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चीन के बुरे दिन शुरू: हर तरफ से घिर रहा दुश्मन देश, सता रही ये चिंता

ताजा जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान सरकार के साथ तालिबान की शांति वार्ता के शुरू होने की वजह से चीन अब तनाव में आ गया है। हालातों को देखते हुए चीन को अपने सीपीईसी (CPEC) प्रोजक्ट के लिए चिंता सताने लगी है।

Newstrack
Published on: 13 Sep 2020 1:15 PM GMT
चीन के बुरे दिन शुरू: हर तरफ से घिर रहा दुश्मन देश, सता रही ये चिंता
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ताजा जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान सरकार के साथ तालिबान की शांति वार्ता के शुरू होने की वजह से चीन अब तनाव में आ गया है।

पेइचिंग: ताजा जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान सरकार के साथ तालिबान की शांति वार्ता के शुरू होने की वजह से चीन अब तनाव में आ गया है। हालातों को देखते हुए चीन को अपने सीपीईसी (CPEC) प्रोजक्ट के लिए चिंता सताने लगी है। ऐसे में चीन को ये डर है कि तालिबान से हथियार पाकर बलूचिस्तान के विद्रोही चीन पाकिस्तान इकनॉमिक प्रोजक्ट में बाधाएं डालेंगे। हालाकिं चीन इससे भी बहुत तिलमिलाया हुआ है कि अगर अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आ जाता है तो इसके चलते शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमान विद्रोह कर सकते हैं।

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चीन हर हालत में उइगुरों पर नियंत्रण पाना चाहता

ऐसे में सामने आई एक रिपोर्ट में हबीबा आशना की तरफ से लिखा है कि शिनजियांग प्रांत की सुरक्षा सीधे तौर पर पेइचिंग के मार्च ईस्ट स्ट्रेटजी से जुड़ी हुई है। जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मध्य एशिया के देशों में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की भी अहम भूमिका है। अपने इस प्रोजक्ट को बचाने के लिए चीन हर हालत में उइगुरों पर नियंत्रण पाना चाहता है।

आगे इस रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि चीन जहां इस्लामिक आतंकवाद पर काबू पाना चाहता है, वहीं उसका सहयोगी पाकिस्तान अपने कई पड़ोसी देशों में आतंवादी गुटों को सहायता दे रहा है। इसलिए चीन जरूर चाहेगा कि पाकिस्तान की मदद से वह इस क्षेत्र में जारी इस्लामिक आतंकवाद पर लगाम लगाए। इससे उसकी अरबों डॉलर की परियोजनाओं पर से खतरा खत्म हो जाएगा।

China फोटो-सोशल मीडिया

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चीन ने सीधे संचार चैनल स्थापित किए

अब ऐसे में ये दावा किया जा रहा है कि तालिबान के साथ चीन का पुराना संबंध है। बहुत पहले जब 1990 के दशक में अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में था, तब चीन ने सीधे संचार चैनल स्थापित किए थे।

खास बात ये है कि आजतक कभी भी तालिबान को चीन का विरोध करते नहीं देखा गया है। लेकिन चीन की तालिबान पर अच्छी पकड़ नहीं है। अब वह अपने दोस्त पाकिस्तान की मदद से ही तालिबान के साथ कोई समझौता कर सकता है।

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