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बन गई कोरोना की दवा, इस देश ने बंदरों पर किया सफल परीक्षण, इंसानों पर ट्रायल
चीन की एक दवा बनाने कंपनी ने इस वैक्सीन के बनाने का दावा किया है। कंपनी का कहना है कि पहली बार ऐसा पाया गया है कि कोरोना वायरस के लिए बनाई जा रही कई वैक्सीन ने बंदर को इस जानलेवा संक्रमण से बचाया है।
नई दिल्ली: चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस ने दुनिाभर में तांडव मचा कर रखा है। इन जानलेवा वायरस की अभी तक कोई दवा नहीं बन पाई है। दुनिया ने कई देशों ने इस वायरस की वैक्सीन बनाने का दावा किया है। ब्रिटेन और जर्मनी ने दावा किया है उन्होंने कोराना की वैक्सीन बना ली है और इसका ट्रायल कर रहे हैं। अब इस बीच कोरोना के मातृत्व देश चीन ने वैक्सीन बनाने का दावा किया है। इसके साथ उसका कहना है कि बनाई जा रही कई वैक्सीन ने बंदरों को कोरोना के संक्रमण से बचाया है और ऐसा पहली बार हुआ है।
चीन की एक दवा बनाने कंपनी ने इस वैक्सीन के बनाने का दावा किया है। कंपनी का कहना है कि पहली बार ऐसा पाया गया है कि कोरोना वायरस के लिए बनाई जा रही कई वैक्सीन ने बंदर को इस जानलेवा संक्रमण से बचाया है।
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वैक्सनी बनाने वाली कंपनी ने रीसस मकाउ बंदर यानी सामान्य लाल मुंह वाले बंदरों पर वैक्सीन का परीक्षण किया है। वैक्सीन देने के बाद जांच की गई तो जानकारी मिली कि इन बंदरों को अब कोरोना वायरस नहीं हो सकता है। चीनी कंपनी 16 अप्रैल से इंसानों पर इस वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर चुकी है।
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यह दवा कंपनी चीन की राजधानी बीजिंग में स्थित है जिसका नाम साइनोवैक बायोटेक (Sinovac Biotech) है। दवा कंपनी साइनोवैक बायोटेक ने ही दावा किया है कि उसने 8 बंदरों को अपनी नई वैक्सीन की अलग-अलग डोज दी थी। उसने बताया कि दवा देने के तीन हफ्ते बाद उसने बंदरों की फिर जांच की। जाच में नतीजे चौंकाने वाले आए।
कंपनी ने वैक्सीन के रूप में कोरोना वायरस को आठ बंदरों के फेफड़ों में ट्यूब के जरिए डाला था। इसके तीन हफ्ते बाद जांच की जब रिपोर्ट आई तो इन बंदरों में से एक में भी कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं पाया गया।
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साइनोवैक बायोटेक के वरिष्ठ निदेश मेंग विनिंग ने जानकारी दी कि जिस बंदर को सबसे ज्यादा डो़ज थी, सात दिन बाद ही उसके फेफड़ों में या शरीर में कहीं भी कोरोना वायरस के कोई लक्षण या सबूत नजर नहीं आए। उन्होंने बताया कि हालांकि कुछ बंदरों में हल्का असर दिखाई दिया, लेकिन उन्होंने उसे नियंत्रित करने में सफलता पा ली।