×

खौफनाक लैब: सुन कर कांप उठेंगे आप, जिंदा इंसानों में वायरस का प्रयोग

चीन के लोगों के हाथ-पैर ठंडे पानी में डुबो दिए जाते। जब इंसान पूरी तरह से सिकुड़ जाता, तब उसके हाथ-पैर तेज गर्म पानी में डाल दिए जाते। इस प्रयोग में हाथ-पैर पानी में लकड़ी के चटकने की तरह आवाज करते हुए फट जाते।

Vidushi Mishra
Published on: 27 April 2020 2:32 PM GMT
खौफनाक लैब: सुन कर कांप उठेंगे आप, जिंदा इंसानों में वायरस का प्रयोग
X
खौफनाक लैब: सुन कर कांप उठेंगे आप, जिंदा इंसानों में वायरस का प्रयोग

नई दिल्ली। कोरोना वायरस का नाम लेते ही चीन के वुहान का जिक्र सबसे पहले जिह्न में आता है। वहीं चीन का एक लैब भी कंस्पिरेसी थ्योरी के चलते चर्चा का विषय बना हुआ है। वुहान शहर के बॉर्डर पर स्थित Wuhan Institute of Virology के बारे में बहुत से देशों को ये संदेह है कि यहीं पर कोरोना वायरस पर काम चल रहा था जो लापरवाही से या जानबूझकर लीक हो गया। ऐसा भी माना जा रहा है कि चाइनीस एकेडमी ऑफ साइंस (CAS) के तहत आने वाले इसी लैब में सार्स कोरोना वायरस पर काफी समय से रिसर्च चल रही थी और यहीं से जो भी हुआ हो, वायरस लीक हो गया। लेकिन अभी तक इसके कोई प्रमाण नहीं मिला है। इसके साथ ही लेवल-4 के अंदर आने और बेहद खतरनाक माने जाते इस लैब के आगे जापान के यूनिट 731 लैब कुछ नहीं हैं।

ये भी पढ़ें...जमातियों पर चुप्पी: कोरोना संकट के बावजूद लगे हैं वोट बैंक को सहेजने

चीन के जिंदा लोगों पर खतरनाक और जानलेवा प्रयोग

बहुत पुराने इतिहास के परिचय कराते है आपका। सन् 1930 से 1945 के दौरान इम्पीरियल जैपनिश आर्मी के सैनिकों ने चीन के पिंगफांग जिले में ये लैब बनाई थी।

उस समय चीन का इससे कोई मतलब नहीं था, सिर्फ इसके कि लैब में किए जाने वाले प्रयोग चीन के लोगों पर होते थे। वहीं Shiga University of Medical Science के एक प्रोफेसर काटसु निशिअमा के कहने पर जापान सरकार ने अपने पुरालेख विभाग से कई चीजें निकलवाईं।

इसका उद्देश्य ये जानना था कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने चीन के साथ कैसा और कितना बर्बर रवैया दिखाया। इसी क्रम में यूनिट 731 से जुड़े दस्तावेज सामने आए।

सामने आए इन कागजों में 1000 से भी ज्यादा जापानी डॉक्टरों, नर्सों, सर्जन्स और इंजीनियरों का जिक्र है, जिन्होंने चीन के जिंदा लोगों को अपने खतरनाक और जानलेवा प्रयोगों का हिस्सा बनाया।

ये भी पढ़ें...अलर्ट: नहीं मिलेगा सिलेंडर और पेट्रोल-डीजल बिना इसके, ध्यान दें

हाथ-पैर तेज गर्म पानी में डाल दिए

फिर सन् 1990 के लास्ट में पहली बार जापान ने माना था कि उसकी एक यूनिट ने चीन के लोगों पर बर्बर प्रयोग किए लेकिन उन प्रयोगों के बारे में तब भी कोई जानकारी नहीं दी गई थी। और धीरे-धीरे इसकी जानकारी सामने आती गई जो जिंदा दिल इंसान को भी डरा दे।

