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Imran Khan: इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पर लगेगा प्रतिबंध?

Imran Khan: इमरान खान के बेहद करीबी व सरकार में रहे नेता एक के बाद एक पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। और जो हैं वह मजबूती के साथ पार्टी का पक्ष रखते नजर नहीं आ रहे हैं। इमरान खान इसे 'थोपा गया अलगाव' कह रहे हैं वहीं, पूर्व पीएम से दूरी बना रहे नेता इसे 09 मई की घटना का नतीजा करार दे रहे हैं।

Hariom Dwivedi
Published on: 25 May 2023 6:46 PM GMT (Updated on: 25 May 2023 7:27 PM GMT)
Imran Khan: इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पर लगेगा प्रतिबंध?
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इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पर लगेगा प्रतिबंध?

Imran Khan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री व पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पूर्व पीएम व उनकी पत्नी बुशरा के पाकिस्तान छोड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही उनकी पार्टी के 80 सदस्यों को भी नो फ्लाई लिस्ट में शामिल किया गया है। कई दिग्गज व इमरान के करीबी पार्टी से किनारा कर रहे हैं। ऐसे में अटकलें शुरू हो गई हैं कि क्या इमरान खान की पार्टी पीटीआई पर भी प्रतिबंध लगेगा? पाकिस्तान के हालिया घटनाक्रम के बाद यह सवाल और भी मौजूं है।

इमरान खान की पार्टी से दिग्गज नेताओं का मोहभंग शुरू हो गया है। कभी उनके बेहद करीबी व सरकार में रहे नेता एक के बाद एक पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। और जो हैं वह मजबूती के साथ पार्टी का पक्ष रखते नजर नहीं आ रहे हैं। वर्तमान हालातों में इमरान के अलावा पार्टी कहीं भी खड़ी होती नजर नहीं आ रही है। अलबत्ता पार्टी छोड़ने वालों की लाइन लगी है। हालांकि, इमरान खान इसे 'थोपा गया अलगाव' करार दे रहे हैं। उन्होंने कहाकि मुझे दबाव के तहत पार्टी छोड़ने वालों से हमदर्दी है।

टूटने की कगार पर पीटीआई?

मंगलवार को पाकिस्तान के पूर्व मानवाधिकार मंत्री मंत्री शिरीन मजारी ने पार्टी से किनारा किया। अगले ही दिन बुधवार को उनके सबसे करीबी माने जाने वाले पूर्व सूचना मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने इमरान खान से दूरी बना ली। इसके अलावा इमरान के विश्वासपात्रों में से एक असद उमर ने पीटीआई के महासचिव और कोर समिति सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया। चर्चा है कि वह जल्द ही पार्टी छोड़ सकते हैं। इसके अलावा भी आमिर कियानी और फैयाज़ुल हसन चौहान जैसे कई वफादार पीटीआई नेता भी खुद को पार्टी से अलग कर चुके हैं। इनमें से कइयों का आरोप है कि इमरान को केवल अपना ख्याल है। 09 मई की घटनाक्रम को लेकर पीटीआई के कई नेताओं ने उन पर निशाना साधा है। कई नेता जल्द ही पीटीआई से किनारा कर सकते हैं।

क्या हुआ था 9 मई को ?

09 मई को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद भीड़ ने लाहौर स्थित पाकिस्तानी सेना कोर कमांडर के घर पर हमला कर तोड़-फोड़ की थी। इतना ही नहीं उस दिन रावलपिंडी से लेकर गुजरांवाला तक कई फौजी अड्डों में भीड़ घुस गई थी। सैनिक केंद्रों और शहीदों की यादगार पर हमले किए गये। इसके बाद इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पर सैनिक केंद्रों व संपत्तियों में तोड़फोड़ का आरोप लगा था। इसके बाद से ही इमरान खान ही नहीं पार्टी के भी सितारे गर्दिश में चल रहे हैं।

