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दुनिया में भारत की कूटनीतिक ताकत बढ़ी, घेरेबंदी के बीच चीन को तगड़ा झटका

कोरोना वायरस के इस संकट काल में भारत और अमेरिका की नजदीकी और बढ़ी है और अमेरिका ने भारत को और महत्त्व देना शुरू कर दिया है।

Aradhya Tripathi
Published on: 1 Jun 2020 5:40 AM GMT
दुनिया में भारत की कूटनीतिक ताकत बढ़ी, घेरेबंदी के बीच चीन को तगड़ा झटका
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: कोरोना संकट के कारण बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की कूटनीतिक ताकत लगातार बढ़ रही है। ऐसे में भारत चीन की घेरेबंदी को तोड़ने में कामयाब होता दिख रहा है। बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की ताकत बढ़ी है और वह अहम भूमिका निभाता दिख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसका संकेत भी दे दिया है। उन्होंने जी-7 देशों के समूह को जी-11 में बदलने का संकेत देते हुए इसमें भारत को शामिल करने पर जोर दिया है। अंतर्राष्ट्रीय जानकारों का कहना है कि इस ताकतवर समूह में शामिल होने के बाद वैश्विक स्तर पर भारत की कूटनीतिक ताकत में काफी बढ़ोतरी होगी।

भारत को ज्यादा महत्व दे रहा अमेरिका

कोरोना वायरस के इस संकट काल में भारत और अमेरिका की नजदीकी और बढ़ी है और अमेरिका ने भारत को और महत्त्व देना शुरू कर दिया है। अमेरिकी मदद से भारत को पहले भी कई रणनीतिक समूह में शामिल होने में कामयाबी मिली है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जी 7 के सम्मेलन को सितंबर तक टाल दिया है और कहा कि इससे पहले वे भारत, ऑस्ट्रेलिया, रूस और दक्षिण कोरिया को बैठक के लिए आमंत्रित करना चाहते हैं। जी 7 का यह शिखर सम्मेलन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 10 से 12 जून तक होने वाला था। मौजूदा समय में जी 7 में अमेरिका के साथ कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और ब्रिटेन जैसे ताकतवर देश शामिल हैं।

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महत्वपूर्ण बात यह है कि ताकतवर देश होते हुए भी चीन जी 7 में शामिल नहीं है। भारत और अमेरिका में बढ़ती दोस्ती को देखकर चीन बौखला गया है। चीन ने भारत को सलाह दी है कि बेहतर होगा कि वह अमेरिका और चीन के बीच चल रहे कोल्ड वार से दूर रहे। चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर भारत ने अपने रवैये में बदलाव नहीं किया और अमेरिकी साझेदारी से चीन के खिलाफ कोई भी कदम उठाया तो कोरोना संकट के इस दौर में इसके आर्थिक नतीजे बेहद खराब हो सकते हैं। चीन का कहना है कि भारत को इस कोल्ड वार से दूर रहना चाहिए ताकि दोनों देशों के बीच चल रहा व्यापारिक संबंध पहले की तरह ही बना रहे।

समोसा डिप्लोमेसी चीन को संदेश

अमेरिकी संदेश के बाद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने समोसा डिप्लोमेसी के जरिए दूसरा प्रभावी संकेत दिया है। उन्होंने ट्विटर पर भारतीय समोसा बनाकर पोस्ट करने के साथ ही यह भी लिखा कि वे इसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साझा करना चाहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसका जवाब देने में देर नहीं की और कहा कि कोरोना संकट पर विजय पाने के बाद वे ऑस्ट्रेलिया के पीएम के साथ समोसे का आनंद जरूर लेंगे।

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ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत की बढ़ती दोस्ती भी चीन के लिए एक बड़ा संदेश मानी जा रही है। ऑस्ट्रेलिया अमेरिका के इस बयान का समर्थक है जिसमें कोरोना की उत्पत्ति की जांच की बात कही गई है। भारत ने भी पिछले दिनों कोरोना वायरस की जांच के ऑस्ट्रेलियाई प्रस्ताव का समर्थन किया था। दोनों देश दक्षिणी चीन सागर में चीन की बढ़ती दादागिरी के खिलाफ राजनीतिक चर्चाओं में शामिल रहे हैं। माना जा रहा है कि क्वॉड में शामिल भारत और ऑस्ट्रेलिया अपने रणनीतिक साझेदारी और बढ़ाने की तैयारी में है।

सुरक्षा परिषद में भी भारत होगा मजबूत

क्वाड के सदस्यों में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। अमेरिका भी इस समूह को और ज्यादा ताकत और सैन्य स्वरूप देना चाहता है। दूसरी ओर चीन का मानना है कि यह उसके खिलाफ एक मोर्चाबंदी के सिवा और कुछ नहीं है। पीएम मोदी की ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉर्ट मॉरीसन के साथ वीडियो लिंक के जरिए द्विपक्षीय बातचीत होनी है। माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान दोनों देशों के रिश्तो में और मजबूती आएगी।

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अगले महीने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी और ताकत मिलेगी। सुरक्षा परिषद की पांच अस्थायी सीटों में से एक सीट भारत को मिलना तय माना जा रहा है। अगले महीने नई चुनाव प्रक्रिया के तहत यह चुनाव होने वाला है और एशिया प्रशांत क्षेत्र से भारत इकलौता दावेदार है। चीन के रोडे़ अटकाने की वजह से भारत अभी तक दावेदारी के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता नहीं पा सका है। हालांकि इस मोर्चे पर भी भारत को दुनिया की बड़ी ताकतों का समर्थन मिल रहा है।

Aradhya Tripathi

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