ये टेस्टिंग थी- जिंदा इंसानों को यातना देने के लिए एक खास प्रयोग। योशिमुरा हिसातो नाम के एक वैज्ञानिक को इसमें बहुत मजा आता था। वो ये देखने के लिए प्रयोग करता था कि जमे हुए तापमान पर शरीर का क्या होता है।

इसको जांचने के लिए चीन के लोगों के हाथ-पैर ठंडे पानी में डुबो दिए जाते। जब इंसान पूरी तरह से सिकुड़ जाता, तब उसके हाथ-पैर तेज गर्म पानी में डाल दिए जाते। इस प्रयोग में हाथ-पैर पानी में लकड़ी के चटकने की तरह आवाज करते हुए फट जाते। वैज्ञानिक के इस प्रयोग में काफी लोगों की जानें गईं, लेकिन प्रयोग जारी रहा।

इस प्रयोग में ये देखने की कोशिश होती थी कि इंसान का शरीर कितना टॉर्चर झेल सकता है। चीन की सेना को बिना बेहोश किए धीरे-धीरे उनके शरीर का एक-एक अंग काटा जाता। इसमें सेना के बहुत से अधिकारियों की मौत हो गई, जिसके बाद आम चीन की जनता पर प्रयोग होने लगा।

ये भी पढ़ें...चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में ऑनलाइन प्रैक्टिकल पर किया जा रहा फोकस

बीमारी का शरीर के किस हिस्से पर क्या असर

हो रहे इस प्रयोग के चलते स्वस्थ लोगों में हैजा या फिर प्लेग के पैथोजन डाल दिए जाते। इसके बाद संक्रमित व्यक्ति के शरीर की फाड़कर ये देखा जाता था कि बीमारी का शरीर के किस हिस्से पर क्या असर होता है।

फिर वायरस से इंफेक्टेड करने के बाद इंसान के मरने का भी इंतजार नहीं किया जाता था और जिंदा रहते हुए ही उसकी चीरफाड़ की जाती। इस दौरान बहुत से लोगों की गैंग्रीन से ही मौत हो जाती। और तो इसके बाद अगर कोई मरीज बच भी जाता तो उसे जिंदा जला दिया जाता।

महिलाओं से शारीरिक संबंध बनाने को कहा जाता

इसके चलते चीन के कैदियों को सिफलिस से संक्रमित किया जाता और फिर उन्हें तरह-तरह की दवाएं दी जाती थीं। कई बार यौन रोग के शिकार पुरुषों को स्वस्थ चीन की महिलाओं से शारीरिक संबंध बनाने को कहा जाता ताकि ये देखा जा सके कि यौन बीमारी फैलती कैसे है। इस दौरान ज्यादातर कैदियों की बीमारी से मौत हो जाती थी और स्वस्थ्य महिलाओं को भी भंयकर परिणाम झेलने पड़ते थे।

ये भी पढ़ें...कानपुर से बड़ी खबर: 50 बच्चों के कोरोना Positive पर CMO ने दिया ये बड़ा बयान

गर्भ में पल रहे शिशु की स्टडी

ऐसे ही एक प्रयोग में चीन की औरतों के साथ बलात्कार कर उन्हें गर्भवती किया जाता और फिर उनमें किसी बीमारी का वायरस डाल दिया जाता ताकि गर्भ में पल रहे शिशु की स्टडी की जा सके।

प्रयोग किये गए इस रिसर्च के उद्देश्य में लिखा गया- findings into civilian medicine। लेकिन बाद में ये रिसर्च पेपर कहीं नहीं मिल सका। इसी तरह से एक और प्रयोग भी था, जिसे germ warfare भी कहा जाता है।

इसके बाद सन् 1940 के अक्टूबर में जापानी बमवर्षक विमानों ने एक चीन को गांव क्यूज़ोऊ पर बमबारी की गई, जिसमें एक-एक क्ले बम के भीतर 30000 संक्रमित पिस्सू थे। बमबारी में पूरा गांव लाल-लाल धूल से नहा गया, जिसके बाद गांव का हर व्यक्ति प्लेग का से मारा गया। इसके बाद प्लेग यहां से वहां फैलता गया।

ये भी पढ़ें...इटली में इस चूक से गई हजारों लोगों की जान, सरकार के फैसले पर उठे सवाल

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story