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पाकिस्तान की बर्बादी शुरू, एफएटीएफ ने ब्लैक लिस्ट में डाला, जानें सबकुछ
आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान को एक और करारा झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को पहले ही ग्रे लिस्ट में डालना था।
नई दिल्ली: आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान को एक और करारा झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को पहले ही ग्रे लिस्ट में डालना था। अब एफएटीएफ के क्षेत्रीय सब-ग्रुप एशिया-पैसेफिक ग्रुप (APG) ने उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है।
एफएटीएफ की एशिया प्रशांत इकाई ने पाया कि पाकिस्तान आतंकियों के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने में नाकायाब रहा है जिसकी वजह से उसको ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है।
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आस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में एफएटीएफ की एशिया प्रशांत इकाई की बैठक हुई। इस बैठक में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने का फैसला लिया गया। इससे पहले एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था।
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक एफएटीएफ के एशिया प्रशांत इकाई ने वैश्विक मानदंडों को पूरा नहीं करने के लिए पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाला है।
एफएटीएफ ने पाया कि मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों के वित्तपोषण से जुड़े 40 मानदंडों में से 32 को पाकिस्तान ने पूरा नहीं किया। इसको देखते हुए एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है।
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एफएटीएफ की एशिया प्रशांत इकाई के ब्लैक लिस्ट में डाले जाने के बाद अब पाकिस्तान के एफएटीएफ के ग्रे लिस्ट से निकलने की संभावना और कम हो गई है।
बता दें कि फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स ने शुक्रवार को कहा था कि पाकिस्तान टेरर फंडिंग पर अपने ऐक्शन प्लान को पूरा करने में विफल रहा है।
अमेरिका के फ्लोरिडा के ओरलैंडो में आयोजित बैठक के समापन पर जारी एक बयान में एफएटीएफ ने चिंता व्यक्त की कि 'न सिर्फ पाकिस्तान जनवरी की समय सीमा के साथ अपनी ऐक्शन प्लान को पूरा करने में विफल रहा है, बल्कि वह मई 2019 तक भी अपनी कार्य योजना को पूरा करने में भी विफल रहा है।’
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एफएटीएफ ने पाकिस्तान से अक्टूबर 2019 तक अपने ऐक्शन प्लान को पूरा करने को कहा था। पाकिस्तान पिछले एक साल से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है और उसने एफएटीएफ से पिछले साल जून में ऐंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग मेकेनिज्म को मजबूत बनाने के लिए उसके साथ काम करने का वादा किया था।
तब उनके बीच तय समय सीमा के अंदर 10-प्वाइंट ऐक्शन प्लान पर काम करने की सहमति बनी थी। ऐक्शन प्लान में जमात-उद-दावा, फलाही-इंसानियत, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और अफगान तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों की फंडिंग पर लगाम लगाने जैसे कदम शामिल थे।
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तबाह होगी अर्थव्यवस्था
गौरतलब है कि एफएटीएफ की ओर से ब्लैकलिस्ट किए जाने का मतलब होता है कि संबंधित देश मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनैंसिंग के खिलाफ जंग में सहयोग नहीं कर रहा है। यदि पाक को ब्लैक लिस्ट किया जाता है तो फिर उसे वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, एडीबी, यूरोपियन यूनियन जैसी संस्थाओं से कर्ज मिलना मुश्किल हो जाएगा।
इसके अलावा मूडीज, स्टैंडर्ड ऐंड पूअर और फिच जैसी एजेंसियां उसकी रेटिंग भी घटा सकती हैं। एफएटीएफ वर्ष 2000 से ब्लैक लिस्ट जारी करता है।