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ट्रंप की बेकरारी पर अमेरिका के डॉक्टर भी हैरान, नहीं चाहते इस दवा का इस्तेमाल

ट्रंप भारत से जिस दवा को पाने के लिए बेकरार हैं, अमेरिका में उसके इस्तेमाल पर वहां के चिकित्सा विशेषज्ञों की राय बिल्कुल जुदा है। अमेरिकी चिकित्सा विशेषज्ञ कोरोना के मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल को सही नहीं मानते।

Shreya
Published on: 9 April 2020 7:19 AM GMT
ट्रंप की बेकरारी पर अमेरिका के डॉक्टर भी हैरान, नहीं चाहते इस दवा का इस्तेमाल
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अंशुमान तिवारी

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों भारत से एक दवा को हासिल करने के लिए बेकरार हैं और इसके लिए उन्होंने भारत को धमकी तक दे डाली। उन्होंने धमकी भरे अंदाज में यहां तक कह डाला कि यदि भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर लगी रोक नहीं हटाई अमेरिका इसका जवाब देगा। मजे की बात यह है कि ट्रंप भारत से जिस दवा को पाने के लिए बेकरार हैं, अमेरिका में उसके इस्तेमाल पर वहां के चिकित्सा विशेषज्ञों की राय बिल्कुल जुदा है। अमेरिकी चिकित्सा विशेषज्ञ कोरोना के मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल को सही नहीं मानते। वे इस दवा के लिए ट्रंप की बेकरारी देखकर खुद भी हैरान हैं।

इतना जल्दी बदल गई ट्रंप की भाषा

अभी डेढ़ महीने पहले ही जब ट्रंप ने भारत का दौरा किया था तो पीएम मोदी ने यहां पर उनका ऐतिहासिक स्वागत किया था। ट्रंप भी अपने इस ऐतिहासिक स्वागत से इस कदर अभिभूत हुए थे कि उनका कहना था कि यह दौरा उनके लिए पूरी जिंदगी ना भूलने वाले अनुभव सरीखा था मगर इस ऐतिहासिक और सफल दौरे के महज डेढ़ महीने बाद ही ट्रंप धमकी की भाषा पर उतर आए। हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अभी रविवार की सुबह ही उनकी पीएम मोदी से फोन पर बातचीत हुई है और बातचीत काफी अच्छे माहौल में हुई है। बाद में भारत के सकारात्मक कदम उठाने पर ट्रंप के सुर बदल गए और उन्होंने मोदी को धन्यवाद देते हुए उन्हें हीरो तक बता डाला।

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भारत ने उठाया यह कदम

भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्लीन का सबसे बड़ा उत्पादक है। पिछले दिनों भारत सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। सरकार का कहना था कि कुछ विशेष परिस्थितियों में या फिर मानवीय आधार पर ही इसका निर्यात किया जाएगा। वैसे कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद इस दवा की बढ़ती मांग को देखकर भारत ने इस दवा के निर्यात पर लगी रोक को आंशिक तौर पर हटा लिया है। भारत का कहना है कि अपनी जरुरतें पूरा करने और स्टॉक को देखकर ही इस दवा का निर्यात किया जाएगा। विदेश मंत्रालय का कहना है कि दुनिया के बीस देशों से इस दवा की डिमांड आई है। इनमें अमेरिका के साथ नेपाल व श्रीलंका भी शामिल हैं।

ट्रंप इसलिए लगा रहे भारत से गुहार

अमेरिका इस समय कोरोना वायरस के संक्रमण से बुरी तरह जूझ रहा है। वहां इस वायरस से संक्रमित होने वालों मरीजों की संख्या करीब पांच लाख पहुंच चुकी है जबकि करीब पंद्रह हजार लोगों की इस किलर वायरस ने जान ले ली है। ट्रंप का कहना है कि कोरोना मरीजों पर किए गए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के शुरुआती नतीजे काफी बेहतर आए हैं। इसलिए वे भारत से इस दवा को मुहैया कराने की गुहार लगा रहे हैं।

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जल्दबाजी के पक्ष में नहीं हैं चिकित्सा विशेषज्ञ

वैसे ट्रंप के इस बयान पर हैरानी इसलिए जताई जा रही है क्योंकि अमेरिका में अभी तक कोरोना वायरस के मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी गई है। इसका कारण यह है कि अमेरिका के चिकित्सा विशेषज्ञ इस दवा के इस्तेमाल को लेकर एकमत नहीं है। उनका कहना है कि इसे लेकर किसी प्रकार की जल्दबाजी दिखाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अभी इसके और अधिक परीक्षण की आवश्यकता है।

दवा के इस्तेमाल में खराबी नहीं

चिकित्सा विशेषज्ञों की राय से इतर राष्ट्रपति ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो का कहना है कि इस दवाई के कोरोना वायरस के मरीजों पर इस्तेमाल में कोई खराबी नहीं है। व्हाइट हाउस में इस दवाई को लेकर ट्रंप की प्रेस कॉन्फ्रेंस के अगले दिन एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में नवारो ने यह बात कही।

नवारो का कहना था कि अमेरिकी राष्ट्रपति देश में कोरोना वायरस से हो रही इतनी ज्यादा मौतों से आहत और परेशान हैं और वह जल्द से जल्द इस पर रोक लगाना चाहते हैं। ट्रंप को लगता है कि यह दवा कोरोना मरीजों के इलाज में कारगर साबित हो सकती है।

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कोरोना मरीजों पर इस्तेमाल खतरनाक

दूसरी और चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना मरीजों पर इसका इस्तेमाल करना खतरनाक भी हो सकता है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर पैट्रिक हैरिस का कहना है कि वह इस दवा को किसी भी कोरोना से संक्रमित मरीज को इस्तेमाल करने की सलाह नहीं देंगी। उनकी राय है कि इस दवा से होने वाला साइड इफेक्ट उस राहत से कहीं ज्यादा होगा जिसकी हम उम्मीद कर रहे हैं।

दवा को लेकर बैठक में गर्मागर्मी

हैरिस का कहना है कि बिना परीक्षण और जांच के इस दवा का इस्तेमाल करना सही फैसला नहीं होगा। व्हाइट हाउस में कोरोना वायरस को लेकर पिछले दिनों हुई बैठक में भी इस मुद्दे को लेकर काफी गर्मागर्मी भी हुई थी।

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चिकित्सा विशेषज्ञ से उलझे ट्रंप के एडवाइजर

इस बैठक में ट्रंप के एडवाइजर नवारो और अमेरिका के इंफेक्शियस डिजीज विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फॉकी आपस में उलझ गए थे। नवारो ने फॉकी को चैलेंज तक कर डाला था। फॉकी की भी राय थी कि इस दवा का उपयोग पूरे परीक्षण के बाद ही किया जाना चाहिए। इसके बाद नवारो ने फॉकी को चुनौती देते हुए कहा था कि उनके पास जो रिपोर्ट और जानकारी है, वह इस दवा के इस्तेमाल के लिए काफी है। वैसे अभी तक अमेरिका में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का उपयोग आर्थराइटिस और मलेरिया के मरीजों पर ही करने की इजाजत है।

ट्रंप जल्द दे सकते हैं इजाजत

ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि राष्ट्रपति ट्रंप चिकित्सा विशेषज्ञों की राय पर चलते हैं या नहीं। वैसे इस दवा को हासिल करने के लिए उनकी बेकरारी से इस बात का ही संकेत मिलता है कि वह जल्द से जल्द कोरोना मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के इस्तेमाल की इजाजत दे देंगे।

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