरिका के साथ सांठगांठ करने का आरोप
बता दें कि इसी हफ्ते चीन की सरकार की प्रवक्ता ने भी ब्रिटेन पर अमेरिका के साथ सांठगांठ करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन और अमेरिका चीनी कंपनी हुवावे को नुकसान पहुंचाने, चीनी कंपनियों के साथ भेदभाव और उन्हें बाहर निकालने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं।
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राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लाना 1997 में हुए समझौते का उल्लंघन
बता दें कि हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर ब्रिटेन और चीन पहले से ही आमने-सामने हैं। हॉन्ग कॉन्ग ब्रिटेन का उपनिवेश रह चुका है। ब्रिटेन ने साल 1997 में स्वायत्तता की शर्त के साथ हॉन्ग कॉन्ग को चीन को सौंपा था। वहीं ब्रिटेन का कहना है कि हॉन्ग कॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लाना 1997 में हुए समझौते का उल्लंघन है।
इसके अलावा ब्रिटेन ने चीन के खिलाफ एक और बड़ा कदम उठाया है प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सात साल के लिए चीन की बड़ी कंपनी हुवावे की टेक्नोलॉजी पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिससे दोनों देशों के बीच टकराव और बढ़ गया है।
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