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भगोड़ा नीरव मोदी उठा सकता है ये खौफनाक कदम, वकील ने कोर्ट को बताया
हीरा कारोबारी भगोड़े नीरव मोदी के वकीलों ने कोर्ट से कहा कि भारतीय जेलों में पर्याप्त मेडिकल फैसिलिटी के अभाव के चलते उसके सुसाइड करने का भी खतरा है।
नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी और हीरा कारोबारी भगोड़े नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पित किये जाने के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे उसके वकीलों ने मंगलवार को आरोप लगाया है कि मामले के राजनीतिकरण के चलते उनके क्लाइन्ट के खिलाफ वहां निष्पक्ष मुकदमा चलने की संभावना नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जेलों में पर्याप्त मेडिकल फैसिलिटी के अभाव के चलते उसके सुसाइड करने का भी खतरा है।
नीरव मोदी के ऊपर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
बता दें कि , हीरा कारोबारी भगोड़ा नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। इस मामले में 49 वर्षीय भगोड़ा नीरव वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में प्रत्यर्पण के खिलाफ केस लड़ रहा है। घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के केस में आरोपी नीरव मोदी पिछले साल मई से लंदन की एक जेल में बंद है।
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इस जेल में रखा जाएगा नीरव मोदी
नीरव मोदी की पांच दिनों की प्रत्यर्पण सुनवाई के दूसरे दिन कोर्ट में जज सैमुअल गूज ने भारतीय जेलों के आधिकारिक आंकड़ों पर गौर किया, जिनमें मुंबई के आर्थर रोड जेल में कोरोना वायरस के मामले भी शामिल हैं। प्रत्यर्पित किए जाने के बाद भगोड़ा नीरव मोदी को भारत की इसी जेल में रखा जाएगा। नीरव की वकील ने आगे की सुनवाई के दौरान कोर्ट को एक्सपर्ट्स के बयान दिलाने की अपनी योजना के बारे में अवगत कराया।
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नीरव मोदी के सुसाइड करने का खतरा (फोटो- सोशल मीडिया)
न्याय प्रणाली की सत्यनिष्ठा का क्षरण
इनमें भारतीय सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज का नाम भी शामिल हैं, जिनके लास्ट नेम यानी आखिरी नाम काटजू का उल्लेख किया गया है। नीरव की वकील क्लेर मोंटगोमरी ने कोर्ट से कहा कि भारत में न्याय प्रणाली (Judicial System) की सत्यनिष्ठा का काफी क्षरण हुआ है। नीरव मोदी का केस एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, जिसमें बेगुनाही की कोई परिकल्पना नहीं है। उन्होंने कहा कि नीरव को भारत में दोषी सिद्ध करने की राजनीतिक जरूरत पैदा हो गई है।
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नीरव को दोषी सिद्ध करने की राजनीतिक जरूरत
क्लेर मोंटगोमरी ने कहा कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत में नफरत भरी निगाहों से देखा जाता है। इसलिए उसकी निंदा करने और उसे दोषी सिद्ध करने की राजनीतिक जरूरत पैदा हो गई है। उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष के अन्य गवाहों ने भी जांच एजेंसियों सीबीआई और ईडी के व्यवहार के मानदंड में गिरावट आने का जिक्र किया है। नीरव के वकील ने कहा कि नीरव में अवसाद बढ़ता जा रहा है और ताजा आकलन से यह पता चला है कि अगर उसे उपयुक्त उपचार नहीं मिला तो उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ जाएगा।
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नीरव के आत्महत्या करने का खतरा
उन्होंने कहा कि यहां या वहां, नीरव के आत्महत्या करने का खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जेलों में मनोचिकित्सीय मदद का भी घोर अभाव है। मोंटगोमरी ने आगे कहा कि उनके क्लाइंट की मानसिक स्थिति और कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए उसे मानवीय परिस्थितियों में रखने का आश्वासन और जेल वीडियो पूरी तरह से अपर्याप्त लगता है।
इस साल अंत तक आ सकता है फैसला
नीरव के प्रत्यर्पण के मामले में इस साल के अंत तक कोई फैसला आने की उम्मीद है। इस केस में अंतिम सुनवाई एक दिसंबर से होने वाली है। बता दें कि बीते सालों में नीरव ने अपने जमानत के लिए कई बार कोशिश की है,स लेकिन उसके फरार होने की आशंका के चलते उसके अनुरोध को हर बार खारिज कर दिया गया। नीरव को पिछले साल लंदन महानगर पुलिस स्कॉटलैंड यार्ड ने 19 मार्च को गिरफ्तार किया था।
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