सेना ने दी थी चेतावनी

किस्तानी सेना के जनसंपर्क विभाग ने 9 मई को काला दिवस बताते हुए कहा कि अभी तक पहले संयम से काम लिया गया लेकिन अब तीखी प्रतिक्रिया दी जाएगी। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि 75 साल में जो काम दुश्मन न कर सके, वह काम राजनीतिक लबादा ओढ़े समूह ने कर दिखाया। 17 मई को सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने कहा कि शहीदों और उनकी यादगारों का अपमान नहीं होने देंगे। ऐसे लोगों के खिलाफ आर्मी ऐक्ट और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। जिम्मेदार लोगों को कटघरे में लाया जाएगा।

इमरान के खिलाफ 'अपनों' के तीखे तीर

09 मई और 10 मई की घटना के बाद से ही पीटीआई के कई नेता खुलकर इमरान का विरोध करने लगे थे। इसकी शुरुआत पूर्व केंद्रीय मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने की। उन्होंने 09 मई की घटना की निंदा करते हुए पीटीआई से किनारा कर लिया था। असद उमर ने कहा कि नौ मई को घटनाक्रम की जांच होनी चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को छोड़ा नहीं जाना चाहिए। वहीं, चौधरी फवाद ने भी 9 मई की घटना की निंदा करते हुए खुद को पार्टी से अलग कर लिया।

थोपा गया अलगाव या कुछ और?

मौजूदा हालातों को देखते हुए सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ उसी मजबूती से खड़ी रह पाएगी या फिर उसका आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। पार्टी के नेताओं का यूं पीटीआई से किनारा करने को इमरान खान भले ही 'थोपा गया अलगाव' करार दे रहे हैं लेकिन किनारा कर चुके नेता ऐसा नहीं मानते। पीटीआई के दिग्गज नेताओं में शुमार जलील शर्कपूरी ने कहा कि फौज हमारी रेड लाइन है लेकिन इमरान खान और उनकी पार्टी ने फौज के साथ ही पंगा ले लिया। ऐसे में मुझ पर पार्टी छोड़ने के लिए बाहरी नहीं बल्कि भीतरी दबाव था।

...तो क्या सच में खत्म हो जाएगी पीटीआई?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इमरान खान की पार्टी ने सेना से पंगा लेकर अपनी जड़ों में मट्ठा डालने का काम किया है। इससे सेना तो इमरान के खिलाफ है ही विरोधी दल भी इस मुद्दे को खूब भुना रहे हैं। जनता के बड़े वर्ग का समर्थन भी सेना के साथ ही है। और जिस तरह से इमरान और उनकी पार्टी के नेताओं पर गुरुवार को प्रतिबंध लगाये गये हैं, माना जा रहा है कि अगर जल्द ही इमरान की पार्टी पीटीआई पर भी प्रतिबंध लग जाये तो हैरानी की बात नहीं होगी।

पीटीआई के बारे में

- पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की स्थापना 25 अप्रैल 1996 को लाहौर में हुई थी।
- न्याय व्यवस्था को स्तवंत्र करवाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने मुद्दे पर पार्टी का गठन हुआ था।
- 1997 के आम चुनावों में इमरान खान की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी।
- साल 2002 में पीटीआई को अपनी पहली जीत मिली। मियांवाली सीट से इमरान खान नेशनल असेंबली के लिए चुने गए।
- 2008 में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पीटीआई ने चुनावों का बहिष्कार किया।
- 2013 में पार्टी ने 75 लाख वोट हासिल किए और 35 सीटें जीती।
- 2018 आम चुनावों ने इमरान खान के नेतृत्व में सरकार बनी। उस चुनाव में पार्टी ने 114 सीटें जीतीं।
- अगस्त 2018 को इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने।
- 10 अप्रैल 2022 को इमरान खान को इस्तीफा देना पड़ा। इसकी वजह उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव था

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