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चीन में चमगादडों पर रिसर्च, सवालों के घेरे में डोनाल्‍ड ट्रंप के सलाहकार

कोरोना वायरस पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। इस महामारी के फैलाने को लेकर चीन की वुहान लैब पर दुनिया भर शक जता रही है। वुहान में चमगादड़ पर रिसर्च मामले में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार में फंसते दिख रहे हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 30 April 2020 4:00 AM GMT
चीन में चमगादडों पर रिसर्च, सवालों के घेरे में डोनाल्‍ड ट्रंप के सलाहकार
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। इस महामारी के फैलाने को लेकर चीन की वुहान लैब पर दुनिया भर शक जता रही है। वुहान में चमगादड़ पर रिसर्च मामले में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार में फंसते दिख रहे हैं।

अब विदेश मीडिया में वुहान लैब की फंडिंग में ट्रंप के सलाहकार डॉक्टर एंथनी फॉउसी की भी भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। फॉउसी को मेडिकल क्षेत्र का हीरो माना जाता है। महामारी के इस संकट अमेरिका में हुए एक सर्वे में लोगों ने ट्रंप से ज्यादा भरोसा फॉउसी पर किया था।

फॉउसी अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एलर्जी ऐंड इन्फेक्शस डिसीज (एनआईएआईडी) के अध्यक्ष हैं। हाल के दिनों में इस अमेरिकी संस्था पर कई सवाल खड़े हुए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया कि इस संस्था ने चीन के वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और दूसरे संस्थानों को करोड़ों रुपये का फंड दिया है। आरोप है कि यह पैसा चमगादड़ पर रिसर्च के लिए दिया गया है। कई वैज्ञानिकों ने चेतावानी दी कि जिस ‘गेन ऑफ फंक्शन रिसर्च’ के लिए (एनआईएआईडी) फंड दे रहा है वह बेहद खतरनाक है।

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''हुई चूक तो वायरस के फैलने का खतरा''

रिसर्च में वायरस को लैब में कई रूपों में ढालने का काम होता है। रिसर्च में यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि इस वायरस में इंसान को किस हद तक संक्रमित करने की क्षमता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर रिसर्च में कोई चूक हो गई और वायरस बाहर आ जाए, तो महामारी फैलने का खतरा होता है। रिसर्च में वायरस की उस क्षमता को देखा जा रहा था कि वह कैसे जानवर से इंसान में प्रवेश कर सकता है। इस चीज का पता लगाया जा था कि इंसान की कोशिकाओं में वायरस कैसे अपनी जगह बना सकता है। जैसे, कोरोना वायरस इंसान के फेफड़ों और दूसरे अंगों में आसानी से प्रवेश कर सकता है।

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इस महामारी के संकट में अमेरिका की खुफिया एजेंसियां भी कह चुकी हैं कि चमगादड़ से निकला कोरोना वायरस वुहान की लैब से लीक हुआ है। लेकिन इन आरोपों पर डॉक्‍टर फॉउसी ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है। तो वहीं अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने उनकी तरफ से कहा कि अधिकतर वायरस जंगली जानवरों से ही फैलते हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि कोरोना वायरस लैब से फैला है। दरअसल वुहान लैब को फंड देने का फैसला फॉउसी की अध्यक्षता वाले (एनआईएआईडी) और एनआईएच ने साथ मिलकर ही हुआ था।

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एनआईएच ने हाल ही में चमगादड़ पर हो रहे रिसर्च (गेन ऑफ फंक्शन रिसर्च) से खुद को अलग कर लिय। डॉ. फॉउसी पहली बार सवालों में घेरे में नहीं हैं। करीब एक दशक पहले, बर्ड फ्लू वायरस पर भी एक ‘गेन ऑफ फंक्शन रिसर्च’ हुई थी। इसमें भी फॉउसी का ही रोल था। इसमें जंगली वायरस को जिंदा जानवरों में डाला गया, जबतक कि वे कोई खतरनाक रूप हासिल न कर लें। यानी महामारी जैसा संकट न आ जाए। साथ ही वैज्ञानिक ऐसे वायरस का चुनाव करते थे, जो इंसानों को आसानी से संक्रमित नहीं कर सकते।

फिर इन वायरस में बदलाव करके इन्हें इंसानों में प्रवेश करने लायक बनाया जाता था। इससे महामारी का खतरा बढ़ता है। नेवलों में इस तरह के कई वायरस डाले गए। ऐसा तब तक किया गया जब तक यह वायरस जानलेवा न बन जाए और संक्रमण फैलने न लगे। लेकिन फॉउसी ने बर्ड फ्लू की रिसर्च पर कहा था कि इस तरह के प्रयोग महामारी के दौरान एंटी वायरल दवाएं बनाने में मददगार होते हैं।

Dharmendra kumar

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