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इटली में दिल दहला देने वाला नजारा, ऐसे दी जा रही शवों को अंतिम विदाई

वैसे तो कोरोना ने दुनिया के कई देशों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, लेकिन सबसे बुरी हालत इटली की है। यहां यहां रोज कोरोना वायरस से इतनी ज्यादा संख्या में लोगों की मौत हो रही है कि सारे लोगों में दहशत फैल गई है।

Dharmendra kumar
Published on: 29 March 2020 6:18 AM GMT
इटली में दिल दहला देने वाला नजारा, ऐसे दी जा रही शवों को अंतिम विदाई
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अंशुमान तिवारी

रोम: वैसे तो कोरोना ने दुनिया के कई देशों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, लेकिन सबसे बुरी हालत इटली की है। यहां यहां रोज कोरोना वायरस से इतनी ज्यादा संख्या में लोगों की मौत हो रही है कि सारे लोगों में दहशत फैल गई है। कोरोना से लोगों की जान बचाने के लिए अब इटली सरकार ने कड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। हालत यह हो गई है कि कोरोना वायरस की महामारी ने इटली के लोगों से अपने प्रिय जनों को अंतिम विदाई देने का अधिकार भी छीन लिया है।

दो बार मार रही यह महामारी

जब आपके पास पड़ोस रिश्तेदारी या परिचय में किसी का निधन हो जाता है तो उसे आखिरी बार देखना और पूरे सम्मान के साथ उसे अंतिम विदाई देना हर किसी को जरूरी लगता है मगर कोरोना वायरस के कारण इटली के लोग यह काम भी नहीं कर पा रहे हैं। मिलान में एक फ्यूनरल होम में अंडरटेकर का काम करने वाले एंड्रिया सेराटो का कहना है कि कोरोना की महामारी आपको एक बार नहीं बल्कि दो बार मारती है। उन्होंने अपने कथन की व्याख्या भी की है।

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पीड़ित परिवारों के लिए मुश्किल समय

उनका कहना है कि पहले यह बीमारी मरने से पहले आपको अपने सभी प्रिय जनों से दूर कर देती है और फिर अंतिम विदाई के समय में भी आपके पास किसी को आने नहीं देती। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों के लिए यह बेहद मुश्किल समय होता है और इसे स्वीकार करना हर किसी के लिए बहुत दुखदायी होता है।

आखिरी समय में कोई प्रियजन नहीं

इटली में कोरोना के कारण तमाम परिवारों को बहुत दुख पहुंचाने वाले दिन देखने पड़ रहे हैं। तमाम लोग ऐसे हैं जिनके आखिरी समय में उनके परिवार का कोई सदस्य या कोई भी मित्र उनके पास मौजूद नहीं था। दूसरे लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए अस्पताल में पीड़ित लोगों से मिलने पर पाबंदी लगाई जा चुकी है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शव में वायरस का संक्रमण नहीं होता, लेकिन कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि मृतक के कपड़ों पर यह कुछ घंटों तक जीवित रह सकता है।

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बदल गई है पूरी व्यवस्था

शव को अंतिम संस्कार के लिए तैयार करने वाले मसिमो का कहना है कि लोगों के निधन हो जाने पर उनके परिजन हमसे पूछते हैं कि क्या वे आखिरी बार अपने प्रिय जन को देख सकते हैं। इटली में अभी तक किसी का निधन होने पर शव को परिजन उस व्यक्ति के पसंदीदा कपड़े पहनाते हैं और फिर उसका अंतिम संस्कार करते हैं। लेकिन कोरोना वायरस के कारण यह व्यवस्था भी बदल चुकी है।

गाउन में चुपचाप दफना रहे शव

मौजूदा व्यवस्था के अनुसार इटली में मरने वालों का अंतिम संस्कार उनके पसंदीदा कपड़ों में नहीं किया जा सकता। उन्हें अस्पताल के ही गाउन में चुपचाप दफना दिया जा रहा है। मसिमो का कहना है कि हम शव के ऊपर परिजनों द्वारा दिए गए कपड़ों को डाल देते हैं ताकि ऐसा लगे कि मरने वाले ने कपड़े पहने हुए हैं।

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नई भूमिका में अंडरटेकर

इटली में कोरोना महामारी के कारण अंडरटेकर खुद को एक नई भूमिका में देख रहे हैं। वे एक पादरी की भूमिका भी खुद ही निभा रहे हैं। पादरी की तरह व मृतक के लिए जन्नत की प्रार्थना कर रहे हैं। एक अंडरटेकर के मुताबिक मृतक के परिजनों के क्वारंटीन में होने के कारण उनसे जुड़ी सारी जिम्मेदारियां हमें खुद ही निभानी पड़ रही हैं।

इसके अलावा दूसरा तरीका भी नहीं

अंडरटेकर की भूमिका निभाने वाले एंड्रिया सेराटो का कहना है कि हम परिवार वालों के पास ताबूत की एक तस्वीर भेज देते हैं और इसके बाद अस्पताल से शव को लेकर उसे दफनाने का काम पूरा कर देते हैं। इस दौरान मृतक के परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं रहता। उन्होंने कहा कि किसी के अंतिम संस्कार का इसके सिवा कोई दूसरा तरीका मौजूदा स्थितियों में हो भी नहीं सकता। वे मृतक के परिजनों को यह बताने में ही परेशान हो जाते हैं कि वह क्या-क्या नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ काफी दुख पहुंचाने वाला है मगर इसके सिवा और किया भी क्या जा सकता है।

