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खौफनाक! बेहद डरावना ये गांव, है हिम्मत तो रह के दिखाओ जरा

ये कोई फिल्मी कहानी नहीं हैं और न ही मनगढ़न कहानी। हां लेकिन एक ऐसी कहानी है जो फिल्मी को लगती हैं, भूतियां भी पर बहुत सच्ची कहानी है। जीं हां आज से लगभग 30 साल पहले रूस की सीमा पर बसा डोबरुसा गांव जहां लगभग 200 लोग रहते थे।

Vidushi Mishra
Published on: 23 July 2019 4:27 PM IST
खौफनाक! बेहद डरावना ये गांव, है हिम्मत तो रह के दिखाओ जरा
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ALONE HOUSE

नई दिल्ली : ये कोई फिल्मी कहानी नहीं हैं और न ही मनगढ़न कहानी। हां लेकिन एक ऐसी कहानी है जो फिल्मी को लगती हैं, भूतियां भी पर बहुत सच्ची कहानी है। जीं हां आज से लगभग 30 साल पहले रूस की सीमा पर बसा डोबरुसा गांव जहां लगभग 200 लोग रहते थे। पर आज इस गांव में सिर्फ एक व्यक्ति रहता है।

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नहीं है भूतिया कहानी

आपकों बता दें, ये कोई भूतिया कहानी नहीं हैं। सच से वाकिफ होने के लिए सुनिए- सोवियत संघ के टूटने के बाद इस गांव के सभी लोग आस-पास के शहर या किसी अन्य जगहों पर रहने चले गए। उसके बाद धीरे-धीरे कुछ लोगों का निधन हो गया।

अब इस साल के शुरुआत में यहां मात्र तीन लोग बच गए थे, जिसमें से एक शादीशुदा जोड़ा जेना और लिडा रहते थें। जिनकी बीती फरवरी में हत्या हो गई थी। इसके बाद इस गांव में सिर्फ एक व्यक्ति गरीसा मुनटेन बचा।

आश्चर्य की बात तो यह है कि गरीसा मुनटेन के साथ भी कोई नहीं रहता। वे अकेले ही रहते हैं। लेकिन उनके साथ कोई व्यक्ति नहीं रहता पर वो तब भी अकेले नहीं हैं। मतलब की उनके साथ बहुत सारे जीव-जन्तु जो रहते हैं।

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ये रहते हैं साथ

गरीसा भले ही इस गांव में अकेले हो, फिर भी पांच कुत्ते, 9 टर्की पक्षी, दो बिल्लियां, 42 मुर्गियां, 120 बत्तखें, 50 कबूतर और कई हजार मधुमक्खियां हैं जिनके साथ वह अपना जीवन बिता रहे हैं।

गरीसा मुनटेन ने एक बातचीत में बताया, "उनके इसी गांव में करीब 50 घर थे, लेकिन अब अधिकतर लोग सोवियत संघ के टूटने के बाद नजदीकी शहर मालडोवा, रुस या फिर यूरोप में जाकर बस चुके हैं।" मुनटेन का कहना है कि, "अकेलापन बहुत परेशान करता है।"

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उन्होने इस अकेलापन दूर करने के लिए ये अनोखा तरीका अपनाया। वह खेतों में काम करने के दौरान वह पेड़ों से, पक्षियों से, जानवरों से ही बातें करते रहते हैं।

इसके बाद गरीसा बताते हैं कि, "उनसे बात करने के लिए यहां कोई नहीं है।" पहले गांव के दूसरे छोर पर जेना और लिडा लोजिंस्की रहते थे और वह अक्सर उनसे फोन पर या मिलकर बातें करते रहते थे, लेकिन अब उनकी मौत के बाद वह यहां बिल्कुल अकेले हो गए हैं।“



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Vidushi Mishra

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