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डर रहा तानाशाह: उड़ते गुब्बारों से कांप उठा पूरा परिवार, जाने इसका रहस्य

नॉर्थ कोरिया तानाशाह किम जोंग तो हमेशा से ही अपने अजीबो-गरीब कारनामों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं लेकिन किम जोंग की बहुत ताकतवर बहन किम यो जोंग ने नॉर्थ कोरिया को गुब्बारों को लेकर सतर्क किया है।

Vidushi Mishra
Published on: 6 Jun 2020 3:08 PM IST
डर रहा तानाशाह: उड़ते गुब्बारों से कांप उठा पूरा परिवार, जाने इसका रहस्य
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नई दिल्ली : नॉर्थ कोरिया तानाशाह किम जोंग तो हमेशा से ही अपने अजीबो-गरीब कारनामों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं लेकिन किम जोंग की बहुत ताकतवर बहन किम यो जोंग ने नॉर्थ कोरिया को गुब्बारों को लेकर सतर्क किया है। बात ये हैं कि दक्षिण कोरिया से नॉर्थ कोरिया के बॉर्डर पर विशालकाय गुब्बारे छोड़े जाते हैं। इन गुब्बारों पर एंटी-किम संदेश लिखे होते हैं।

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गुब्बारे छोड़े जाते हैं

ये जो भी गुब्बारे छोड़े जाते हैं वो या तो नॉर्थ कोरिया से भाग चुके वहीं के नागरिक या फिर दक्षिण कोरिया के सामाजिक कार्यकर्ता लिखते हैं। जो तानाशाह किम की दमनकारी नीतियों से तंग आ चुके है और परेशान रह चुके हैं।

तानाशाह किम जोंग इस पर पहले से भी अपने पड़ोसी देश को धमकाते रहे हैं। ऐसे में अब उनकी बहन किम यो जोंग ने भी धमकी दी है कि गुब्बारा प्रोटेस्ट जारी रहा तो इसका बहुत बुरा अंजाम होगा।

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राजों को दबाकर रखने वाले इस देश नॉर्थ कोरिया में किम परिवार के खिलाफ कोई कुछ भी खुलकर नहीं बोल सकता, चाहे उसको साथ जितना भी बुरा क्यों न हुआ हो। अगर किसी ने ये किया भी तो उसे देशद्रोही बताते हुए लगातार तीन पीढ़ियों को सजा दी जाती है।

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नॉर्थ कोरिया की अपेक्षा बहुत आजादी

इसके बाद भी उस पर यातनाओं का दौर खत्म नहीं होता है। नॉर्थ कोरिया से भागे बहुत से लोग लगातार वहां की सत्ता के बारे में इंटरनेशनल मीडिया में बोलते रहे हैं। नॉर्थ कोरिया से भागे हुए लोग अधिकतर दक्षिण कोरिया में बस जाते हैं, जहां नॉर्थ कोरिया की अपेक्षा बहुत आजादी है।

साथ ही ऐसा भी माना जा रहा है कि ऐसे 45,000 लोग दक्षिण कोरिया में जा बसे हैं। यही लोग गुब्बारों में तरह-तरह के संदेश भरकर उत्तर कोरिया में भेजते रहते हैं।

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बात है गुब्बारों की तो 12 मीटर लंबे इन पारदर्शी गुब्बारों में हीलियम या हाइड्रोजन भरा होता है जिससे वे बहुत दूर तक जा सके। इनके अंदर लीफलेट्स, अखबारों की कतरनें, दुनिया से जुड़ी जानकारियां होती है।

इसके साथ ही पेन-ड्राइव भी होती है, जिसमें 40 से 50 घंटे तक पढ़ी जा सकने वाली जानकारी होती है। गुब्बारे ऐसे मौसम में उड़ाए जाते हैं, जब वे ज्यादा से ज्यादा दूर जा सकें। बारिश के मौसम में गुब्बारों का उड़ाना टाला जाता है।

तानाशाह किम की तानाशाही झेलने के बाद भी लोग बाहरी दुनिया से संपर्क कर अपने हालात नहीं बता सकते। ऐसे में बाहर जा चुके लोग गुब्बारा प्रोटेस्ट के जरिए अपने देश के लोगों को जगाने की कोशिश कर रहे हैं।

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गुप्त रूप से सहयोग

ऐसे में दक्षिण कोरिया में बसी एक मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन (HRF) इस प्रोटेस्ट से मुख्य रूप से जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि इसे दक्षिण कोरियाई सरकार के अलावा अमेरिका का भी गुप्त रूप से सहयोग मिला हुआ है।

वैसे तो नॉर्थ और दक्षिण कोरिया के बीच गुब्बारों का प्रोटेस्ट बहुत पुराना है। सन् 1950 में कोरियन वॉर के दौरान 2.5 खरब लीफलेट्स पकड़े गए। हालांकि माना जाता है कि बैलून में डाले जाने के लिए छापे गए ये लीफलेट्स इतने ज्यादा थे कि पूरा कोरिया 34 लीफलेट्स की लेयर के नीचे ढंक सकता था।

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किम के खिलाफ कोई बात हो

इसके बाद में सन् 2004–2010 के बीच गुब्बारा युद्ध बंद रहा। न केवल गुब्बारा, बल्कि दोनों देशों की सीमाओं पर ऊंची आवाज में लाउडस्पीकर बजाना, जिसमें किम के खिलाफ कोई बात हो, या रेडियो ब्रॉडकास्ट भी बंद कर दिया गया। सन् 2018 में दोनों देशों ने गुब्बारा आंदोलन को बंद करने की बात की लेकिन ये अब ये फिर से शुरू हो गया है।

दक्षिण कोरिया की ह्यूमन राइट्स पर काम कर रही एक संस्था Fighters for a Free North Korea के चेयरमैन पार्क सैंग हक का कहना है कि अगर गुब्बारों पर रोक लग गई तो हम ड्रोन भेजेंगे।

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