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कोरोना महामारी से हो रही है इस नई वैश्विक त्रासदी की दस्तक
मंगलवार को कोरोना वायरस की महामारी को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद अब तक का सबसे बड़ा वैश्विक संकट करार दिया है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कहर से पुरी दुनिया जुझ रही है। इस जानलेवा वायरस ने दुनियाभर में कोहराम मचा रखा है। वहीं मंगलवार को कोरोना वायरस की महामारी को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद अब तक का सबसे बड़ा वैश्विक संकट करार दिया है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने चिंता भी जाहिर की है कि इस वजह से दुनिया भर में संघर्ष का माहोल पैदा हो सकता है।
पिछले कुछ सालों की सबसे बड़ी मंदी सामने आएगी- गुटेरस
उन्होंने कहा कि, ये संकट इसलिए भी बड़ा है क्योंकि यह बीमारी दुनिया भर में हर किसी के लिए खतरा बन चुका है और ये अर्थव्यवस्था पर ऐसा असर करेगा कि पिछले कुछ सालों की सबसे बड़ी मंदी सामने आएगी। उन्होंने कहा दुनियाभर में इससे अस्थिरता, अशांति और टकराव बढ़ेगे। इन सबको देखते हुए ये स्पष्ट हो जाता है कि यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे चुनौतीपूर्ण संकट है।
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संकट का असरदार हल तभी मिलेगा, जब सभी एक साथ आएंगे
आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद हुई थी। 1945 में स्थापित हुए संयुक्त राष्ट्र में कुल 193 सदस्य देश हैं। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुटेरस ने कहा कि, इस संकट का असरदार हल तभी मिलेगा, जब सभी एक साथ आएंगे। और इसके लिए राजनीतिक खेल बंद करना होगा और यह समझना होगा कि मानव की जिंदगी दांव पर लगी हुई है।
आने वाले समय में पैदा हो सकती है बेरोजगारी
कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनियाभर में 40 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा इस वायरस की वजह से दुनियाभर में आर्थिक तबाही भी हो रही है। गुटेरस ने आने वाले समय में बेरोजगारी, छोटे उद्योग-धंधों के खत्म होने और असंगठित क्षेत्र की दयनीय स्थिति को लेकर भी आगाह किया है।
अगर हम महामारी को हराना चाहते हैं तो...
उन्होंने कहा कि हम धीरे-धीरे सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन हमें अपनी रफ्तार को और तेज करने की जरूरत है। अगर हम कोरोना वायरस को हराना चाहते हैं तो हमें और भी बहुत कुछ करना होगा।
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विकासशील देशों की मदद के लिए नए फंड की घोषणा
यूएन की तरफ से मंगलवार को विकासशील देशों की कोरोना से निपटने में मदद के लिए एक नए फंड की घोषणा की गई है। पिछले हफ्ते यूएन की ओर से वैश्विक समुदाय से गरीब और संघर्ष से प्रभावित देशों के लिए दान करने की अपील की गई थी।
विकासशील देश के लिए आर्थिक मदद की भी जरूरत
यूएन प्रमुख ने कहा कि, अमीर देशों से पारंपरिक मदद के अलावा, हमें आर्थिक मदद की भी आवश्यकता है ताकि विकासशील देश कोरोना वायरस जैसे इस संकट का सामना कर सके। उन्होंने कहा कि, ये महामारी गरीब देशों खासकर कि अफ्रीका से अमीर देशों में वापस लौट सकती है और साथ ही लाखों लोगों की जान भी ले सकती है।
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वर्ल्ड बैंक ने जारी की ये चेतावनी
वहीं इसके अलावा वर्ल्ड बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कोरोना वायरस को लेकर चेतावनी जारी की है। वर्ल्ड बैंक ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि, ये महामारी एशिया में गरीबी का दायरा बढ़ा सकती है। जिससे एशिया में बड़ी तदाद में लोगों आजीविका प्रभावित होंगी। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीब और गरीब हो जाएंगे, यहां तक की अमीर देशों को भी कई तरह की परेशामुयों का सामना करना पड़ेगा।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस की महामारी की वजह से चीन देश की अर्थव्यवस्था थम जाएगी। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अलग यह महामारी बहुत ही भयावह स्थिति में पहुंचती है तो इस साल चीन की आर्थित वृद्धि दर 0.1 प्रतिशत पहुंच सकती है। साथ ही चीन के आसपास के देशों की भी हालत काफी खराब होगी।
इस वजह से लोगों के पास कमाई के साधन न के बराबर हो जाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वजह से अर्थव्यवस्था को जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई करने में काफी लम्बा वक्त लग जाएगा।
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