TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

शर्म करो पाकिस्तान! क्यों बंद इमरान की आँख, यहां जाने पूरा सच

पाकिस्तान में क्या हालात है किसी से छिपा नहीं है। आतंकवाद, भूखमरी, अशिक्षा पाकिस्तान में किस तरह व्याप्त है। पाकिस्तान में आम आदमी तो बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है, बात यह है कि मानवाधिकार की दुहाई देने वाले पाकिस्तान में पत्रकारों की जिंदगी भी सुरक्षित नहीं है।

Harsh Pandey
Published on: 1 Nov 2019 3:44 PM IST
शर्म करो पाकिस्तान! क्यों बंद इमरान की आँख, यहां जाने पूरा सच
X

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में क्या हालात है किसी से छिपा नहीं है। आतंकवाद, भूखमरी, अशिक्षा पाकिस्तान में किस तरह व्याप्त है। पाकिस्तान में आम आदमी तो बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है, बात यह है कि मानवाधिकार की दुहाई देने वाले पाकिस्तान में पत्रकारों की जिंदगी भी सुरक्षित नहीं है।

एक आकड़े में पाकिस्तान की ये नापाक हरकत सामने आई है। बता दें कि यहां पिछले 6 सालों में 33 पत्रकारों की मौत हुई है। साल 2018-19 में आई एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

यह भी पढ़ें. AK-47 से जवाहर पंडित की हुई थी हत्या! करवरिया बन्धुवों पर आया बड़ा फैसला

बता दें कि "The Freedom Network" ने यह रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट का टाइटल 100 फीसद इमपुयुनिटी फोर किलर, 0 फीसद जस्टिस फॉर पाकिस्तान मर्डडर्ड जर्नलिस्ट रखा गया। इसके तहत पाक में पत्रकारों के साथ हुए क्राइम और सजा पर आंकडे जारी किए गए हैं।

'जय श्री राम' बोलने पर बीजेपी कार्यकर्ता पर टीएमसी वर्कर्स ने बरसाई गोली

यह भी पढ़ें. 250 ग्राम का परमाणु बम! पाकिस्तान का ये दावा, सच्चा या झूठा

संयुक्त राष्ट संघ...

खास बात यह है कि संयुक्त राष्ट संघ (UN) की तरफ से प्रत्येक साल 2 नवंबर को इंटरनेशनल डे टू इमयुनिटी फोर क्राइम अगेंस्ट जर्नलिस्ट मनाया जाता है। इस मौके पर यह रिपोर्ट जारी की गई है।

इमपुयुनिटी स्कोर कार्ड के अनुसार...

पाकिस्तान इमपुयुनिटी स्कोर कार्ड के मुताबिक, साल 2013 से 19 तक पाकिस्तान में 33 पत्रकारों की मौत के लिए 32 एफआइआर दर्ज हुई हैं।

इसके तहत पुलिस ने सिर्फ 20 केसों की चार्जशीट फाइल की है। 33 केस के बाहर कोर्ट ने 20 केस के ट्रायल करने की घोषणा की थी।

यह भी पढ़ें. मोदी का मिशन Apple! अब दुनिया चखेगी कश्मीरी सेब का स्वाद

इस दौरान सिर्फ 6 केस का ट्रायल पूरा हुआ था। इन छह केसों में आरोपित को सिर्फ एक केस में दोषी ठहराया गया था, लेकिन फाइनल अपील के दौरान सजा से बच गया।

इसके साथ ही साथ आपको बता दें कि उपरोक्त आंकड़ों में पिछले एक साल में पाकिस्तान में सात पत्रकारों की हत्या के मामले शामिल हैं, जो कि साल 2018 अक्टूबर महीने से साल 2019 अक्टूबर तक हैं। जानकारी के मुताबिक, सभी सात केसों में एफआइआर दर्ज हुई है, लेकिन पुलिस ने केवल चार केसों में चार्जशीट दर्ज की है।

यह भी पढ़ें. 10 करोड़ की होगी मौत! भारत-पाकिस्तान में अगर हुआ ऐसा, बहुत घातक होंगे अंजाम

पत्रकारों ने इस कारण गवां दी जान...

डॉन समाचार के अनुसार, वियना स्थित आईपीआई की डेथ वॉच के अनुसार, पिछले साल 40 से अधिक पत्रकारों ने अपनी जान गंवा दी।

यह भी पढ़ें. चोरी हो गया दिल्ली का ये फुटओवर ब्रिज, है गजब कहानी

आपको बता दें कि इनमें से 25 अपने काम के लिए प्रतिशोध में लक्षित हमलों में मारे गए, जबकि अफगानिस्तान, सीरिया और यमन में संघर्षों को कवर करते हुए मारे गए।

वहीं 6 पत्रकारों की मौत असाइनमेंट के दौरान हुई। सोमालिया में दो और ब्राजील, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका में 2 पत्रकारों की मौत हो गई। रिपोर्टस की मानें तो ज्यादातर पत्रकाराों की अमेरिका हुई है।

Harsh Pandey

Harsh Pandey

Next Story