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दर्द पहुंचाने वाला अनुभव

पिछले 30 साल से अंडरटेकर का काम कर रहे सेराटो का कहना है कि अपने प्रियजन के निधन के बाद आखरी बार उसके गालों को सहलाना, उसका हाथ पकड़ना और उसे छूना हर कोई चाहता है मगर मौजूदा स्थितियों में कोई भी यह नहीं कर पा रहा है और यह सब कुछ देखना काफी दर्द पहुंचाने वाला अनुभव है। कई मृतकों के रिश्तेदारों की कोशिश होती है कि वह मृतक के नोट्स, परिवार की कोई निशानी, चित्र या कोई उसकी प्रिय चीज उसके ताबूत में रखें ताकि उसे मृतक के साथ ही दफनाया जा सके, लेकिन कोरोना वायरस के कारण कुछ भी संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि निजी वस्तुओं को दफनाना अब पूरी तरह अवैध बना दिया गया है। हालांकि सरकार का यह फैसला काफी कठोर है , लेकिन इसके अलावा कुछ किया भी नहीं जा सकता।

पर्याप्त मास्क और दस्ताने तक नहीं

कोरोना महामारी के कारण इटली में कई अंडरटेकर खुद क्वारंटीन में चले गए हैं और कुछ ने तो अपना व्यवसाय ही पूरी तरीके से बंद कर दिया है। देश में चिंता का एक बड़ा विषय यह भी है कि शवों के साथ काम करने वालों के पास ही पर्याप्त संख्या में मास्क या दस्ताने तक नहीं है।

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जनाजा निकालने पर पूरी तरीके से प्रतिबंध

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए इटली ने एक और आपातकालीन कानून लागू किया है। इस कानून के तहत जनाजा निकालने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। जानकारों का कहना है कि रोमन कैथोलिक मूल्यों को मानने वाले किसी भी देश के लिए यह अभूतपूर्व कदम है। सेराटो का कहना है कि रोज ही ऐसी घटना होती है जब मैं किसी शव को दफन आता हूं तो कोई भी उसका परिजन आसपास नहीं दिखता क्योंकि सब हर कोई क्वारंटीन में है।

शवों से भर गए हैं मुर्दाघर

कोरोना के कारण इटली में हृदय विदारक दृश्य दिख रहा है। मुर्दा घर शवों से भर गए हैं और रोज मरने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। मसिमो का कहना है कि अस्पताल के पास मौजूद चर्च किसी गोदाम की तरह दिखने लगे हैं। इन चर्चों में एक के बाद एक ताबूत आ रहे हैं। इटली में कोरोना से मौत के सबसे अधिक मामले बरगेमो मैं दर्ज किए गए हैं जहां इटली की सरकार को मदद के लिए सेना तक को बुलाना पड़ गया है।

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कब्रिस्तान में जगह तक नहीं

इस शहर की हालत यह हो गई है कि कब्रिस्तान में जगह तक कम पड़ गई है। एक दिन तो गजब की स्थिति हो गई जब रात में सेना के ट्रकों में 70 से अधिक ताबूतों को शहर की गलियों से होते हुए निकाला गया। इस हृदय विदारक दृश्य को देखकर लोगों की आंखें तक भर आई क्योंकि इनमें से कई उनके भी परिजन थे जिनके अंतिम संस्कार में वे शामिल तक नहीं हो सके।

डॉक्टर और नर्स बने लोगों के हीरो

गहरी मुश्किल में फंसे इटली में मौजूदा समय में डॉक्टरों और नर्सों को एक हीरो की तरह देखा जा रहा है। इसका कारण यह है कि डॉक्टर और नर्स अपनी जान पर खेलकर कोरोना से संक्रमित व्यक्ति का इलाज करने में जुटे हैं। इसके साथ ही शवों का अंतिम संस्कार करने वालों को भी प्रशंसा मिल रही है क्योंकि वह भी अपनी जान जोखिम में डालकर यह काम कर रहे हैं।

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मसिमो का कहना है कि पहले इस काम के प्रति लोगों में वैसा सम्मान भाव नहीं था, लेकिन अब लोगों की नजर में इस काम का महत्व भी काफी बढ़ गया है। मसिमो का कहना है कि मैं देश के लोगों को इस बात का भरोसा दिला सकता हूं कि हम मरने वाले को पूरा सम्मान देने की भरसक कोशिश कर रहे हैं।

हर कोई कर रहा यह प्रार्थना

फिलहाल तो इटली गहरे संकट के दौर में फंसा हुआ है, लेकिन हर कोई इस मुश्किल दौर से बाहर निकलने की प्रार्थना कर रहा है।हर कोई चाहता है कि यह मुश्किल वक्त जल्द से जल्द बीत जाए और वह पहले की तरह सामान्य जिंदगी जी सकें। वैसे इटली की मौजूदा मौजूदा स्थितियों को देखते हुए ऐसा जल्दी होना संभव नहीं दिखता।

Dharmendra kumar

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