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इस देश को खतरा: ट्रंप की 'गेम चेंजर' दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन बनी वजह

डोनाल्‍ड ट्रंप की इस 'गेमचेंजर' मलेरिया की दवा से ब्राजील को मायूसी हाथ लगी है। जिसके बाद ब्राजील के साइंटिस्ट्स ने इस दवा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।

Shreya
Published on: 15 April 2020 7:09 AM GMT
इस देश को खतरा: ट्रंप की गेम चेंजर दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन बनी वजह
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इस देश को खतरा: ट्रंप की 'गेम चेंजर' दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन बनी वजह

ब्रासीलिया: इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस के चलते आए चुनौतीपूर्ण समय का सामना कर रही है। कोरोना की इस लड़ाई के बीच हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन (Hydroxy chloroquine) दवा चर्चा का केंद्र बन गई। इस दवा को कई देशों में कोरोना के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन डोनाल्‍ड ट्रंप की इस 'गेमचेंजर' मलेरिया की दवा ब्राजील को मायूसी हाथ लगी है। जिसके बाद ब्राजील के साइंटिस्ट्स ने इस दवा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन मरीजों को प्रयोग के तौर पर यह दवा दी गई, उन मरीजों में से एक चौथाई में दिल से संबंधित दिक्कत की शिकायत आ गई।

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शुरुआती परीक्षण में पाया गया कि...

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना की जंग में क्लोरोक्विन और उनके अपेक्षाकृत नए संस्करण हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन को गेमचेंजर करार दिया था। वहीं ब्राजील के राष्ट्रपति ने तो इस दवा को संजीवनी बूटी कहा था और PM मोदी की तुलना हनुमान से की थी। इससे पहले शुरुआती ट्रायल्स में ये पाया गया था कि यह दवा कोरोना वायरस को कोशिकाएं में पहुंचने से रोकती है।

इस दवा के पहले से ही हैं गंभीर साइड इफेक्ट

हालांकि इस दवा के पहले से ही कई गंभीर साइड इफेक्ट हैं। यह दवा दिल की धड़कनों में बाधा डाल सकती है, जिसे व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाती है। ब्राजील के मनाउस शहर में कोरोना से गंभीर रुप से पीड़ित 440 लोगों को क्लोरोक्विन दवा की दो खुराकें दी गई थीं। लेकिन शोधकर्ताओं के मुताबिक, इनमें से केवल 81 लोग ही इस दवा को लेने के बाद ठीक हुए। वहीं जिन मरीजों को क्‍लोरोक्विन (600 MG) की दवा 10 दिनों तक दिन में दो बार दी गई, उन्हें दिल की दिक्कत आई।

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दवा की खुराक देने के बाद हुईं ज्यादा मौतें

रिसर्च से मालूम पड़ता है कि इन मरीजों के समूह में दवा की खुराक देने के बाद से ज्यादा मौतें हुई हैं। इसके सामने आने के बाद ब्राजील के शोधकर्ताओं ने दवा का इस्तेमाल करना बंद कर दिया। वहीं एक अन्य समूह को क्लोरोक्विन दवा की 450 एमजी की दवा पहले दिन, दिन में दो बार दी गई। इसके बाद चार दिनों तक लगातार दिन में एक बार यह दवा दी गई। इस शोध में केवल एक मरीज के गले के स्वाब से ही वायरस के संकेत नहीं मिले। इस शोध में शामिल लोगों को दो एंटी बायोटिक ceftriaxone और azithromycin भी दी गई थी।

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