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भारत के लिए खतरे की घंटी: नेपाल ने यहां 4 महीने में ही बना दी इतनी लंबी सड़क

बताया जा रहा है कि इस मार्ग को बनाने में कुल 1.08 करोड़ रूपये का खर्च आया है। नेपाली सेना के 65 सैनिकों के अलावा 45 मजदूर सड़क निर्माण के इस काम को पूरा करने के लिए रात दिन काम कर रहे थे।

Newstrack
Published on: 7 Oct 2020 9:08 AM GMT
भारत के लिए खतरे की घंटी: नेपाल ने यहां 4 महीने में ही बना दी इतनी लंबी सड़क
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काठमांडू: नेपाल और चीन के बीच हाल के दिनों में तल्खी और भी ज्यादा बढ़ गई है। कभी नया नक्शा जारी कर भारत के भू-भाग को अपना बताना हो या फिर भगवान श्री राम के जन्मस्थान को अयोध्या की जगह नेपाल में बताना हो। इस तरह की बातें लगातार नेपाल की तरह से सामने आ रही हैं।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया है कि नेपाल चीन के इशारे पर काम कर रहा है। चीन ही उसे भारत के खिलाफ भड़काने का काम कर रहा है।

वहीं इस बीच अब नेपाल से खबर आ रही है कि उसकी सेना ने 550 मीटर लंबी सड़क का निर्माण 4 महीने में पूरा कर लिया। जो तिब्बत सीमा के पास स्थित टिंकर और भारतीय सीमा के पास स्थित छांगरू गांव को जोड़ने वाली सड़क है। नेपाल की तरफ से ऐसा कहा जा रहा है कि ये सड़क दो साल पहले एक भूस्खलन में ध्वस्त हो गई थी।

Kp Sharma And Xi Jinping नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फोटो(सोशल मीडिया)

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भारत के साथ तनाव के बीच नेपाल ने उठाया ये बड़ा कदम

जिसके बाद से यहां के निवासी यातायात के लिए इसी मार्ग का उपयोग किया करते थे, जो कि भारत के सीतापुल से होकर जाता था।

सूत्रों ने बताया कि भारत के साथ तनाव के बीच नेपाल अपने सीमावर्ती इलाकों में सड़कों के नेटवर्क को दुरुस्त करने में लगा है। इसके अलावा हवाई मार्गों की बेहतरी पर भी काम चल रहा है।

नेपाल सरकार ने इस सड़क के निर्माण का काम सेना को सौंप दिया। नेपाली सेना ने 4 महीनों के भीतर इस दुर्गम इलाके में सड़क निर्माण का काम पूरा किया है।

जानकारों ने बताया कि, 85 किमी का यह मार्ग दो साल पहले धारचुला से 60 किमी पर स्थित घांटीबागर इलाके में भूस्खलन आने के बाद ध्वस्त हो गया था। टिंकर और छांगरू गांव में रहने वाले लोग नवंबर से अप्रैल तक निचली घाटियों में चले जाते हैं।

इसके बाद मई से अक्टूबर तक के लिए वे लोग फिर वापस आते हैं। छांगरू में 90 परिवार रहता है जबकि टिंकल में 60 परिवार रहता है, जो इस नये रास्ते का इस्तेमाल करेगा

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Nepal Land नेपाल के भू-भाग की फोटो(सोशल मीडिया)

भारतीय रास्ते का इस्तेमाल करते थे नेपाली

इस बीच नेपाल के अधिकारियों ने पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) प्रशासन से अपील की कि वह ग्रामीणों को भारतीय रास्तों को इस्तेमाल करने दें, जिसे भारतीय अधिकारियों ने मान भी लिया।

हालांकि, नेपाल के लिए यह बेहद अजीब स्थिति थी। चार महीने पहले नेपाली सरकार ने इलाके में सड़क निर्माण का जिम्मा नेपाल की सेना को सौंप दिया। कठिन इलाका होने की वजह से यहां सड़क बना पाना आसान नहीं था लेकिन नेपाली सेना ने 4 महीनों के भीतर 550 मीटर लंबी और 2 मीटर चौड़ी सड़क बना डाली।

सड़क को बनाने में आया इतना खर्च

बताया जा रहा है कि इस मार्ग को बनाने में कुल 1.08 करोड़ रूपये का खर्च आया है। नेपाली सेना के 65 सैनिकों के अलावा 45 मजदूर सड़क निर्माण के इस काम को पूरा करने के लिए रात दिन काम कर रहे थे।

सड़क निर्माण के दौरान ही नेपाली सेना का एक जवान शहीद भी हो गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेपाली सेना ने सीमा पर चौकियां शुरू कर दी हैं लेकिन अच्छा मार्ग न होने के चलते यहां राशन इत्यादि सामान हवाई मार्ग से आता है। अब सड़क बन जाने के बाद ग्रामीण इस रास्ते का भरपूर उपयोग कर रहे हैं।

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