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शव तानाशाह के पिता और दादा का, सालों-साल से की जा रही हिफाजत

इस रहस्यमयी देश को लेकर एक और हैरानी वाली बात सामने आई है कि यहां मृत शासकों के शरीर संभालकर सहेजकर रखे हुए हैं। पर क्यों, क्या है इसको रखने का कारण?

Vidushi Mishra
Published on: 9 May 2020 3:26 PM IST
शव तानाशाह के पिता और दादा का, सालों-साल से की जा रही हिफाजत
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नई दिल्ली: नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग को लेकर काफी दिनों से चल रही अफवाहों के बीच उनका अचानक सामने आना बेहद चौंकाने वाला रहा दृश्य रहा। तानाशाह के गायब रहने की तमाम खबरों के पुल बांधे जा रहे थे। जिसमें मौत से लेकर हार्ट सर्जरी, ब्रेन डेड होने जैसी आशंकाएं शामिल थी। अब भी देश इस बात को लेकर बिल्कुल पूरी तरह पक्का नहीं हैं कि सामने आया शख्स किम है या उसका हम-शक्ल। इस रहस्यमयी देश को लेकर एक और हैरानी वाली बात सामने आई है कि यहां मृत शासकों के शरीर संभालकर रखे हुए हैं। पर क्यों, क्या है इसको रखने का कारण?

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नॉर्थ कोरिया के दूसरे राजा का शव

नॉर्थ कोरिया के दूसरे शासक किम जोंग इल की सन् 2011 दिसंबर में मौत हो गई थी, इसके बाद उनका शरीर राजधानी के कुमसुसन मेमोरियल पैलेस में रख दिया गया।

ऐसे में वर्तमान तानाशाह और मृतक के बेटे किम जोंग का कहना था कि पिता देश की एकता और रक्षा को लेकर खासे सक्रिय थे और उनके मृत शरीर को जनता के दर्शनार्थ पर लोगों को भी वफादारी की प्रेरणा मिलती रहेगी।

साथ ही इससे पहले नॉर्थ कोरिया के संस्थापक किम इल-गाया की साल 1994 में मृत्यु के बाद भी उनके शरीर की अंतयेष्टि नहीं हुई थी, बल्कि उसे भी इसी पैलेस में रख दिया गया था। इसी के बगल में नॉर्थ कोरिया के दूसरे राजा का शव रखा गया।

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बेहद खास तकनीक

ऐसे में सालों-साल बीत जाने के बाद भी रखे हुए शव खराब हों, इसके लिए बेहद खास तकनीक अपनाई जाती है। रूस में मॉस्को के विशेषज्ञ इसके लिए काम कर रहे हैं, जो लेनिन लैब से ताल्लुक रखते हैं।

तो ये बड़े राजनेताओं और शख्सियतों के मृत शरीर को सुरक्षित रखने के लिए काम करने वाली इस लैब ने सबसे साल 1924 में व्लादिमीर लेनिन के शव पर लेप लगाकर उसे डिसप्ले में रखा था। इसी लैब के शोधकर्ता हर साल नॉर्थ कोरिया भी जाते हैं जिससे वहां के मृत तानाशाहों के शरीर को सुरक्षित रख सकें।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर अलेक्सी युचैक के अनुसार, कम्युनिस्ट शासकों के शवों को सुरक्षित रखने की परंपरा मॉस्को लैब ने शुरू की और धीरे-धीरे लोकल वैज्ञानिकों को भी इसका प्रशिक्षण दिया जाने लगा।

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ममिफिकेशन की प्रक्रिया

ऐसे में शवों को सहेजने के पीछे कम्युनिस्ट देशों के नेताओं के मृत शरीरों के जरिए ही देशों को एक तार में बांधने की मानसिकता काम करती थी।

शवों को सालों-साल एक ही तरह का बनाए रखने के लिए ममिफिकेशन की प्रक्रिया, जो प्राचीन मिस्र में अपनाई जाती थी, उसमें मृतक का शरीर अकड़ जाता था।

वहीं अब कोरियाई शासकों के साथ निहायत आधुनिक प्रक्रिया का उपयोग किया गया है जिससे संरक्षण वाले शव का शरीर फ्लैक्जिबल रहे और ताजा लगे। हालांकि देश को इसके लिए हर साल काफी ज्यादा पैसे खर्च करने होते हैं।

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शरीर को सुरक्षित रखे जाने टिप्पणी

नब्बे के दशक में जब सोवियत यूनियन टूट गया था, जब उसे पैसों के लिए फॉरेन क्लाइंट्स की तरफ देखना पड़ा। इसी दौर में नॉर्थ कोरिया के संस्थापक की मौत हुई और रूस ने उसके शरीर को सुरक्षित रखने के लिए काफी फीस ली। महीनों तक चलने वाली इस प्रक्रिया के जरिए शरीर पर खास केमिकल लगाए जाते हैं, जिनके बारे में कुछ खास साइंटिस्ट ही जानते हैं।

लेकिन अब तक ये पता नहीं चल सका है कि हर साल कितने पैसे कोरियाई देश रूस को देता है। साल 2016 में जब मॉस्को ने पहली बार लेनिन के शरीर को सुरक्षित रखे जाने पर टिप्पणी की थी, तो उसने इसपर सालाना मेंटेनेंस लगभग 200,000 डॉलर बताया था।

तो इसको देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि नॉर्थ कोरिया चूंकि रूस के लिए फॉरेन क्लाइंट है तो उससे किम परिवार के 2 शवों के रख-रखाव के लिए कितनी रकम देनी पड़ती होगी।

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