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अमेरिकी चुनाव में विदेशी ताकतें सक्रिय, जानिए क्या चाहते हैं चीन, रूस और ईरान
अमेरिका में इस साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में दुनिया के दूसरे देशों की भी खासी दिलचस्पी है। दुनिया के दूसरे बड़े देश भी चाहते हैं कि इस चुनाव में उनका पसंदीदा उम्मीदवार विजयी हो।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: अमेरिका में इस साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में दुनिया के दूसरे देशों की भी खासी दिलचस्पी है। दुनिया के दूसरे बड़े देश भी चाहते हैं कि इस चुनाव में उनका पसंदीदा उम्मीदवार विजयी हो। अमेरिकी खुफिया एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया है कि रूस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चुनाव में जिताना चाहता है जबकि चीन चाहता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बिडेन को विजय हासिल हो। उन्होंने चेतावनी दी कि चीन और रूस अपनी-अपनी तरह से इस चुनाव को प्रभावित करने की योजना बना रहे हैं।
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रूस का समर्थन ट्रंप के साथ
अमेरिकी राष्ट्रीय काउंटर इंटेलिजेंस व सुरक्षा केंद्र के निदेशक विलियम एवानीना ने कहा कि रूस डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन को बदनाम करने की कोशिश में जुटा हुआ है। वह चाहता है कि चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप विजयी हों। इसका कारण यह है कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान उपराष्ट्रपति बिडेन ने रूस के विरोधी यूक्रेन का समर्थन किया था। इसके साथ ही बिडेन रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के खिलाफ भी बोलते रहे हैं। इस कारण रूस बिडेन को कमजोर करने की कोशिश में जुटा हुआ है।
बिडेन के समर्थन में चीन
एवानीना ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अमेरिका और चीन के बीच तनाव काफी बढ़ चुका है और ट्रंप ने चीन के खिलाफ कई बड़े फैसले किए हैं। उन्होंने चीन की कई कंपनियों पर प्रतिबंध भी लगाया है और इसके खिलाफ चीन ने ट्रंप को कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है। चीन का मानना है कि ट्रंप मनमानी करते हैं जिसके कारण चीन को भारी नुकसान हुआ है। चीन अगले राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को विजयी नहीं होने देना चाहता ताकि उसे और ज्यादा नुकसान ना हो। इसी कारण चीन बिडेन की जीत चाहता है और अमेरिका में वोटों को प्रभावित करने की अपनी क्षमता बढ़ाने में जुटा हुआ है।
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ईरान भी ट्रंप से नाराज
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भी ट्रंप से नाराज हैं और उन्हें कमजोर देखना चाहते हैं। ईरान की ओर से ट्रंप के खिलाफ फर्जी खबरें भी चलाई जा रही हैं। ईरान का मानना है कि ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने से ईरान पर अमेरिका के साथ ही अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ सकता है। इस कारण ईरान की ओर से बिडेन की मदद की जा रही है।
विदेशी ताकतें कर रहीं कोशिश
अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने कहा कि विदेशी ताकतें मतदान को प्रभावित करने के लिए खुफिया व अधिक असर डालने वाले तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। ये ताकतें चाहती हैं कि अमेरिकी चुनाव के नतीजे उनकी प्राथमिकताओं के अनुसार हों। यही कारण है कि दुनिया की बड़ी ताकतें देश के मतदाताओं की वरीयता पर असर डालने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
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ट्रंप ने रूस के समर्थन की बात को नकारा
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुफिया अधिकारी के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि मुझे जिताने में रूस की दिलचस्पी होगी। उन्होंने कहा कि रूस जिस आखिरी व्यक्ति को राष्ट्रपति के पद पर देखना चाहेगा वह मै ही हूं।
उन्होंने कहा कि मैंने रूस के खिलाफ जितनी सख्ती बरती है उतनी किसी ने नहीं। इसलिए वह क्यों मुझे चुनाव में विजयी बनाना चाहेगा। यह बात जरूर है कि चीन मुझे चुनाव हरवाना चाहता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बिडेन चुनाव जीतने में कामयाब रहे तो चीनी सरकार ही देश की मालिक बन जाएगी और चीन ही अमेरिका को चलाने लगेगा।
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