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चीन ने नेपाल को दिया करारा झटका: लिपुलेख को बताया आंतरिक मुद्दा

भारत द्वारा लिपुलेख में कैलाश मानसरोवर रोड लिंक का उद्घाटन करने के बाद से नेपाल के साथ सीमा विवाद एक बार फिर से बढ़ गया है। वहीं नेपाल भारत के साथ विवाद पर लगातार चीन से बात करने की कोशिश में जुटा हुआ है।

Shreya
Published on: 20 May 2020 12:24 PM IST
चीन ने नेपाल को दिया करारा झटका: लिपुलेख को बताया आंतरिक मुद्दा
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नई दिल्ली: भारत द्वारा लिपुलेख में कैलाश मानसरोवर रोड लिंक का उद्घाटन करने के बाद से नेपाल के साथ सीमा विवाद एक बार फिर से बढ़ गया है। वहीं नेपाल भारत के साथ विवाद पर लगातार चीन से बात करने की कोशिश में जुटा हुआ है। लेकिन बीजिंग ने नेपाल को करारा झटका देते हुए इससे किनारा कर लिया है।

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भारतीय क्षेत्रों को अपने नक्शे में किया शामिल

बता दें कि नेपाल की तरफ से हमेशा से उत्तराखंड के लिपुलेख कालापानी, और लिम्पियाधुरा पर दावा पेश किया जाता रहा है। अब नेपाल ने एक नया मैप तैयार किया है, जिसमें उसने भारत के इन तीनों क्षेत्रों को भी शामिल किया है। इस नक्शे को सोमवार को कैबिनेट में मंजूरी भी दी जा चुकी है। नेपाल PM ओली ने कहा कि इन्हें किसी भी कीमत पर नेपाल के नक्शे में शामिल किया जाएगा।

यह भारत और नेपाल के बीच का मामला

इस मुद्दे से किनारा करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि कालापानी नेपाल और भारत के बीच का मामला है। हम उम्मीद करते हैं कि नेपाल और भारत मिलकर मित्रतापूर्ण परामर्श के जरिए अपने बीच मतभेदों को सुलझा लेंगे। साथ ही ऐसी कार्रवाई से भी बचेंगे जिससे हालात बेकाबू हो।

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भारतीय सेना प्रमुख ने किया था ये इशारा

बता दें कि हाल ही में भारतीय सेना प्रमुख मनोज नरवणे ने कहा था कि नेपाल लिपुलेख को लेकर किसी और के इशारे पर विरोध जता रहा है। नरवणे के इस बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए चीन नेपाल ने कहा था कि हम जो कुछ भी करते हैं अपने मन से करते हैं।

नेपाल को हाथ लगी केवल मायूसी

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने अपने बयान में तो कालापानी का जिक्र किया है, लेकिन नेपाल और भारत के बीच लिपुलेख को लेकर है। लिपुलेख कालापानी के नजदीक है। नेपाल भारत पर दबाव बनाने के उद्देश्य से चीन से वार्ता करने की बात कह रहा है, लेकिन इस मुद्दे में उसे मायूसी ही हाथ लगी है।

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चीन के साथ बातचीत करने में लगा नेपाल

नेपाल प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद में भी कहा था कि इस मुद्दे पर चीन के साथ भी बातचीत चल रही है और नेपाल ने अपना पक्ष स्पष्ट कर चुका है। ओली ने मंगलवार को कहा कि हमारे सरकारी प्रतिनिधियों ने चीन प्रशासन से बात की है।

चीनी अधिकारियों ने कहा कि भारत चीन के बीच तीर्थयात्रियों के लिए एक पुराने व्यापार मार्ग के विस्तार को लेकर यह समझौता हुआ था, जो किसी भी प्रकार से देश की सीमाओं या ट्राइजंक्शन की स्थिति को प्रभावित नहीं करेगा।

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बता दें कि साल 2015 में भारत और चीन के बीच उत्तराखंड से लेकर तिब्बत के मानसरोवर तक सड़क बनाने के लिए एक समझौता हुआ था। ये सड़क लिपुलेख से भी गुजरती है। वहीं लिपुलेख पर नेपाल हमेशा से अपना दावा करता आया है। नेपाल ने समझौते का विरोध करते हुए कहा था कि उसकी सहमति के बिना लिपुलेख में सड़क बनाना स्वीकार्य नहीं होगा।

नेपाल इस मामले पर चीनी राजदूत होऊ यंकी के साथ मुलाकात कर चुका है। लेकिन चीन ने इस मुद्दे को भारत और नेपाल के बीच का मुद्दा बताते हुए इस मामले से किनारा कर चुका है।

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