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कोरोना वायरस: वेंटिलेटर्स के मामले में देश की हालत हुई खस्ता
कोरोना महामारी में वेंटिलेटर्स की बड़ी जरूरत पड़ रही है। दरअसल, जब बीमारी के कारण फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं तो वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।
नई दिल्ली: कोरोना महामारी में वेंटिलेटर्स की बड़ी जरूरत पड़ रही है। दरअसल, जब बीमारी के कारण फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं तो वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। वेंटिलेटर शरीर के ऑक्सीजन लेने की प्रक्रिया के बदले काम करता है और इस तरह से मरीज को इंफेक्शन से लड़ने के लिए वक्त मिलता है और वह ठीक हो जाता है।
वेंटिलेटरों की अहम भूमिका
कोरोना वायरस के संक्रमण से फेफड़े बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं सो वेंटिलेटरों की अहम भूमिका हो जाती है। लेकिन दुर्भाग्य से बहुत से ऐसे देश हैं जहां वेंटिलेटरों की भारी कमी है। इनमें अफ्रीकी देश प्रमुख हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 41 अफ्रीकी देशों के पास दो हजार से भी कम वेंटिलेटर्स हैं जो काम के लायक हैं।
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इन देशों में अतिरिक्त वेंटिलेटर्स की जरूरत
जॉन्स हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक अमेरिका में अस्पतालों को इस महामारी के समय में कम से कम 5 लाख के करीब अतिरिक्त वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ सकती है। अमेरिका में इस समय अस्पतालों के आईसीयू में वेंटिलेटर्स की मांग बहुत अधिक हो गई है। ब्रिटेन जैसे विकसित देश के पास करीब 10,000 वेंटिलेंटर्स हैं और अब सरकार दूसरे स्रोतों से मशीन खरीद रही हैं साथ ही देश में वेंटिलेटर का उत्पादन भी बढ़ाया जा रहा है। यूरोप में सबसे प्रभावित देश इटली ने प्रभावित क्षेत्रों को 2,700 वेंटिलेटर्स बांटे हैं। फ्रांस ने कहा है कि उसका लक्ष्य 10,000 अतिरिक्त वेंटिलेटर्स बनाने का है।
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अफ्रीकी देशों की बात करें तो दक्षिणी सूडान की 1.2 करोड़ की आबादी के लिए सिर्फ चार वेंटिलेटर्स हैं। देश में इंटेंसिव केयर यूनिट या आईसीयू के 24 बेड्स हैं। यहाँ और 30 लाख लोगों के लिए एक वेंटिलेटर है।
पूरी आबादी के लिए मौजूद हैं केवल 13 वेंटिलेटर्स
बुर्किना फासो की बात की जाए तो यहां भी मात्र 11 वेंटिलेटर्स हैं। सिएरा लियोन दुनिया के सबसे गरीब देशों में एक है और इस देश की स्वास्थ्य व्यवस्था भी बहुत ढीली है। यहां पूरी आबादी के लिए मात्र 13 वेंटिलेटर्स मौजूद हैं। सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक देश गरीबी और संघर्ष से घिरा है। इस देश के पास केवल तीन वेंटिलेटर्स हैं। यह दुनिया के उन देशों में शामिल हैं जहां स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या भी सबसे ज्यादा है।
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