TRENDING TAGS :
चीन की ‘रेअर’ मसल्स: बड़ा खतरा है भारत के लिए, धड़ाम होगी बाजार
चीन-भारत सीमा का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। चीन अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के नए-नए नायाब तरीकों की तलाश में है। ऐसे में चीन ने भारत के विरूध्द लद्दाख में और दक्षिणी चीन सागर में अपने आस-पास के देशों के साथ सख्त नीति अपनाई है।
नई दिल्ली। चीन-भारत सीमा का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। चीन अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के नए-नए नायाब तरीकों की तलाश में है। ऐसे में चीन ने भारत के विरूध्द लद्दाख में और दक्षिणी चीन सागर में अपने आस-पास के देशों के साथ सख्त नीति अपनाई है। साथ ही अमेरिका के साथ भी कूटनीति का युध्द छेड़ा हुआ है। इन हालातों में आधुनिक उद्योग की खतरे में जा रही जिंदगी पर चीन की मोनोपोली या एकाधिकार इंटरनेशनल चिंता का कारण बन सकता है।
ये भी पढ़ें...चीन के साथ तनाव के बीच PM मोदी और ट्रंप में बात, इन मुद्दों पर हुई चर्चा
दुर्लभ खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक
वैश्विक कोरोना वायरस महामारी से उभरने के उपायों को लेकर इस दिग्गज एशियाई देश पर इन दिनों वाशिंगटन बेहद परेशान हैं। चीन पृथ्वी के रेअर मिनरल्स यानि दुर्लभ खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है। इनके जरिए 17 तत्वों का ग्रुप उपभोक्ता वस्तुओं, एविएशन, क्लीन-टेक, हेल्थकेयर, डिफेंस और कुछ अन्य सेक्टरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
साथ ही अपने चुंबकीय और विद्युत रासायनिक गुणों के लिए जानी जाने वाली ये धातुएं पृथ्वी की परत में होती ही हैं। लेकिन इंडस्ट्री डाटा के अनुसार, चीन अपनी कम श्रम लागत और ढीले पर्यावरण नियमों के कारण इन धातुओं के ग्लोबल आउटपुट के लगभग 90 प्रतिशत हिस्से पर कंट्रोल रखता है।
इन धातुओं का यूज सेलफोन, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी, स्मार्ट स्पीकर, सर्जिकल उपकरण, पेसमेकर, एयरक्राफ्ट इंजन, टेलिस्कोप लेंस, लेजर, रडार, सोनार, नाइट-विज़न सिस्टम, मिसाइल गाइडेंस, बख्तरबंद वाहन आदि जैसे कई इंडस्ट्री सेक्टर में होता है।
ये भी पढ़ें...कुछ घंटों में मुंबई से टकराएगी तबाही! जानिए ‘निसर्ग’ से कहां-कितना है खतरा
रेअर-अर्थ खनिजों के निर्यात को रोक
बीते साल ही बीजिंग ने अमेरिका को धमकी दी थी कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युध्द बढ़ने पर वो रेअर-अर्थ खनिजों के निर्यात को रोक देगा।
इसी कड़ी में इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ देवेंद्र पंत का कहना है, "2019 में चीन ने 132,000 मीट्रिक टन रेअर-अर्थ्स का उत्पादन किया। वहीं भारत में यह उत्पादन 3,000 मीट्रिक टन ही रहा।”
इन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्म निर्भरता हासिल करने के लिए एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।
9-10 प्रतिशत की विकास दर से बढ़ना होगा
अर्थशास्त्री डॉ पंत ने कहा, "चीन के पास धन है, जो इन दुर्लभ सामग्रियों के स्रोतों को खोजने और खरीदने में मदद कर रहा है। भारत को उस तरह की संपत्ति हासिल करने के लिए अगले दशक में 9-10 प्रतिशत की विकास दर से बढ़ना होगा।”
ये भी पढ़ें...बॉर्डर सील करने के मुद्दे पर दिल्ली-हरियाणा में तनातनी बढ़ी, खट्टर ने बोला बड़ा हमला
भारत जापान के साथ विशाखापट्टनम में एक रेअर अर्थ ज्वाइंट वेंचर पर काम कर रहा है। तभी सरकार एक नई राष्ट्रीय खनिज नीति भी बना रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी भी भारत को लंबा रास्ता तय करना है।
इसमें डॉ पंत ने कहा, "वक्त की जरूरत हमारी अर्थव्यवस्था को विकसित करने की है, जो आगे चल कर भारत को चीन को कडी प्रतिस्पर्धा देने और चीन के वर्चस्व वाली सप्लाई लाइन को तोड़ने में मदद कर सकती है।’’
ये भी पढ़ें...लद्दाख में तनाव बढ़ा: चीन को जवाब देने के लिए मिराज और सुखोई तैनात, टैंक भी भेजे