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अस्पताल में नहीं था हैलीपैड, सुपर कार से 2 घंटे में 489 KM दूर पहुंचाई डोनर किडनी
ऑर्गन को अस्पताल पहुंचाने का काम अक्सर हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर की सहायता से किया जाता है। क्योंकि इस तरह के केस में मरीज के पास समय कम होता है और वक्त बदलने के साथ जान का जोखिम भी बढ़ता जाता है।
नई दिल्ली: आपने अक्सर एयर एम्बुलेंस द्वारा ऑर्गन ट्रंसप्लांट के बारें में सुना होगा। लेकिन आज हम आपको इटली में घटी एक ऐसी घटना के बारें में बता रहे हैं।
जिसमें पुलिस ने कार की मदद से डोनर किडनी को अस्पताल तक पहुंचाया, जिससे जल्द से जल्द मरीज के शरीर में ये किडनी लगाई जा सके और उसकी जान बचाई जा सके।
ये अपने आप में बेहद ही हैरतअंगेज है क्योंकि ये शायद पहला मौक़ा है जब कार की मदद से इस तरह का काम किया गया हो।लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात जो है वो ये कि कार कोई ऐसी वैसी नहीं थी बल्कि सुपर कार थी।
अस्पताल के अंदर हैलीपैड नहीं था, सुपर कार से पुलिस ने ऐसे पहुंचाई डोनर किडनी (फोटो : सोशल मीडिया)
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लैम्बॉर्गिनी कार से पुलिस ने अस्पताल पहुंचाई किडनी
प्राप्त जानकारी के अनुसार किडनी सही वक्त पर अस्पताल पहुंचाने के लिए इटली की पुलिस ने नीले रंग की अपनी Lamborghini Huracan की मदद ली। अस्पताल 489 किमी दूर था। इस कार ने महज 2 घंटे में 489 किमी की दूरी तय की। इस दौरान सुपरकार को 233 kmph की रफ़्तार से चलाया जा रहा था। आम वाहनों को ये दूरी तय करने में 6 से 8 घंटे का समय लगता है।
इसकी सहायता से किडनी को जेमली यूनिवर्सिटी अस्पताल पहुंचाया गया। अमूमन जब अस्पतालों में कोई कैजुअल्टी होती है तो पुलिस की हेल्प ली जाती है और यहां पर भी ऐसा ही हुआ। अस्पताल प्रशासन ने पुलिस की मदद ली और किडनी को समय पर अस्पताल पहुंचाया गया। जिसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
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अस्पताल में नहीं था हैलीपैड, सुपर कार से 2 घंटे में 489 KM दूर पहुंचाई डोनर किडनी (फोटो:सोशल मीडिया)
अस्पताल के अंदर हैलीपैड नहीं था, इसलिए उठाया ऐसा कदम
अब जानकारी ये निकलकर सामने आई है कि इस अस्पताल में हेलीपैड नहीं था इसलिए एक सुपरकार को ऑप्शन के रूप में इस्तेमाल किया गया। जिसके बाद से मरीज की जान बचाई जा सकी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अधिकांश केस में हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर की सहायता से इस तरह के काम को अंजाम दिया जाता है।
क्योंकि इस तरह के केस में मरीज के पास समय कम होता है और वक्त बदलने के साथ जान का जोखिम भी बढ़ता जाता है। थोड़ी भी देर हो तो मरीज की जान तक जा सकती है।
मेडिकल स्टाफ ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया जल्द से जल्द करता है। इसके लिए डोनर के ऑर्गन को तेजी से अस्पताल पहुंचाया जाता है। इसके लिए तमाम तरह के नियमों का भी पालन किया जाता है।
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